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होली का रंग (color of holi)
color of holi: तुम्हें कैसे रंग लगाये,
और कैसे होली मनाये?
दिल कहता है होली,
एक-दूजे के दिलों में खेलो
क्योंकि बहार का रंग तो,
पानी से धूल जाता है
पर दिलका रंग दिल पर,
सदा के लिए चढ़ा जाता है॥
प्रेम-मोहब्बत से भरा,
ये रंगों का त्यौहार है।
जिसमें राधा कृष्ण का,
स्नेह प्यार बेशुमार है।
जिन्होंने स्नेह प्यार की,
अनोखी मिसाल दी है।
और रंग लगा कर,
दिलों की कड़वाहट मिटाते है॥
होली आपसी भाईचारे,
और प्रेमभाव को दर्शाती है।
और सात रंगों की फुहार से,
सात फेरों का रिश्ता निभाती है।
साथ ही ऊँच-नीच का,
भेदभाव मिटाती है।
और लोगों के हृदय में,
भाईचारे का रंग चढ़ाती है॥
आप सभी को होली की मंगल शुभ कामनाएँ और बधाई।
खुलकर कह दीजिये
हम भी किस से
दिल लगाकर बैठे है।
जो ज़माने से डरकर
घर में बैठे है।
मोहब्बत की बातें
दिन रात करते थे।
जब मिलनेका वक़्त आया
तो डरके घरमें बैठे गये॥
डर-डर के मोहब्बत तो
हमने शुरु की थी।
वो न जाने आज
किस डरको ले बैठे है।
अब भी वक़्त है सनम
घर से निकलकर देखो।
तेरे दीदार को हम
तेरे घरके सामने बैठे है॥
तेरे इंतज़ार में अब
पत्थर के हो गये है।
न जाने किस डरपोक से
मोहब्बत करके बैठे है।
वो मेहबूब के लिए तो
बहुत तरस रही है।
पर ज़माने के डर से
नहीं मिल पा रही है॥
अब ये दिल संभल
नहीं रहा तुम्हारे बिना।
कैसे आऊँ मैं अब
तुम्हारे दिलके अंदर।
जो भी है बात दिलमें
खुलकर कह दीजिये।
और अपने मन को
हल्का कर लीजिये॥
दिलमें लगी है जो आग
उसे बुझने मत देना।
मोहब्बत की लो को
दिलमें जलाये रखना।
दिलके अंगारो को
ओठों पर तुम रख देना।
और मोहब्बत के दीप
जबा दिलो में जला देना॥
आचरण
राम कृष्ण हनुमान की
करते सब बातें।
करे नहीं अमल पर
उनके आचरणों को॥
आये जब संकट तो
याद आये हनुमान।
हे संकट मोरचन तुम
हरो हमारे कष्ट।
मैं अर्पित करूँगा
तुम्हें घी और सिंदूर।
सुख शांति मुझे दो
मेरे पालन हार॥
बात करे जब भी
हम मर्यादाओं की।
याद आ जाते है
श्रीराम चंद्र जी।
उन जैसा कोई और
नहीं हैं मर्यादापुरूषोत्तम।
इसलिए हर नारी पूजे
उन्हें श्रध्दाभक्ति से॥
अब हम बात करें
स्नेहप्यार मोहब्बत की।
मनमें याद आ जाते
हमें मुरली वालेजी।
कितनी लीलाएँ रची
प्यार मोहब्बत की।
इसलिए अमर है जगमें
राधा कृष्ण की जोड़ी॥
राम कृष्ण हनुमान की
करते सब बातें।
करे नहीं अमल पर
उनके आचरणों को॥
दिए की तरह
किसी को पाने की चाहत में
लुटा रहे हो दिल अपना।
समझ उन को आएगा
क्या तुम्हारा ये तरीका।
प्यार होता है दिल से
किसी दिखावे से नहीं।
इसलिए दिल में सोच
सदा पाक तुम रखो॥
बुझ जाते है बहुत से दिये
हल्की-सी हवा से।
तो क्या वह तूफान का
समाना कर पाएंगे।
और अपने प्यार को
दिये की तरह जला पाएंगे।
और दुनियाँ में प्यार की
ज्योत को जला पाओगें॥
दिल में बसे प्यार को
पाने के लिए।
मोहब्बत का एहसास
उन को करा पआगें।
और मोहब्बत का दिया
दिल में जलवा पाओगें।
और प्यार की दुनियाँ
साथ उनके बसाओगें॥
मोहब्बत का ये तरीका
दुनियाँ वालो को दिखाओगें।
और मोहब्बत का महल
फिर से बनाओगें।
और राधा कृष्ण लैला मंजनू
