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होली हुड़दंग (Holi Hurdang)
आओ साथी हम भी शामिल हो होली हुड़दंग (Holi Hurdang) में!
खूब मचाए हल्ला गुल्ला ताल
ठोक मृदंग में!
यारे-प्यारे मीत बुलाओ जो अपने हमजोली हैं!
भर भर के मारो पिचकारी होली है भई होली है!
खूब उड़ाओ रंग साथियों सबको रंग लो संग में
आओ साथी••••••
गली मोहल्ला धूम मची है हूरियारों की टोली की!
सबसे न्यारी छटा निराली बरसाने की होली की!
गा रहे फाग बृज में रसिया मस्ती भरी तरंग में
आओ साथी •••••••••
छाया रंग बसंती यारों मन भी बहका-बहका है!
फागुन की रंगीन फ़िज़ा में अपना भी दिल चहका है!
तन मन आज रंगा है यारों उत्साह और उमंग में
आओ साथी•••••••••
सारे शिकवे गिले मिटा हम रूठे
मीत मनाएंगे!
वीणा की कोई तान छेड़ दो गीत ख़ुशी के गाएंगे!
सबको साथ मिला लेंगे रंग जाएंगे इक रंग में
आओ साथी ••••••••
खूब मचाए हल्ला गुल्ला ताल ठोक मृदंग में!
आओ साथी हम भी शामिल हो होली हुड़दंग में!
बदरा
कारे कारे बदरा घिर-घिर आए हैं!
बरस के रिमझिम ज़िया हर्षाये हैं!
सावन ऋतु है ये तो दिन है बहार के!
प्यार इकरार और दिल के क़रार के!
झूम-झूम मनवा मधुर गीत गाये हैं
बरस के रिमझिम••••••••••
सोंधी सोंधी महक अजब-सी खुमारी है!
बादलों ने बरखा की डोली ला उतारी है!
प्रकृति का रूप निखर झिलमिलाये हैं
बरस के रिमझिम ••••••••••
मन की उमंगे सपनों में रंग भरती है
कश्तियाँ काग़ज़ वाली पानी में उतरती है!
चलती कभी तो कभी डूबे उतराये हैं
बरस के रिमझिम••••••••••
नाच रहे मोर पपीहा बोले पीहू पीहू!
अम्बवा की डाली पर कोयलिया की कुहू कुहू!
आसमा पर इंद्रधनुषी रंग छाये हैं
बरस के रिमझिम ••••••••••
कारे कारे बदरा घिर-घिर आए हैं!
बरस के रिमझिम जीया हर्षाये है!
सुशीला यादव
गुरुग्राम
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१- सच्ची होली
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