रक्षाबंधन (Rakshabandhan) का त्यौहार भाई बहन के प्रेम का प्रतीक
रक्षाबंधन (Rakshabandhan) : कुछ महीने पहले की बात है, एक भाई था जिसका नाम कपिल था जो हरियाणा में रहता था। उसकी बहन बबली का ससुराल दिल्ली में था। एक दिन उसकी बहन का बेटा प्रकाश अपने मामा से मिलने हरियाणा में चला गया था उस समय कोरोना की महामारी के कारण लॉकडाउन चल रहा था फिर भी लोगों को सावधानी बरतते हुए कहीं आने-जाने की इजाज़त सरकार की तरफ़ से मिली हुई थी।
सुबह का समय था जब प्रकाश अपने मामा से मिलने उनके घर पहुंँच गया था पर उसके मामा टैक्सी चलाते थे इसलिए घर पर नहीं थे। उनके घर पर उनकी दो बेटियांँ थी जिनकी उम्र ४० वर्ष हो चुकी थी जब प्रकाश अपने मामा के घर के अंदर कमरे में जाने लगा तो उनकी दोनों बेटियों ने कमरे के बाहर कुर्सी निकाल कर रख दी और प्रकाश से कहा बाहर ही रहो फिर प्रकाश को कुर्सी पर बैठने के लिए कहा।
प्रकाश सीधा साधा लड़का था तो वह उन दोनों की बात मन ही मन समझ तो गया था पर उसने कुछ कहा नहीं वह दोनों ही बहने प्रकाश का अपमान कर रही थी, फिर प्रकाश यह सब देखकर वापस अपने घर दिल्ली आ गया जब प्रकाश घर आया उसने यह बात अपनी मम्मी बबली और घर में बताई प्रकाश के घर में उसकी बहन पिंकी और पापा थे प्रकाश का छोटा और सुखद परिवार है।
प्रकाश ने बताया कि जब वह मामा के घर गया तो उसे बाहर ही बैठा दिया गया और घर में उसने भी नहीं दिया यह बात सुनकर प्रकाश की बहन पिंकी और सभी घरवाले क्रोधित हुए और सभी ने कहा कि लॉकडाउन चल रहा है तो क्या घर में भी नहीं घुसने देंगे और उसके पापा भी घर से बाहर काम के लिए जाते हैं। जो प्रकाश का मामा था फिर यह सब बातें हो ही रही थी कि प्रकाश की बहन पिंकी को बहुत गुस्सा आ रहा था।
पिंकी के लिए आत्मसम्मान से बढ़कर कुछ नहीं है पिंकी ने कहा मामा को फ़ोन लगाओ तो फिर प्रकाश के पिता ने फ़ोन लगाया और कहा कि जब प्रकाश आया था तो उसे घर में बैठा लेते उसे बाहर ही बैठा दिया तो प्रकाश के मामा ने अपनी दोनों बेटियों का ही पक्ष लिया और कहा जब लॉकडाउन चल रहा है तो उसे भेजा ही क्यों अपने घर पर ही रहता। यह बात सुन फिर प्रकाश के पिता ने फ़ोन ही काट दिया।
प्रकाश के मामा बहुत ही मतलबी और घमंडी क़िस्म के व्यक्ति थे और उनके परिवार के सदस्य भी उन्ही की तरह बदतमीज थे। पिंकी को बहुत गुस्सा आ रहा था कि एक तो मामा की बेटियों गलती की और अब हमें ही भाषण दिया जा रहा है यह बात होने के बाद एक महीने बाद ही रक्षाबंधन का त्यौहार आने वाला था तो कपिल की बहन बबली सोच और विचार में उलझ गई एक तरफ़ भाई और दूसरी तरफ़ अपने परिवार का सम्मान।
बबली के भाई उसे प्यार नहीं करते थे पर बबली अपने चारों भाइयों से प्यार करती थी और हर रक्षाबंधन के दिन अपने भाइयों को राखी बांँधने जाती थी पर इस बार पिंकी ने अपनी मम्मी से कहा कि राखी बांँधने मत जाना जब वहांँ हमें सम्मान ही नहीं मिल सकता तो राखी बांँधने से कोई फायदा नहीं है यह दिखावा करने क्या फायदा। जब मामा आपको कुछ समझते ही नहीं है।
बबली गरीब थी और उसका भाई अमीर थे फिर भी बबली को आर्थिक रूप से मदद नहीं करते थे और ना ही कभी उसका साथ देते थे बबली का भी इस बार रक्षाबंधन पर जाने का मन नहीं था। प्रकाश की बहन पिंकी ने भी अपनी मम्मी को बहुत समझाया कि हर बार आप वहांँ राखी बांँधने जाते हो जब भी आपको सम्मान नहीं मिल मिलता है इस बार आप राखी बांँधने जाओगे और आपको भी प्रकाश की तरह घर में घुसने नहीं दिया और घर से बाहर ही बैठा दिया तो कितना अपमान सहना होगा और आपको कितना बुरा लगेगा।