हीर रांझा वाला इतिहास
फिर से दौहराओगें।
और इस जहाँ में भी
मोहब्बत अमर कर जाओगें।
और मोहब्बत का दीपक
घर घर में जलवा दोगें॥
लिखने को आयेगा
जो मोहब्बत को दूर से देखता है।
उसे ये बहुत अच्छी लगती है।
और जो मोहब्बत करता है
उसे मोहब्बत जन्नत लगती है॥
जिंदगी का सफ़र
यूँ ही कट जायेगा।
जिंदगी का उतार चड़ाव भी
पुरुषात से निकल जायेगा।
पढ़ना है यदि खुदको तो
दर्पण के समाने खड़े हो जाना।
और स्वयं के मंज़िल को
अपने अंदर गुन गुना॥
आज के दौर में सभी को
राम श्याम चाहिए।
पर ख़ुद सीता राधा और
मीरा बनने को तैयार नहीं।
वाह री दुनियाँ और इसे लोग
कुर्बानी सामने वाले से चाहिए।
और यश आराम ख़ुद को
बिना परिश्रम किये चाहिए॥
मेरे दिलकी पीड़ा को
कभी पड़कर देखो।
दिलकी गैहाराईयों में
तुम उतरकर देखो।
तुम्हें प्यार की जन्नत
और बिछी हुई चांदनी।
और बाग़ में खिले हुये
गुलाब नज़र आयेंगे॥
किसी दिल वाले से
दिल लगाकर देखो।
अपनी भावनाओं को
उसे बताकर तुम देखो।
वो प्यार के सागर में
तुम्हें वह डूबो देगा।
और एक कमल तुम्हारे
दिलमें खिला देगा।
तब तुम्हें अपनी और उसकी
मोहब्बत का एहसास होगा॥
कभी खुदमें सीता का
रूप तुम देखोगी तो।
तुम्हें अंदर से राम ही
राम नज़र आयेंगें।
और मोहब्बत के दीप
तुम्हारे दिलमें जल जायेंगे।
और तुम्हारी मोहब्बत को
लिखने फिर संजय आयेगा॥
क्या समझते है
मेहनत लगन और निष्ठा का
फल क्या मुझे मिलेगा।
बनाया है जो आशियाना
क्या उसमें रहने को मिलेगा।
या ये भी एक यादगार और
स्मारक बनकर खड़ा रहेगा।
जो मोहब्बत की कहानी को
अपने अंदाज़ में कहेगा॥
महफ़िल में रंग हम जमाते थे।
जब वह हमारे साथ होते थे।
हम तो आज भी यहाँ पर है।
लेकिन उनका तो पता नहीं।
मोहब्बत को हमने मोहब्बत से
अपनी आँखो में ही सदा देखा।
और उनकी आँखो में भी कभी
मोहब्बत के लिए नफ़रत न देखी॥
इश्क में जीने वाले लोग
इश्क में ही मरते है।
इश्क़ कामयाब होता है
तो ख़ुशी मिलती है।
न कामयाब होती है तो
जिंदा होकर मृत जैसे है।
इसलिए इश्क़ करना
आसान नहीं होता है॥
बनावटी महफिलो के लोग
आदि से हो चुकी हैं।
गीत संगीत नृत्य मोहब्बत से
उनका दूर तक सम्बंध नहीं है।
फिर भी महफ़िल में जाकर
नीयत का प्रदर्शन करते है।
और मोहब्बत को ऐसे लोग
आज बदनाम कर रहे है॥
मोहब्बत एक बड़ी इबादत है
जो हर किसी को नहीं मिलती।
खुश नसीब तो वह है जिन्हें
ये जन्नत आज मिल रही है॥
नया संसार
बचपन की यादों को,
मैं भूला सकती नहीं।
मां के आँचल की यादे,
कभी भूल सकती नहीं।
दादा दादी और नाना नानी,
का लाड़ प्यार हमें याद है।
वो चाची की चुगली,
चाचा से करना।
भाभी की शिकायत
भैया से करना।
बदले में पैसे पाना,
आज भी याद है।
और उस पैसे से,
चाट खाना भी याद है।
भाई बहिनों का प्यार,
और लड़ना भी याद है।
भैया की शादी का वह दृश्य,
आज भी आंखों के समाने है।
जिसमे भाभी की विदाई पर,
उनका ज़ोर से रोना याद है।
खुदकी शादी और विदाई का,
हर लम्हा याद आ रहा है।
मां बाप के द्वारा दी गई,
हिदायते और नसियाते।
मैं आजतक नहीं भूली
और न भूलूंगी।
क्योंकि अपनी दुनियाँ को
मैं खोकर आई हूँ।
पर दिलमें नई उमंगे लेकर,
साथ पिया के आई हूँ।
जो अब है मेरी जिंदगी
के आधार स्तम्भ।
