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आत्महत्या (suicide)
आत्महत्या (suicide) एक ऐसा समय है जहाँ घर परिवार अच्छा बुरा शायद कुछ समझ नहीं आता। यह भी नहीं समझ आता जो हम करने जा रहे वह सही है या गलत। बहुत से लोग अपवाद या डिप्रेशन के वज़ह से भी आत्महत्या करते है। डिप्रेशन मतलब लोग अपने मनोभाव से दुखी हो जातें हैं और हार जाते हैं। लोगों का कहना होता है कि वह कमजोर था इसकी वज़ह से आत्महत्या कर लिया हैं। हाँ हो सकता हैं पर हर जगह ऐसा नहीं होता है। डिप्रेशन के वज़ह से जो आत्महत्या करते है। उस समय वे काफ़ी अकेला महसूस करते हैं। उस वक़्त उनके सामने सिर्फ़ और सिर्फ़ नकारात्मक चीजे ही नज़र आती है।
बहुत से लोग इसलिए भी आत्महत्या करते है क्यों की उनको लगता है कि जीवन में कुछ बचा ही नहीं है और यही एक रास्ता है जहाँ उन्हें जीवन की सारी मुसीबतो से छुटकारा मिल सकता है। बल्कि ऐसा कुछ नहीं है दुनिया में ऐसी बहुत-सी चीजें हैं जो हमे जीवन जीने की प्रेरणा देती है। कहीं किसान तो कहीं नौजवान अपने जीवन से हारकर कहीं ना कहीं आत्महत्या कर रहे है। कोई रेलवे की पटरी पर जाकर तो कोई फांसी लगाकर अपने जीवन को मिटा रहे है।
किसान पैसो की वज़ह से तो नौजवान अच्छी नौकरी ना मिलने की वज़ह से आत्महत्या कर लेते है। अकेलेपन के वज़ह से जो आत्महत्या करते है उसी को डिप्रेशन कहते है। जो डिप्रेशन की वज़ह से आत्महत्या करते है उनके पास कोई होता ही नहीं है उनकी सुनने वाला या फिर जो उनके पास होते है वह उनसे वह दुख अपना बांट नहीं पाते।
बहुत से बच्चे जो बाहर रहके पढ़ रहे है, वें भी बिना सोचे समझे आत्महत्या करने से पीछे नहीं हट रहे हैं। बच्चे आत्महत्या कर लेते है ये सोच कर की उन्हे ज़िन्दगी में कुछ हासिल नहीं होगा वह जो वहाँ करने गए हैं, वह नहीं किया तो आगे उनके पास करने को कुछ बचेगा ही नहीं और वही कुछ ऐसे होते है जो डट कर खड़े रहते है। मूल कारण आत्महत्या के दो ही है मजबूरी या फिर डिप्रेशन। जहाँ हम चाह कर भी ख़ुद को ये क़दम उठाने से रोक नहीं पाते हैं।
हमे हमेशा अपने आस पास ऐसा माहौल बनाकर रखना चाहिए की कोई ये क़दम उठाने के बारे में सोचे ही नहीं। इन सब की शुरुआत घर से ही होनी चाहिए। हमेशा परिवार वालो से अपनी हर परेशानी बेझिझक बांटनी चाहिए। ताकि उनका हल निकाला जा सके। क्योंकि हर समस्या का समाधान आत्महत्या नहीं होता। क्युंकी जीवन अच्छी हो या बुरी ज़रूरी है।
रचना दीप
झारखंड
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