कुंडलियाँ (Kundalia)
कुंडलियाँ (Kundalia): धरती, खाद, हवा मिलें, फिर पानी से सींच।
दिन-रात सभी श्रम करें, वृक्ष बने हैं बीज।
वृक्ष बने हैं बीज, विशाल आकार लेते।
हरितिमा की बहार, फूल, फल, छाया देते।
कह संजय देवेश, बीज से खुशियाँ भरती।
हर जीवन में प्राण, भरे यह पावन धरती।
बालक तो यह बीज हैं, दें अच्छे संस्कार।
सही हो पालन-पोषण, मिलता उसे निखार।
मिलता उसे निखार, व्यक्तित्व में यह झलके।
रौशन करे समाज, चांद-सूरज-सा खिलके।
कह संजय देवेश, गर्व करते हैं पालक।
बीज बन गया पेड, उनका सफल यह बालक।
बादल उमडते नभ में, किसान मन हर्षाय।
बैल हल ले खेत चला, बीज खेत फैलाय।
बीज खेत फैलाय, बहाये खून-पसीना।
घनी फ़सल की आस, आस सुख से जीना।
कह संजय देवेश, धरती पुत्र है घायल।
इन्द्र देव नाराज, बिन बरसे गये बादल।
संजय गुप्ता ‘देवेश’
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