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देशभर के ७५ साहित्यकारों को मिला हिन्दी सेवक सम्मान २०२२ (Hindi Sevak Samman 2022)
साहित्यिक संस्थान जनभाषा हिंदी के तत्वाधान में हिंदी साहित्यकारों के प्रोत्साहन हेतु हिन्दी सेवक सम्मान २०२२ (Hindi Sevak Samman 2022) की घोषणा की गई थी, जिसमें संस्था द्वारा मई माह में रचनाकारों से प्रविष्टियाँ मांगी गईं थीं। संस्था को इस हेतु देश भर से १०७ रचनाकारों की प्रविष्टियाँ प्राप्त हुईं, जिनमें से ७५ रचनाकारों की प्रविष्टियाँ संस्थान के नियमानुसार सही एवं सटीक पाई गईं। सभी ७५ रचनाकारों को निःशुल्क हिन्दी सेवक सम्मान से सम्मानित किया गया।
हिन्दी सेवक सम्मान २०२२ (Hindi Sevak Samman 2022) से सम्मानित कलमकार सर्व श्री अख्तर ईब्राहिम पठाण- नासिक, महाराष्ट्र, अतुल कुमार शर्मा- सम्भल, उत्तर प्रदेश, अनन्तराम चौबे ‘अनन्त’- जबलपुर, मध्य प्रदेश, अब्दुल कलीम खां दायरा- खंडेला, सीकर, राजस्थान, अर्चना लखोटिया- केकडी, राजस्थान, उदय राज वर्मा ‘उदय’- अमेठी, उत्तर प्रदेश, उमाशंकर ‘मनमौजी’- भोपाल, मध्य प्रदेश, एस.के. कपूर ‘श्रीहंस’- बरेली, उत्तर प्रदेश, कलमकार- गंगासागर, मेरठ, कल्याण सिंह शेखावत- जयपुर, राजस्थान, कांशी राम- बधावड़, हिसार, हरियाणा, कृपा शंकर उपाध्याय ‘प्रीतम’- गंगापुर सिटी, सवाईमाधोपुर, राजस्थान, गणपत लाल उदय ‘दीवान’- अरांई, अजमेर, राजस्थान, गौतम इलाहाबादी- रेवाड़ी, हरियाणा, जयश्री बिरमी- अहमदाबाद, गुजरात, जे. एस. चौहान- इंदौर, मध्य प्रदेश, डॉ. अलका सिंह, आरएमएल एनएलयू, लखनऊ, डॉ. उमा गर्ग- मोहाली, पंजाब, डॉ. जियाउर रहमान जाफरी- गया, बिहार, डॉ. दीप्ति गौड़- ग्वालियर, मध्य प्रदेश, डॉ. मंजू गुप्ता- वाशी, नवी मुम्बई, डॉ. ममता पाठक- नई दिल्ली, डॉ. महेश मुनका ‘मुदित’- असम, डॉ. मीना कौशल ‘प्रियदर्शिनी’- गोंडा, उत्तर प्रदेश, डॉ. रमेन गोस्वामी- बांकुरा, पश्चिम बंगाल, डॉ. राजमती सुराना- भीलवाड़ा, राजस्थान, डॉ. वारिश जैन- विदिशा, मध्य प्रदेश, डॉ. श्रीलता सुरेश- बेंगलूर, डॉ. सरला सिंह- दिल्ली, डॉ. सुरेश जांगिड- रोहतक, हरियाणा, दिनेंद्र दास- बालोद, छत्तीसगढ़, दिपाली मिरेकर- विजयपुर, कर्नाटक, धर्मपाल धर्म- अलवर, राजस्थान, नटवर चरपोटा- बाँसवाड़ा, राजस्थान, नवाब मंजूर- छपरा, बिहार, निरंजन- अलवर, राजस्थान, निशांत बदायूँनी- बदायूँ, उत्तर प्रदेश, नीतेश उपाध्याय- दमोह, मध्य प्रदेश, नृपेन्द्र अभिषेक नृप- छपरा, बिहार, नेहा अजीज- ललितपुर, उत्तर प्रदेश, पवन गौतम- बारां, राजस्थान, पूजा शर्मा- विदिशा, मध्य प्रदेश, प्रतिभा जैन- टीकमगढ, मध्य प्रदेश, प्रियंका साव- पूर्व बर्द्धमान, पश्चिम बंगाल, प्रेम बजाज- यमुनानगर, प्रोफेसर रवीन्द्र प्रताप सिंह- लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ, उत्तर प्रदेश, बुद्धि प्रकाश महावर ‘मन’- दौसा, राजस्थान, भारत दोसी- बाँसवाड़ा, राजस्थान, भावना शर्मा- मेरठ, उत्तर प्रदेश, मनजीत कौर- हुबली, कर्नाटक, महेन्द्र भुवराज सोनेवाने- गोंदिया, महाराष्ट्र, मोनिका राज- मुरलीगंज, मधेपुरा, बिहार, युक्ता पारीक- किशनगढ़, अजमेर, रचना निर्मल- अर्जुन नगर, नई दिल्ली, रमेश कुमार सिंह ‘रूद्र’- बिहार, राजेश कुमार कौरव ‘सुमित्र’- नरसिंहपुर, मध्य प्रदेश, रोहिणी पराड़कर- कोल्हापुर, लीला कृपलानी- जोधपुर, राजस्थान, वचन