मानो मेरी जीवन का
यही है अब संसार।
छोड़कर माता पिता और,
भाई बहिन को मैं।
नये माता पिता नंद देवर,
भाई बहिन जैसे पाये है।
छोड़ छोटी-सी दुनियाँ को,
मैं बड़ी दुनियाँ में आई हूँ।
अब जबावदारियों का बोझ,
स्वंय के कंधों पर उठाई हूँ।
क्योंकि दिया पिया ने मुझे
इतना स्नेह प्यार जो।
जिससे अब ख़ुद की
नई दुनियाँ बसाई हूँ।
और जो कलतक
खुद एक बच्ची थी।
आज माँ बन के
वो सामने आई है।
और खुदका घर संसार
बसाकर नया संसार पाई हूँ।
और संसार को चलाने में
खुदकी भूमिका निभा रही हूँ॥
जनसंख्या नियंत्रण
सुनो सुनता हूँ
देश की कहानी।
जिस में सबसे बड़ी
समस्या है जनसंख्या बृध्दि।
जिसके कारण देश की
व्यवस्था लड़ खड़ा जाती है।
बचानी है अर्थ व्यवस्था तो
जनसंख्या पर नियंत्रण करना पड़ेगा॥
करो पालन परिवार
नियोजन के तरीको का।
और पहला बच्चा
लोगो जल्दी नहीं।
और दूसरे में अंतर
रखो तीन साल का।
इस मंत्रको अपनाओगें तो
जनसंख्या पर नियंत्रण पाओगें॥
जिस तरह से हुआ
देश का विकास।
रुक गई अकाल मृत्युएँ
इसे कहते है देश की प्रगति।
पर इसके कारण ही बड़ गई
देश की जनसंख्या बृध्दि।
तो परिवार नियोजन को
जीवन में अपनाना पड़ेगा॥
साथ एक और सुझाव
जनसंख्या नियंत्रण का है।
करो निर्माण देश में
एक शिक्षित समाज का।
जो देश की प्रगति में भी
अपनी भूमिका निभायेगा।
और शिक्षित होने के कारण
स्वयं इस पर नियंत्रण हो जायेगा॥
आज के दौर में
आज के दौर का
दोस्तो क्या हाल है।
आधुनिकता के नाम पर
बेशर्मी का ये दौर है।
न अदब न शर्म और न ही
बची संस्कृति और सभ्यता।
इसे ही कहते है लोग
आज की आधुनिकता
आज की आधुनिकता…॥
इसलिए संजय लिखता
और कहता मंच से।
कि क़लम की स्याही
कभी सूख न जाए।
अपने कभी हमसे
रूठ ना जाये।
हमें वैसे भी कम
लोग पसंद करते है।
क्योंकि हम चापलूसी
कभी करते नहीं हैं॥
तू है प्रभु का दास
तो क्यों है उदास।
जब प्रभु का है
तेरे सिर पर हाथ।
तो क्यों रहता है
वंदे तू उदास।
इस दौर में कोई
किसी का नहीं है।
तो वंदे क्यों रखता हैं
तू किसी से आस॥
प्रेम पीड़ा दर्द वियोग
और प्रेम की भूख ही।
प्यार और मोहब्बत
इंसानो को सिखाती है।
और आपसी भाईचारा का
संदेश सभी को देती है।
और इंसानो को दोस्तो
इंसानियत सिखाती है॥
दिल में खिला दे
ये दिल कमवक्त किसी
न किसी पर आ जाता है।
भले ही सामने वाला
इसे पसंद करे न करें।
पर ये दिल उन्हें देखकर
बहक ही जाता है।
और मोहब्बत का बीज
यही से अंकुरित होता है॥
दिलकी पीड़ा सहकर
गीतकार बन गया।
मेहबूब को फूल भेजकर
उसके आशिक बन गये।
खोल दिया दिलका द्वार
उस मेहबूब के लिए।
जिसका वर्षो से है
मेरे दिल को इंतजार॥
हो जिसका दिल खाली तो
इस न चीज को याद करें।
अपने दिलके कोने में
कुछ तो हमें जगह दे।
और हो अगर मोहब्बत तो
भेजकर फूल इज़हार करें।
और अपनी मोहब्बत की
शुरुआत स्नेहप्यार से करें॥
अब तक तो दिल बेकरार है।
किसी दिलवाली का इंतज़ार है।
खाली न जाए ये सावन
इस बार बिना मेहबूब के।
और दिल के बाग़ में
खिला दे तू कमल॥
नया नबेला है
कभी दिलकी सुनकर देखो।
उसकी धड़कनो को पहचानो।
फिर संजय के दिलको सुनो।
शायद तुम्हारा दिल पिघल जाये।
और दिलमें मोहब्बत जग जाये॥
दिल को दिल में देखो।
