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नमन तुम्हें (salute you)
नमन तुम्हें (salute you): शिक्षक है हर वह इंसान,
जो बातें नयी सिखाता है।
भटके हुए जो राहों से,
मन्जिल उन्हें दिखाता है॥
प्रथम नमन है स्व जननी को,
जो इस दुनिया में लाती है।
हर माँ अपने बच्चे को,
बातें नयी सिखलाती है॥
द्वितीय नमन है स्व तात को,
जो हमको आगे बढ़ाता है।
जो ख़ुद कभी ना देख सका,
उन सपनों को हमें दिखाता है॥
अंतिम नमन है सब गुरुजनों को,
जो मन्जिल तक पहुँचाते हैं।
जलते हैं दीपक की तरह,
प्रकाश जहाँ में फैलाते हैं॥
आया राखी का त्यौहार
सावन का महीना आया,
आया राखी का त्यौहार।
बहन भाई का प्यार संजोता,
यह प्यारा अद्भुत त्यौहार॥
बहन-भाई का रिश्ता ऐसा,
जिसमें ना कोई दूरी है।
यदि बहन कभी ना आ पाये,
तो यह उसकी मजबूरी है॥
बहन ना आयी इस राखी पर,
तो भैया आ जाना तुम।
रेशम के सुन्दर धागों से,
कलाई को सजवा जाना तुम॥
जियो हजारों लाखों साल,
स्वस्थ रहे तेरा तन-मन।
यश तेरा चहुँ दिशि फैले,
महके जीवन जैसे उपवन॥
प्यारा-सा रिश्ता हमारा,
फूले-फले खुशहाल रहे।
रहे भले ही दूर हम,
पर सदा खुशहाल रहे॥
बहन भाई का प्रेम
बहन भाई का प्रेम अपार,
दर्शाता राखी का त्योहार।
श्रावण मास की पूर्णिमा को,
मनाया जाता है हर बार॥
राखी बाँधे तिलक लगाए,
माँगे खुशियों की सौगात।
भाई बहन के निश्चल प्रेम को,
दर्शाती है यह बात॥
बहन-भाई के इस रिश्ते को,
पैसों से ना तोलो तुम।
यह रिश्ता है बहुत ही पावन,
इसमें विष ना घोलो तुम॥
प्राणों से भी ज्यादा,
एक दूजे को करते हैं प्यार।
भाई-बहन के अटूट प्रेम को,
जानता है यह संसार॥
ना मिल पाए इस राखी पर,
कोई तो होगी मजबूरी।
तन से दूरी हो सकती है,
पर नहीं होगी मन की दूरी॥
इस राखी ना आ पाये क्या?
अगली राखी आना तुम।
मैं आऊँ या तुम आओ,
इस रिश्ते को निभाना तुम॥
भाई की कलाई
इस राखी भाई ना आया,
ऐसी क्या मजबूरी है?
भाई-बहन के इस रिश्ते में,
आयी कैसी दूरी है॥
क्या उसको याद नहीं,
या माँ ने ना समझाया है।
या कोई और सच है?
जो मुझसे गया छिपाया है॥
क्या कहूँ जब सब यह पूछे?
क्यों ना आया तेरा भाई।
इस राखी पर क्यों सूनी है?
तेरे भाई की कलाई॥
शाम ढले जब भाई आया,
घर में खुशियाँ है छायी।
ऐसा लगा सूर्य ने जैसे,
धरा पर रोशनी फैलायी॥
बोला तबीयत सही नहीं थी,
दर्द हो रहा था भारी।
पर तेरे इस बन्धन के आगे,
ना टिक पाई यह बीमारी॥
श्रीमती भावना शर्मा
स०अ०
उ०प्रा०वि० नारंगपुर (१-८) परीक्षितगढ़, मेरठ
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