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मेरी भारतीय वायु सेना (my indian air force)
एक आसमानी संवेदना
भारतीय वायु सेना (indian air force): कोरोना योद्धाओं को जल थल नभ की हौसला अफजाई! देश की आसमानी सरहदों की प्रहरी वायुसेना में कोरोना के संहार की शुभकामना और अंतर्वेध की बात लेकर उपस्थित हुई हूँ आप सुधि पाठकों के संमुख।
शौर्य जीत के ताने-बाने युग ने स्वयं लपेटे हैं
उसे पता है कोटि-कोटि उसके जोशीले बेटे हैं
शौर्य जीत के साथ किया है वायुसेना ने भी तर्पण
हर नभ प्रहरी बने हिमालय किस-किस को लांघेगा दुश्मन॥
शौर्य और जीत के तर्पणों से सज्जित वायुसेना का ८अक्तूबर १९३२का वह चिरस्मरणीय दिवस भारतीय वायुसेना के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है क्योंकि इसी दिन रायल एयरफोर्स के छः अफसर और उन्नीस सिपाहियों के एक छोटे से स्कवाड्रन और महज़ एक वापिती से शुरु हुई, छोटी-सी उड़ान आज विश्व की चौथे नंबर की सबसे सबल, सफल, सक्षम, सतर्क एवं सजग वायुसेना बन गई है.
वैसे भारत का वैमानिक विज्ञान बहुत प्राचीन और उन्नत था। रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों के साथ-साथ अनेक संस्कृत ग्रंथों, हर्ष चरित, पंचतंत्र, समरांगण सूत्रधार एवं युक्ति कल्प तरु जैसे ग्रंथों में विमानों एवं वैमानिक युद्धों का वर्णन मिलता है। निःसंदेह उनकी भाषा संस्कृति की भाषा संस्कृत रही है। आचार्य भारद्वाज के वृहत विमान शास्त्र के अनुसार विमानों का उपयोग वाहन के रूप में वाहक और युद्ध वाहन के रूप में होता था।
ये कार्य तीन तरह से चलते थे- मांत्रिक, तांत्रिक और यांत्रिक। “त्रिपुर” तो ऐसा विमान था जो जल-थल-नभ तीनों ही स्थानों पर विचरण कर सकता था। और गर्व है मुझे कि आधुनिक भारतीय वायुसेना भी अपने प्राचीन वैमानिक ज्ञान की धरोहरों के साथ ब्रह्मांड की खोज और अंतरिक्ष की उड़ानों की ओर पर तौल रही है।
और यह कहने में मुझे कोई हिचकिचाहट नहीं है कि आज वायुसेना में मेरे भारत महान की सम्यक दृष्टि और सामासिक मानसिकता के चलते आज भारतीय वायुसेना “मिनी इंडिया” की प्रतीक है। विविध भाषाओं वाले देश के कोने-कोने से देश सेवा का जज़्बा अपने भीतर समेटे वायुयोद्धा अनेकता में एकता की मिसाल हैं और आज वायुसेना ने अपना एक और अभिनंदनीय स्वरूप दिखाया है कोरोना वारियर्स का सम्मान करके। आसमान से हो रही पुष्प वर्षा के द्वारा वायुसेना ने देश की संस्कृति का प्रसार किया।
कोरोना वीरों को सलाम करते हुए
यह सकारात्मक सोच देते हुए कि—
जाने कितनी उड़ान बाक़ी है
इस सोन चिरैया में अभी बहुत जान बाक़ी है
बांटनी थी जितनी ज़मीन बाँट ली तुमने
मेरे पास मेरा आसमान बाक़ी है-
जोखिम मोल लेकर फ़र्ज़ की राह पर डटे कोरोना वीरों को सेना का सम्मान भरा पैगाम। सबको देश का नमन। देश का शुक्रिया। फूलों की बारिश संग धुनों की सरगम, तालियाँ थालियाँ बजवा कर, दिये जलवा कर जो सम्मान दिया था उसी शृंखला में देश का एक और प्रणाम… कोरोना के ख़ौफ़ पर एक प्रहार। सेनाओं के द्वारा स्तुतिगान, चेतना का प्रणाम…
देश के अलग-अलग हिस्सों को एक सूत्र में, एक मनोदशा से जोड़ा… सुबह नौ बजे पुलिस मेमोरियल से लेकर देश के कोने-कोने के अस्पतालों में और एम्स दिल्ली तक पुष्प वर्षा एक सामूहिक शक्ति का संचार, आध्यात्मिक शक्ति का ऐलान युद्ध जीतने का नहीं युद्ध के लिए संजीवनी संचार का सार्थक प्रयास है।
कुल ५०० मीटर की ऊंचाई पर यान को उड़ाना और पुष्प वर्षा बहुत हौसलों का काम। भावुक-सा पल…
कहने वाले कहेंगे कि इससे क्या होगा क्या कोरोना भाग जाएगा… आज उन्हें भी प्रणाम!
हेमलता मिश्र मानवी
नागपुर
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