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सरदार वल्लभ भाई पटेल (Sardar Vallabh Bhai Patel)
Sardar Vallabh Bhai Patel: भारतीय एकता के, स्वप्न को सजाने वाले
करे किन शब्दों में, आपका आभार जी
कई-कई टुकड़ो में, देश था बँटा हुआ
एक कर दिया ऐसा, भव्यतम आकार जी
आई कई कठिनाई, किंतु चुप बैठे नहीं
हार को भी हराकर, दिये हो पछाड़ जी
चलता रहेगा, युग-युग तक, नाम तेरा
माँ भारती के लाडले, हे वीर सरदार जी
सुन के दहाड़ तेरी, थर-थर काँप जाते
लंदन में बैठे-बैठे, गोरे सरकार जी
बिल्ली से दुबककर, बैठ जाया करते थे
देश में छुपे हुए, कायर गद्दार जी
बुध्द जैसे शुद्ध नीति, शिवा जैसे युद्ध नीति
सिंहो-सा शत्रुओं को, देते ललकार जी
चलता रहेगा युग-युग तक, नाम तेरा
माँ भारती के लाडले, हे वीर सरदार जी
जीवन की कुछ सच्चाई
मैं अकेला था सदा से
मैं अकेला रह गया
ग़म को सारे ज़िन्दगी के
हँसते हँसते सह गया
कुछ भी मैंने न किया
ये काम है मेरे राम का
जाने वाला था ग़लत मैं
और अँधेरा हो गया
जो हमारा था ही नहीं
उसके लिए हम रोये क्यों?
आने वाले ख़ुशी के पल को
व्यर्थ ही हम खोये क्यों?
कहे “वीर” जब, खाना है आम
सुख का इस संसार में
दुःख के कांटे देने वाले
पेड़ बबूल का बोये क्यों?
न किसी से कर शिकायत
न किसी से कर गिला
भाग में था जो भी तेरे
बस वही तो है मिला
कहे “वीर” इस मिथ्या जग में
एक बात तो सत्य है
एक बार जो मुरझाया
वह फूल कहाँ है फिर खिला?
पर्यावरण बचाएँ हम
आओ वृक्ष लगाकर के
पर्यावरण बचाये हम
संरक्षण कर जीव जगत का
भू-मंडल सजाये हम
प्रकृति जब होगी सुरक्षित
होंगे तब हम भी खुशहाल
प्रण करे सब मिल-जुलकर
वृक्ष लगाएंगे हर हाल
मान इसे निज धर्म चलो
अपना कर्त्तव्य निभाये हम
आओ…
बहे नदी करती कल-कल
गूँजे वन में सिंह दहाड़
हरे-भरे आच्छादित वन में
मन मोहे विराट पहाड़
वन्य जीव का संरक्षण दे
मानव धर्म निभाये हम
आओ …
वीरेन्द्र सिंह ठाकुर
उदघोषक, कवि, व्याख्याकार
ग्राम-कपसीडीह (राजिम)
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