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सदा धर्म (religion) निभाना
आज लिखो कल भूल न जाना,
सच्चे भ्राता बन सदा धर्म (religion) निभाना।
कहीं न अस्मत लूटे धरा पर,
अबला न हो कोई बहिन धरा पर,
पावन रक्षा के धागे से,
बहे मानवता पावनता धरा पर।
हर नारी को मिले सम्मान सदा,
ऐसी ही झलक सब दिखलाना।
भारत भू की हर बहना की,
सब रक्षा को अब आगे आना॥…
आज लिखो कल भूल न जाना,
सच्चे भ्राता बन सदा धर्म निभाना। …
बनना नहीं नर पिशाच कभी,
बहना पर आये न आँच कभी।
पावन धागे से भी कर लो,
स्वयं के मन की जाँच सभी॥
दहले न कभी दहलीज़ कोई,
चक्षु मोती न बिखराना। …
आज लिखो कल भूल न जाना,
सच्चे भ्राता बन सदा धर्म निभाना। …
लेखनी की ताकत को अब,
व्यभाचारी पर भी चलाना।
रहे सुरक्षित हर एक बहना,
सदा अपराधी को सजा दिलाना।
इस पावन रक्षा के धागे का,
सदा सदा ही कर्ज़ निभाना।
आज लिखो कल भूल न जाना,
सच्चे भ्राता बन सदा धर्म निभाना। …
चले लेखनी ऐसी
चले लेखनी सदा ही ऐसी,
अंधियारा ही मिट जाये।
फैला दो प्रकाश सदा तुम,
कोहरा जिससे छंट जाये।
सत्य पथ पर रहें अडिग हम,
साहस से सदा ही डट जायें।
चले लेखनी सदा ही ऐसी,
अंधियारा ही मिट जाये॥…
सच्ची लेखनी के प्रभाव से,
सिंहासन भी हिल जाये।
बिनते कूड़ा नन्हे हाथों को,
बस्ता क़लम भी मिल जाये।
प्रहार बुराई पर कर दो,
खोया बचपन भी मिल जाये।
चले लेखनी सदा ही ऐसी,
अंधियारा ही मिट जाये॥…
राजा रंक का भेद यहाँ पर,
लेखनी से भी कट जाये।
डिगे न पग विपदा में कभी भी,
साहस सदा ही मिल जाये।
रहे न कोई भूखा प्यासा,
सबको छत भी मिल जाये।
चले लेखनी सदा ही ऐसी,
अंधियारा ही मिट जाये॥…
जाति-धर्म का भेद न हो,
ऊंच नीच की हो न भावना।
सदा आपसी भाईचारे की,
एकता को हम दिखलायें।
चले लेखनी सदा ही ऐसी,
अंधियारा ही मिट जाये॥…
हो न व्यर्थ रस गुणगान किसी का,
हो सदा सच्चाई का सम्मान।
समझो क़लम की ताकत को तुम,
बने लेखनी सबका अभिमान।
फैला दो मानवता की किरणें,
खुशियाँ सभी को मिल जाये।
चले लेखनी सदा ही ऐसी,
अंधियारा ही मिट जाये॥…
मातृभूमि की सेवा में हम,
आओ एकता दिखलायें।
भारत माता की सेवा में,
सच्चे वीर सपूत हम बन जायें।
भारत भू सदा सेवा में तेरी,
जीवन यह अर्पित हो जाये।
बनकर क़लम के सच्चे सिपाही,
आओ सेवा में डट जायें।
चले लेखनी सदा ही ऐसी,
अंधियारा ही मिट जाये॥…
वंदना
मानवता का दीप जले,
प्रभु ऐसा देना वरदान।
प्रेम भाव का हो उजियारा,
नित नित करता मैं गुणगान॥
प्रभु ऐसा देना वरदान। …
राग द्वेष की बहे न धारा,
हिंसा मुक्त हो जगत हमारा।
सारे जग में भारत अपना,
सदा बने यह सबसे प्यारा॥
पावन धरा में हो खुशहाली,
बने सदा यह देश महान॥
प्रभु ऐसा देना वरदान। …
हो न कोई अपराध कभी,
वाणी में हो पावनता।
ऊँच नीच की हो न भावना,
जग में फैले मानवता॥
एक दूजे का हम करें,
सदा सदा ही अब सम्मान॥
प्रभु ऐसा देना वरदान। …
नित नित मैं तेरा ध्यान करूँ
नित नित मैं तेरा ध्यान करूँ,
हे माँ तेरा गुणगान करूँ।
ज्ञानप्रदायनी, वीणावादनी,
माँ तेरी जयकार करूँ, …
तेरे आंचल में जो आता,
जीवन धन्य-धन्य हो जाता।
ज्ञान प्रफुल्लित चहुँ दिशा में,
दीपक बनकर सदा फैलाता।
माँ कर दे राह मेरी आलोकित,
नमन मैं बारम्बार करूँ।
ज्ञानप्रदायनि वीणावादनी,
माँ तेरी जयकार करूँ…
नित नित मैं तेरा ध्यान करूँ,
हे माँ तेरा गुणगान करूँ।
हंस सवारी माँ कहलाती,
वाणी में भी है बसती।
सदमार्ग मिले हे मातेश्वरी,
जब जब वीणा है बजती।
वीणा की झंकार बजा दे,
ज्ञान का तरकश हे माँ भर दे।
रज तेरे चरणों की बनूँ,
विनती मैं बारम्बार करूँ,
ज्ञानप्रदायनी वीणावादनी,
माँ तेरी जयकार करूँ।
नित नित मैं तेरा ध्यान करूँ,
हे माँ तेरा गुणगान करूँ, …
भुवन बिष्ट
अल्मोड़ा, उत्तराखण्ड
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