
साहित्यिक आलोचना के गुण-दोष
द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu)
द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu)
देश की शान मुर्मू
देश की आन मुर्मू
देश की पहचान मुर्मू
हर जगह हर वक़्त मुर्मू
है आदिवासी बहुल मुर्मू
संथाल घराने में पैदा हुई
किया जा में नाम मुर्मू
देश की शान मुर्मू
देश की आन मुर्मू
देश की पहचान मुर्मू
पहले बनी पार्षद
फिर विधायक
हैं आज राष्ट्रपति
भारत में मुर्मू
दूसरी महिला हैं आप
जो बनी राष्ट्रपति
देश की शान मुर्मू
देश की आन मुर्मू
देश की पहचान मुर्मू
काम करेगी
नाम करेगी
जन जन सम्मान करेगी
खुद की पहचान करेगी
ऐसी है हमारी मुर्मू
देश की शान मुर्मू
देश की आन मुर्मू
देश की पहचान मुर्मू

सुलगते अल्फ़ाज़
आप की मोहब्बत ने बहुत तरसाया,
ना जी पाया हूँ ना कभी मर पाया।
दर्द जो मिले सीने में ना कम थे,
कभी हंस ना हमेशा आपने रूलाया ।
ज़ख्म से भरा हुआ हूँ मैं क्या बताऊँ,
तेरी मीठी-मीठी बातों को तन्हाया।
तेरी झील-सी गहरी आंखे आज समंदर है,
इन्होंने न कभी डुबोया ना कभी तैराया।
जब चली गई छोड़कर बेसहारा हो गया,
था कोई अपना अब सब हो गया पराया।
ना इश्क़ का इज़हार हुआ तेरे साथ,
चाहा जिसने था उसी ने था डुबोया
हर जगह हर वक़्त तू रहती ख़्वाब में,
तेरे इन ख्वाबों के साथ में जिन्दा पाया।
फूल पत्तों के भीतर ख़ुशबू तेरे प्यार की,
खान मनजीत ने ख़ुशबू को बेकरार बताया।
हरियाणा के लाडले
हरियाणा के लाडले न्य या धूम मचा राखी सै,
सीमा पै तैनात रह कर जान जोखिम ला राखी सै। टेक।
भारत माता का सपना हम साकार करके दिखावागें,
वो भी हो तूफान दुश्मनी पीछे क़दम ना हटावागें,
छाती अपनी और वतन अपना दोनों का मान रखावागें,
माटी के लाल-सा हम सब माटी का मान रखावागें,
भारत के वीर सपूतो सुन लो, ना आवाम दुःखी राखी सै,
सीमा पै तैनात रह कर जान जोखिम ला राखी सै। १.
भारत का सुख मेरा और माथे का शृंगार सै,
करे दुश्मनी कोई उसका भी नरसंहार सै,
आबरू हमें बचानी माँ की यह मेरा संसार सै,
चमन हमारा पूरा देश मस्तिष्क का तारा सार सै,
दुश्मन अपने स्हामी बोल ज्या ना कसर कदे राखी सै,
सीमा पै तैनात रह कर जान जोखिम ला राखी सै। २.
गम नहीं कोई भी अगर मिल जाए वतन के लिए,
हम आजादी के परवाने हैं जिएंगे वतन के लिए,
अमन चैन की ज्योति जला सभी सुख वतन के लिए,
ना कभी सिलसिला ख़त्म हो मेरी हस्ती वतन के लिए,
हर रोज़ नया आगाज है और देश की इज़्ज़त राखी सै,
सीमा पै तैनात रह कर जान जोखिम ला राखी सै। ३.
हौसले बुलंद रहें और बल भुजाओं में रहे सदा,
शोक दुख त्यागकर अग्रसर बढ़ते रहे हम सदा,
दुर्गम पथ का भी हम डटकर सामना करें सदा,
खान मनजीत टकराकर भी शूल से आगे चलता है सदा,
वीर है वीर थे हमने भारत माता की सदा इज़्ज़त राखी सै,
सीमा पै तैनात रह कर जान जोखिम में ला राखी सै। ४
दोस्ती
दोस्त की पहचान दोस्ती करा ही देती है,
विद्यालय वाली दोस्ती अंत तक निभा ही देती है।
सुख दुख और पीड़ा में जो काम आए वह है दोस्त,
एक दूसरे की समझे भावना असली वह है दोस्त।
पढ़ने में और पढ़ाने में जो काम आए वह दोस्त,
खेलन और खेलाने में जो काम आए वह है दोस्त।
मात-पिता भी बच्चों के आजकल होते हैं दोस्त,
अध्यापक भी शिक्षा देकर बच्चों के बन रहे हैं दोस्त।
एक भाई और एक बहन भी आपस में अक्सर है दोस्त,
लड़ते झगड़ते फिर मिलते निभाते पूरी रहते हैं दोस्त।
दोस्त की पहचान उनके परिवार से ही हो जाती है दोस्त,
उनके माता-पिता संस्कार दें जैसे वैसे बन जाते हैं दोस्त।
संस्कार शिक्षा समर्पण सत्कार यह सब होने चाहिए दोस्त,
अनुशासन अनुपालन यह भी शब्द होने चाहिए दोस्त।
प्रेम और इश्क और मोहब्बत यह भी है एक दोस्त,
जिसको लग जाए जिसको हो जाए वह भी है एक दोस्त।
खान मनजीत के भी जो काम आते मौके पर दोस्त,
चिंता नहीं रहती अगर पत्नी सबसे अच्छी है दोस्त।
होली
तन में प्यार के तार जब उठते हैं,
गालों पर रंग गुलाल जब लगते हैं।
सभी रंगों का समावेश है इसमें,
होली का त्यौहार और खुशियाँ इसमें।
खुशियाँ उत्साह प्रेम मोहब्बत सब होली पर,
रंगों की बौछार का मेलजोल सब होली पर।
बदलते मौसम ने आज ली है अंगड़ाई,
चाचा ताऊ दादा दादी को भी मस्ती आई।
होली पर कर वैर द्वेष दुश्मनी की सफाई,
गाने दो मोहब्बत के गीत दिल की गहराई।
बच्चों अब चल रहे हैं तुम्हारे सालाना इम्तिहान,
मन लगाकर पढ़ाई करो नाम रोशन कर जहान।
खान मनजीत भी ध्यान हमेशा अब तू धर ले
भाईचारा मेलजोल मोहब्बत का पाठ पढ़ ले।
खान मनजीत भावड़िया मजीद
गांव भावड़ तहसील गोहाना सोनीपत हरियाणा
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