सोई प्यार को जगा के देखो।
चाँद तारों के बीच में
दिल चमकता दिखेगा।
तब तुम्हें मोहब्बत
होने का पता चलेगा॥
मोहब्बत वह होती है
जो लवो से निकलकर।
दिल दिमाग़ में बैठ जाती है
साँसे बनकर दिल धड़कती है।
और अंदर ही अंदर मोहब्बत
होने का एहसास करवाती है।
और प्रेमीयों को बुला के
मिलने का साहस देती है॥
तुम अबतक मोहब्बत को
खेल समझ रही थी।
और दिलकी भवानाओं
से खेल रही थी।
जब मोहब्बत का काँटा
स्वयं के दिलको चुभा।
तो कांटे से ज्यादा
तुम ख़ुद रो रही थी॥
जो मेहबूब का इंतज़ार करते है
दिलसे उसे प्यार करते है।
लाख कांटे बिछे हो
मेहबूब की राह में।
फिर भी उन पर चलकर
मेहबूबा के लिए आयेगा।
और अपनी मोहब्बत को
वो परवान चढ़ायेगा॥
दिलकी आवाज़ से
नग़्में बदल जाते है।
मतलब न हो तो
अपने बदल जाते है।
कितनो ने इस दिलसे
अब तक खेला है।
पर दिल तो आज भी
मोहब्बत के लिए नया नबेला है॥
शब्दो से जीत लेते है
नफरतो से जीने वाले भी
मोहब्बत करना सीख गये।
हारी हुई जंग भी स्नेह प्यार
के बल पर जीत लेते है।
बहुत तागत होती है शब्दो में
और उन्हें कहने के तरीको में।
जो बड़े-बड़े युध्दाओं के
दिल को छू जाते है।
और पत्थर दिल होकर भी
शब्दो वाणी से पिघल जाते है।
और फिर अमन चैन शांति
का वातावरण बना कर।
बेवजह के हत्याओ से
दोनों मुल्को बच लेते है।
और विश्व को शांति का
एक प्यार संदेश देकर।
इंसानियत को लोगों के
दिलो में ज़िंदा रखते है।
और विश्व को संगठित करके
विकास के पथ पर चलवा देते है।
और हर्ष उल्लास का वातावरण
चारो तरफ़ स्थापित कर देते है।
और यह महान कार्य इंसानो
के द्वारा ही संभव होते है॥
सावन में तड़प
बचपन खोकर आई जवानी
साथ में लाई रंग अनेक।
दिलको दिलसे मिलाने को
देखो आ गई अब ये जवानी।
अंग अंग अब मेरा फाड़कता
आता जब सावन का महीना।
नये नये जोड़ो को देखकर
मेरा भी दिल खिल उठता॥
अंदर की इंद्रियों पर अब
नहीं चल रहा मेरा बस।
नया नया यौवन जो अब
अंदर ही अंदर खिल रहा।
तभी तो ये दिलकी पीड़ा
अब और सही नहीं जा रही।
ऊपर से सहेली की नई बातें
दिलमें आग लगा रही है॥
कैसे अपने मन को समझाये
दिलकी पीड़ा किसे बताये।
रात रात भर हमें जगाये
रंगीन सपनो में ले जाये।
भरकर बाहों में अपनी वो
प्रेमरस दिलमें बरसाये।
और मोहब्बत को अपनी
हमरे दिलको दिखलाये॥
सच में ये सावन का महीना
आग लगाकर रखता मनमें।
और न ये बुझाने देता है
अंतरमन की आग को।
कभी कभी खुदके स्पर्श से
खिल जाती दिलकी बगिया।
फिर बैचेनी दिलकी बड़ जाती
मन भावन की खोज में॥
साथ जीना पड़ेगा
तुझे दे तो दिया है
मैंने अपनी निशानी।
अब इसे संभलकर
तुझे ही रखना है।
अगर है दिलकी बात
तो दिलसे ही कहना है।
और अपनी प्रीत को
स्वयं बताना पड़ेगा॥
क्यों बार-बार रेत पर
नाम मेरा लिखती हो।
और बारबार आकर लहरे
उसे बहा ले जाती है।
यदि है तेरे दिल में
मेरे लिए कुछ तो कहो।
नहीं तो पत्थर पर
लिख दो अपना संदेश॥
बहुत खेल चुकी हो
आँख मिचोली का खेल।
अब इस पर से तुम्हें
पर्दा हटाना होगा।
और वर्षो की मोहब्बत को
अब परवान चढ़ना होगा।
और एक साथ जीवन
आगे का बिताना पड़ेगा॥
संजय जैन “बीना”
मुंबई
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