बहुत-सी बातें पिंकी और उसकी मम्मी के बीच में चल रही थी। पिंकी की मम्मी अपने भाइयों को तो भाई मानती थी पर उसके भाई अपनी बहन को सिर्फ़ दिखावा करने के लिए ही बहन मानते थे। फिर पिंकी की मम्मी ने बोला इस बार राखी से पहले फ़ोन करके पूछ लूंँगी कि रक्षाबंधन पर आना है या नहीं तो फिर पिंकी ने कहा अगर उन्होंने मना कर दिया तो फिर क्या होगा हमें अपनी इज़्ज़त प्यारी है हमेशा आप ही क्यों उनके आगे झुकती हो।
वह इतने बड़े हैं उनकी बेटियांँ भी इतनी बड़ी उम्र की हैं जब भी वह हमारा हमेशा अपमान करती हैं फिर आप क्यों नहीं मानते होमेरी बात को। इसलिए इस बार रक्षाबंधन पर मत जाओ पिंकी को बहुत गुस्सा आ रहा था क्योंकि पिंकी किसी त्यौहार या रिश्ते को दिखावा नहीं सब समझती बल्कि सच्चाई और प्रेम से हर रिश्ते को निभाना चाहिए इसबात पर विश्वास करती है पिंकी को दिखावा पसंद नहीं है।
पिंकी की मम्मी भी रक्षाबंधन के दिन अपने भाई के घर जाऊंँ या ना जाऊंँ यह सोचती रहती है। रक्षाबंधन भाई और बहन के प्रेम का त्यौहार है। पर जिस रिश्ते में प्रेम ही ना हो फिर राखी बाँधने से उस रिश्ते में कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता यह मानना पिंकी का था। थोड़ा समय बीत जाने के बाद पिंकी की मम्मी अपने भाई को हर साल राखी बांँधने रक्षाबंधन के दिन जाती थी तो इस बार भी वह जब उनका गुस्सा शांत हो गया तो वह कहती हैं।
मैं राखी बांँधने जाऊंँगी। एक तरफ़ पिंकी की मम्मी का भाई के प्रति प्यार झलकता है और दूसरी तरफ़ पिंकी के मामा का स्वार्थीपन झलकता है पिंकी के मामा को किसी भी रिश्ते के टूट जाने से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। पर पिंकी की मम्मी को हर रिश्ते को वफादारी और प्यार से निभाने की आदत है। यह एक तरफा प्यार है जो भाई के लिए है पर बहन के लिए भाई का प्यार कहीं नज़र नहीं आता है।
किसी भी त्यौहार पर पिंकी की मम्मी का भाई कभी अपनी बहन के घर नहीं आते हैं और अमीर होते हुए भी पैसे की तंगी का नाटक करते रहते हैं। लॉकडाउन में भी पिंकी के मामा ने अपनी बहन से नहीं पूछा कि कोई दिक्कत तो नहीं है। घर में सब ठीक है या नहीं। उन्हें किसी बात से कोई मतलब नहीं है। उन्हें किसी रिश्ते से फ़र्क़ नहीं पड़ता है। वह सिर्फ़ दिखावे की ज़िन्दगी को जी रहे हैं और खुश हैं।
वह सिर्फ़ भंडारा और कीर्तन करके लोगों को दिखाते हैं कि वह कितने अच्छे हैं और दूसरे लोगों के सामने अच्छाई का दिखावा करते हैं। पर असलियत में वह झूठे व्यक्ति हैं और एक तरफ़ पिंकी है जो दिखावा पसंद नहीं करती और सच्चाई से ही ज़िन्दगी जीने में विश्वास करती है।
फिर कुछ दिन बाद रक्षाबंधन का दिन आ गया था जब प्रकाश को पिंकी ने राखी बांँधी और प्रकाश को तिलक लगाकर, मिठाई खिलाई और रक्षाबंधन का त्यौहार को बड़े प्यार से मनाया। प्रकाश और पिंकी दोनों भाई बहन एक दूसरे का सम्मान और आपस में प्रेम करते थे प्रकाश और पिंकी को तो हमेशा से ही रक्षाबंधन के दिन का इंतज़ार रहता है और वह दोनों धूमधाम से यह त्यौहार मनाते हैं। प्रकाश और पिंकी फोटो भी खींच लाते हैं और बड़े खुश होते हैं। के रक्षाबंधन के इस त्यौहार में उनके घर में रौनक और खुशियांँ आ जाती हैं।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन में किसी को अपने पैसों पर घमंड नहीं करना चाहिए और इंसान को इंसानियत का फ़र्ज़ निभाना चाहिए और अपने सभी रिश्तो को सच्चाई से निभाना चाहिए।
पूजा सैनी
नई दिल्ली
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