आज की युवा पीढ़ी और आत्महत्या (Today’s youth and suicide)
आज की युवा पीढ़ी और आत्महत्या (Today’s youth and suicide) : आजकल दुनिया में आत्महत्या करने वालों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है और इसमें सर्वाधिक है तो वह है युवा पीढ़ी। युवाओं में आत्महत्या करना आम हो गया है। इसका सबसे बड़ा कारण सोशल मीडिया जिसके कारण आदमी-आदमी से दूर हो गया।
एकांतवादी, चिड़चिड़ापन आने से आत्महत्या जैसे क़दम उठाने पर मजबूर हो जाता है। सोशल मीडिया मोबाइल फ़ोन ने लोगों की तनहाई के बंवडर में क़ैद कर लिया है। जिससे मनुष्य अपने शहज जीवन से काफ़ी दूर चला गया है। आजकल के लोग अकेले और अहंकारी होते जा रहे हैं। वह केवल ख़ुद तक ही सीमित रह गए हैं।
आज के युवाओं को अपनी समस्या किसी के सामने प्रकट करना पसंद नहीं है। वह समस्या ज़रूर पैदा करता है लेकिन उस समस्या का हल अपने तक ही सीमित रखता है। जिससे वह अंदर ही अंदर घुटने लगता है और उस समस्या का हल न निकलने पर आत्महत्या जैसा क़दम उठाना पड़ता है।
वर्तमान में देखा गया है कि जो युवा शक्ति है उसमें सहनशीलता धीरे-धीरे कम हो रही है। छोटी-छोटी बात पर युवा परेशान हो जाते हैं। उनमें सहनशीलता की कमी के कारण उनमें अकेलापन सहजीवन का भाव अपनों का प्यार न मिलने के कारण वह अपने आप से परेशान हो जाता है। वह छोटी-छोटी समस्याओं को सोच-सोच कर उनको बड़ा रूप दे देते है। और इन्हीं समस्याओं के बोझ के तले दबकर अपने आप को नष्ट कर लेते है। धीरे-धीरे उनकी सोच नकारात्मकता की ओर चली जाती है। जिसके कारण कायरता पन आ जाता है। और वह अपनी समस्या को समाधान की बजाय छुपाने की कोशिश करता है।
एक सर्वे के तहत देखा गया है कि आत्महत्या जैसी घटना के पीछे माँ बाप भी ज़िम्मेदार होते हैं। माँ बाप के द्वारा बच्चों को ज़्यादा लाड़ प्यार देने से उनकी हर मांग समय पर पूरी करने से बच्चे अधिक खर्चिले और आलस्य से गिर जाते हैं। बच्चे की एक मांग पूरी होने पर उनकी दूसरी मांग खड़ी हो जाती है। लेकिन उनके मां-बाप उनकी हर मांग को समय पर पूरा कर देने से बच्चों के दिमाग़ में धीरे-धीरे ना सुनने की मानसिकता धीरे-धीरे नष्ट हो जाती है।
उनमें एक जिद्दी पन अहंकार का निर्माण शुरू हो जाता है। दूसरा समय पर सुख सुविधा मिल जाने से उनमें संघर्ष की भावना नष्ट हो जाती है। जिसके कारण वह अपनी ज़िन्दगी में संघर्ष करना यहाँ संघर्ष का हल नहीं कर पाता है। जिसके कारण वह आत्महत्या का रास्ता अपना लेता है। वे अपने जीवन से निराश हो जाते हैं उनके मन में ग़लत विचार आने लग जाते हैं।
बहुत से लोग जो बोर्ड कक्षा में हैं या प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं जिस में असफल होने पर भी आत्महत्या जैसे क़दम उठा लेते हैं। उनकी उस घड़ी में माँ बाप की अहम भूमिका रहती है। ऐसे समय में माँ बाप को बच्चों का मनोबल बढ़ाना चाहिए। उन को डांटने की बजाय उनकी समस्या का समाधान कर उनका साथ देना चाहिए। दूसरी ओर आजकल प्रतिदिन मीडिया के माध्यम से समाचार पत्रों के माध्यम से सुनने में आता है कि प्रेम प्रसंग के कारण भी युवाशक्ति आत्महत्या जैसे क़दम उठाने पर मजबूर हो जाती है।
जब उनका प्रेम-प्रेम नहीं रहता या उन्हें प्रेम में धोखा मिलता है। तो जल्दबाजी में आत्महत्या कर बैठते हैं। ऐसी घड़ी में भी माता पिता अपने बेटे बेटी से मित्रता पूर्वक व्यवहार कर समय-समय पर उनके जीवन में चल रही घटनाओं की जानकारी प्राप्त कर उनको राह दिखानी चाहिए।
आज की युवा शक्ति को सामाजिक ज्ञान तथा पारिवारिक ज्ञान न होने के कारण इस प्रकार की घटना देखने को मिलती है। दूसरी ओर आज सोशल मीडिया के माध्यम से आत्महत्या के जैसी घटनाओं को देखकर वह भी वह रास्ता चुन लेते हैं। आज के युवा शक्ति को अपनी क्षमता पहचान कर उन्हें क्षमताओं के अनुसार जीवन शैली को जीना चाहिए अपने सकारात्मक और हितेषी दोस्तों के साथ अपनी बातें एवं समस्याओं को समय-समय पर शेयर करना चाहिए।
आज के युवाओं को से जीवन जीना चाहिए। जिससे दूसरों से अनुकरण का अभ्यास होगा। छोटी-छोटी बातों को नजरअंदाज करें और नकारात्मक विचारों को भूलें। किसी की गलती होने पर उसको माफ़ करें अपनी गलती पर माफी मांगे। अपने अहंकार को कम करें। धीरे-धीरे अपने जीवन में सामाजिक ज्ञान को अपनाएँ जिससे सहनशीलता प्रदान होगी।
प्रकाश कुमार खोवाल
(अध्यापक शिक्षा विभाग राजस्थान)
जिला सीकर (राजस्थान)
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