मेघ- जालोर, राजस्थान, वरुण राज ‘ढलौत्रा’- सहारनपुर, उत्तर प्रदेश, विद्या शंकर अवस्थी ‘पथिक’- कानपुर, उत्तर प्रदेश, वीना आडवाणी ‘तन्वी’- नागपुर, महाराष्ट्र, शंकर लाल माहेश्वरी- भीलवाड़ा, राजस्थान, शरद अजमेरा- भोपाल, मध्य प्रदेश, शिखा गोस्वामी “निहारिका”- मुंगेली, छत्तीसगढ़, शिवम् गुप्ता- फतेहपुर, श्रीराम साहू ‘अकेला’- महासमुंद, छत्तीसगढ़, सारिका शर्मा- वाराणसी, उत्तर प्रदेश, सिद्धेश्वरी सराफ- जबलपुर, मध्य प्रदेश, सुदेश मोदगिल ‘नूर’- पंचकुला, हरियाणा, सुरेश भड़के- नासिक, महाराष्ट्र, सुवर्णा जाधव- पुणे, महाराष्ट्र, सुशीला जोशी ‘विद्योत्तमा’- मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश, सुषमा खरे- जबलपुर, मध्य प्रदेश व सौ सिंह सैनी, हरिद्वार, उत्तराखण्ड ने इस सम्मान के लिए संस्था एवं संस्थान की कार्यकारिणी का आभार व्यक्त किया एवं कहा कि इस प्रकार के सम्मान पत्र किसी रचनाकार में नई ऊर्जा का संचार करते हैं और हिंदी साहित्य में नए – नए कलमकारों का उत्साहवर्धन होता है।
संस्थान के संस्थापक एवं संचालक मनोज कुमार “मंजू” जी से बात करने पर उन्होंने बताया कि संस्थान का उद्देश्य जन – जन की भाषा हिंदी को जन – जन तक पहुँचाना है। आगे उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य हर मनुष्य के हाथ में एक ऐसी कलम पकड़ाना है जो हिंदी लिखे। इससे आने वाले समय में हिंदी साहित्य फल फूल कर और समृद्ध होगा तथा माँ हिंदी सारे संसार में सर्वोपरि होगी।
संस्था के बारे में आगे बताते हुए मनोज कुमार “मंजू” जी ने कहा कि हमारी संस्था जनभाषाहिन्दी.कॉम के मूल वाक्य “साहित्य, समाज, संस्कार” के अनुसार जब साहित्य समाज तक पहुँचता है तभी संस्कार जन्म लेते हैं। संस्था लगभग ३ वर्ष से लगातार हिंदी साहित्यवर्धन के लिए कार्य कर रही है, इस दौरान संस्था द्वारा अनेकों ऑनलाइन अखिल भारतीय कवि सम्मेलन कराये गए साथ ही साथ संस्था के माध्यम से लगभग एक दर्जन से अधिक साझा संग्रहों का प्रकाशन भी किया गया एवं संस्था के वेब पोर्टल पर अब तक हिंदी साहित्य की हर विधा की लगभग २५००० रचनाओं का प्रकाशन भी किया जा चुका है।
संस्था ने न सिर्फ भारत में अपितु विदेशों में भी करीब ५००० नये कलमकारों को हिंदी साहित्य से जोड़ा है। कोरोना-काल के मुश्किल समय में देश के नागरिकों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए संस्था ने स्वनिर्मित वस्तुओं के उत्पादन संबंधित कार्यक्रम चलाये और विजेताओं को सम्मान पत्र व पुरुस्कार राशि भी वितरित की। संस्था के मार्गदर्शक डॉ. संदीप कुमार शर्मा जो पिछले २० वर्षों से साहित्यसेवा कर रहे हैं, कहते हैं कि ऐसी संस्थाएँ ही हैं जिन्होंने हिंदी का स्थान विश्व में सुरक्षित बनाए रखा है। साथ ही उन्होंने कहा कि संस्था आने वाले समय में बड़े बड़े कार्यक्रम कराती रहेगी। कार्यक्रम संयोजन दिनेश सेन “शुभ” का रहा।
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१- मातृभूमि
Thankful to each and everyone who are related with this type of innovative thinking. May this grew as a huge baniyan tree, where all the writers are it’s leaves
Thanks
Thanks a lot to every one I am proud of my brother S. K . Kapoor Shri hans He is a great writer
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