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कोरोना काल (corona era) में कैसी हो दीपावली
कोरोना काल (corona era): “आओ इस बार दिवाली कुछ इस तरह से मनाएँ,
पोछे किसी के आँसू, किसी चेहरे पर मुस्कान लाएँ।
ले प्रेरणा दीपक से, दूसरों का जीवन प्रकाशित करने की,
कोरोना के गहन अँधेरे में, आशा का दीप जलाएँ॥”
प्रस्तावना
दिवाली हिंदुओं का प्रमुख त्यौहार है। यह कार्तिक माह की अमावस्या के दिन बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है किंतु समय परिवर्तनशील है। परिस्थितियाँ भी निरंतर बदलती रहती है। मास पर मास बीत गए और आ गया दीपावली का भव्य व मंगलमय त्यौहार। परंतु आज पहले जैसा वातावरण नहीं है। कोरोना महामारी ने देश में ऐसी दस्तक दी है कि सब कुछ बदल गया है।
त्योहारों के देश भारत में पहले की तरह उत्साह व मेल मिलाप के साथ त्यौहार मनाना एक स्वप्न की भाँति दिखाई देने लगा है। परंतु कहते है न ‘जहाँ चाह वहाँ राह’ आज जब हमारा देश कोरोना महामारी से संघर्ष कर जीत हासिल करने वाला पहला देश बनता जा रहा है तो क्यों न हम भारतवासी भी पूर्ण सतर्कता बरतें और मनाएँ दीपावली का त्यौहार।
उद्देश्य
दीपावली मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों में खुशियों व एकता की भावना का विकास करना है क्योंकि एक कथा के अनुसार श्रीराम जब रावण पर विजय प्राप्त कर अयोध्या लौटे थे तब अयोध्या वासियों ने खुश होकर अमावस्या की काली रात को असंख्य दीपों की रोशनी से जगमगा दिया था। तभी से यह त्यौहार बड़े हर्ष व उल्लास के साथ मनाया जाता है।
जिस प्रकार चौदह वर्ष बाद श्रीराम के आगमन के साथ अयोध्या वासियों के दुख के बादल छँट गए थे, उसी प्रकार इस दिवाली के आगमन से दुनिया पर छाए इस महामारी के बादल भी छँट जाए कुछ इसी तरह की कामना के साथ हमें भी इस वर्ष दिवाली के मंगलमय त्यौहार का स्वागत करना चाहिए।
इस बार की दिवाली हो कुछ इस तरह।
खुशियों की हो भरमार, किंतु रहे सुरक्षा का पूर्ण ध्यान॥
सावधानियाँ
इस त्यौहार की तैयारियाँ कई दिनों पूर्व ही शुरू हो जाती है। सभी घरों की साफ़-सफ़ाई करते है, किंतु इस समय चारों ओर जो महामारी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है ऐसे समय में हमें विशेष सावधानी रखनी होगी। यदि घर में कोई बुज़ुर्ग व्यक्ति है तो उनका विशेष ध्यान रखना होगा जिससे उन्हें धूल आदि से किसी तरह की असुविधा न हो।
खरीददारी करते समय भी हमें सावधानी रखनी होगी जो भी सामान मँगवाया गया है उसे पूरी तरह से कीटनाशक द्वारा कीटाणुरहित करने के बाद ही प्रयोग में लेना चाहिए। मिठाइयाँ भी जहाँ तक संभव हो घर पर ही निर्मित हो। अनावशयक घर से बाहर जाने से बचना चाहिए। जहाँ तक संभव हो भीड़ एकत्रित न करें और यदि कही पर हो तो उसका हिस्सा न बनें।
विशेष
इस महामारी ने न सिर्फ़ हमें शारीरिक क्षति पहुँचाई है बल्कि अनेक लोगों से रोजगार भी छीन लिया हैं। ऐसे समय में यदि हम अपनी क्षमता के अनुसार उन लोगों की मदद करें और उनके जीवन में खुशियों के कुछ पल जोड़ने में सहायक बनें तो दिवाली का यह त्यौहार पूर्णतः सार्थक होगा।
साथ ही यदि हमारे आस-पास कोई कोरोना पीड़ित परिवार हो तो उनके घर पर भी दीयों का प्रकाश कर व मिठाइयाँ व उपहार देकर उन्हें भी इस त्यौहार का भागीदार बनाएँ। इस समय हमें आतिशबाजी करने से बचना चाहिए क्योंकि यह पर्यावरण के लिए हानिकारक है।
उपसंहार
यह प्रकाश पर्व हमें असत्य पर सत्य की विजय के साथ ही ख़ुशी एवं आनंद पूर्वक रहने का संदेश भी देता है। अतः हमारा दायित्व है कि हम पूर्ण सुरक्षा का ध्यान रखते हुए इस त्यौहार को मनाकर यह सिद्ध कर दे कि कोई भी महामारी हमारे पर्व के आनंद को कम नहीं कर सकती।
“कोरोना के बीच मनाएँ, कुछ इस तरह त्यौहार,
मास्क पहने और दो गज दूरी का पूर्ण करे व्यवहार।”
दीपलता गौड़
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