
प्रकृति
मन की आवाज़ (voice of heart)
दोस्तों आज हम आपके लिए लेकर आये हैं हमीरपुर की जानी-मानी लेखिका डॉ. पिंकी देवी की कहानी voice of heart… तो लुत्फ़ लीजिये… कहानी मन की आवाज़ का…
दो दोस्त थे। दोनों बचपन में एक साथ पढ़े लिखे थे। एक दोस्त जो पढ़ लिखकर बड़ा अमीर आदमी बन गया था। वहीँ उसका दोस्त गाँव में अपने माँ बाप के साथ रहता तथा उनकी सेवा करता। अमीर दोस्त विदेश में नौकरी के लिए चला गया। माता पिता को गाँव में ही छोड़कर शादी विदेश में ही कर ली और वहीं अपने पत्नी और बच्चों के साथ रहने लगा। अमीर दोस्त के माता पिता बहुत दुखी रहने लगे।
बहुत सालों बाद जब अमीर दोस्त गाँव में आया तो गरीब दोस्त अमीर दोस्त गांवों में मिलते हैं और रोज़ बगीचे में जाकर अपना सुख दुख, की बातें करने लगे। अमीर दोस्त गरीब दोस्त को अपने माता पिता की देखभाल करने के लिए कहता है। अमीर दोस्त कहता है कि मेरे बच्चे वहाँ विदेश में मेरे से दूर पता नहीं कैसे रह रहे होंगे अब मुझे गाँव छोड़कर जाना होगा। तभी गरीब दोस्त कहता है जिस प्रकार तुम्हारे बच्चे, तुम्हारे बिना दुखी होंगे उसी तरह तुम्हारे माँ बाप भी, तुम्हारे बिना दुखी रहते हैं। तुम उनके मन की आवाज़ क्यों नहीं समझते हो? अमीर दोस्त कहता है कि पैसा कमाने के लिए, अमीर बनने के लिए मुझे विदेश में ही रहना होगा। यहाँ ग़रीबी में मैं अपने परिवार को नहीं रख सकता। गरीब दोस्त ने इससे आगे कुछ भी नहीं कहा और चल दिया। लेकिन रात को उसने बहुत सोचा कि जिस तरह मैं अपने बच्चों के बिना नहीं रह सकता उसी तरह मेरे माँ बाप भी मेरे बिना कैसे रह रहे होंगे।
दोनों दोस्त फिर अगले दिन बगीचे में मिलते हैं दोनों दोस्त इधर उधर की बाते करते हैं, जब शाम होने लगी तभी गरीब दोस्त अचानक रुक गया। मित्र क्या हुआ? अमीर दोस्त ने आश्चर्यचकित होते हुए कहा। तुम्हें कुछ आवाज़ सुनाई दी। गरीब दोस्त ने आवाज़ सुनकर इधर उधर देखा। फिर नीचे झुकते हुए सिक्का उठाकर बोला किसी की आवाज़ नहीं थी मित्र मेरा सिक्का गिरा था इसकी आवाज़ थी। फिर भी गरीब दोस्त का मन शांत नहीं हुआ जिधर से आवाज़ आ रही थी गरीब दोस्त उधर की तरफ़ गया एक कांटे की छोटे पौधे में एक तितली पँख फड़फड़ा रही थी। गरीब दोस्त ने उस तितली को धीरे से बाहर निकाला और आकाश में आजाद कर दिया। अमीर दोस्त ने आद्रता से पूछा तुम्हें तितली की आवाज़ कैसे सुनाई दी? गरीब दोस्त ने नम्रता से कहा, तुम्हारे में और मुझ में यही फ़र्क़ है मित्र तुम्हें धन की आवाज़ सुनाई देती, है और मुझे मन की आवाज़ सुनाई देती है।
डॉ. पिंकी देवी
हमीरपुर
हिमाचल प्रदेश
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