Table of Contents
एक दुखद गाथा (a sad tale)
एक दुखद गाथा (a sad tale)
ज़ख्म यूं देते हो की
मरम भी न काम कर सकते हैं
मरम की बात सुनते ही
ज़ख्म याद आते है
तुम्हारे घर होते भी
बंद घर में अकेले रहना पड़ता हैं ये
तुमसे बात करने आऊ तो
चुप बैठने को कह जाते हो
दोस्तों से रिश्ते दारों से
घंटों तक हस-हस कर बात करते हो
मेरे बात शुरू करते ही
चुप बैठने को कह जाते हो।
ज़ख्म यूं देते हो की
मरम भी न काम कर सकते हैं।
मरम की बात सुनते ही
ज़ख्म याद आते हैं।
अपनी खुशियों को फ़ोन पर तुम ढूँढते हो
मेरी खुशियों को मैं तुम पर ढूँढने आऊ तो
तो तुम मुझे भगा देते हो
दिन भर रसोई में काम करना पड़ता हैं
उस बीच कभी तुमसे बात करूं तो
कुछ जवाब न मिल पाता है।
तुम फ़ोन पर इतने मग्न हो की
तुम तक मेरी आवाज़ न पहुँच पाती है
कमरे में बैठे कर
रसोई में बैठे मुझे कॉमेडी फोरवेड करते हो
पर वह कोमडी तुम मेरे संग न कहते हो।
अकेले फ़ोन पर कॉमेडी देख-देख कर
तुम हंसते हो
पर मेरे कहे कॉमेडी पर तुम
नज़र अंदाज़ कर देते हो।
दोस्तों से फ़ोन पे
ओर बताओ ओर बताओ कहते हो
मेरे कुछ कहने से पहले ही
चुप बैठने को कह डालते हो।
ज़ख्म यूं देते हो की
मरम भी न काम कर सकते हैं
मरम की बात सुनते ही
ज़ख़्म याद आते है।
ये सिर्फ़ मेरे घर की बात नहीं
आज हर घर की बात यही।
ज़िन्दगी में रिश्ते कितने अटूट है
जिन्दगी में रिश्ते कितने अटूट है
यह सत्य हम कभी न कभी पहचान जाए।
माता पिता, भाई बहन, पति पत्नी
सब कहने को है खूब
जब बच्ची सयानी बन जाए
तो किसी से एक नया रिश्ता जुड़ जाए
पति-पत्नी बनते ही
मां-बाप, भाई-बहन सब पराये बन जाए।
पत्नी हमेशा पति का साथ चाहे
पर वह एक एहसास बनकर
दिल में ही ठल जाए।
पर वक़्त आने पर कुछ न कुछ
एहसास दिला जाए।
जिन्दगी में रिश्ते कितने अटूट है
यह सत्य हम कभी न कभी पहचान जाये
दाए हाथ में दर्द हुआ तो
बाए हाथ मरम लगा जाए।
रिश्ते चाहे जो भी हो
लेकिन बाए हाथ के लिए
हमेशा दाए हाथ ही काम आए।
जिन्दगी में रिश्ते कितने अटूट है
यह सत्य हम कभी न कभी पहचान जाए।
लोक डाउन
लोक डाउन ये आया है
एक नया संदेशा लाया है
वयस्थ जीवन से कुछ दिन
घर बैठने को मिल पाया है
आज घर बैठे बैठे
कुछ नया सीख
है मैंने पाया
नाना नानी संग बैठकर
पुराणों को है मैंने जाना
मम्मी संग रसोई में
मेंने है हाथ बटया।
लोक डउन ये आया है
जिन्दगी को नये नजरिए से
मैंने पाया है
बुजुर्गों की शिकायते
हुई है कम
बुढ़ापे के अकेलेपन को
दूर कर मेने
उनके दिलों को सुकून
पहुँचाया है।
मम्मी की बिटिया बनकर
मम्मी का हाथ बटाया
रसोई में मैंने
कुछ न कुछ पकवान बनाया
उन पकवानों को मेंने
सबको है खिलाया।
सबके दिलों में मैंने
अपना स्थान बनाया।
लोक डउन ये आया है
जीवन की आपाधापी से बचकर
कुछ नया सीखने को
मुझे मिल पाया है।
खूब सारे किताबों को पढ़कर
मेंने नया ज्ञान ये पाया है
नाना नानी संग समय बिताकर
उनके बूढापे में मैंने
एक नया चांद लगाया है
लोक डउन में मैंने
ये सब करने का
एक नया अवसर पाया है।
चलो सब मिलकर
घर बैठे बैठे
परिवार संग खुशिया बाटे
जिससे हमें कुछ सीख मिल जाए।
लोक डउन ये आया है
आज पालतू जानवर से भी
लगाव आया है।
उनके संग खेल-खेल कर
लोक डउन का
आनंद उठाया है
प्रकृति के विविध
पहलुओं को है
आज मेने जाना।
जो वाकई व्यस्थ
जीवन में न हो
सका साकार।
आज हुआ है साकार
आज लोक डउन ने
मुझे ये अवसर दिलाया है।
लोक डउन ये आया है
एक नया संदेशा लाया है।
मंजू नायर
यह भी पढ़ें-
2 thoughts on “एक दुखद गाथा (a sad tale)”