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पॉलिटिक्स की पोस्टमार्टम रिपोर्ट (Postmortem report of politics)
Postmortem report of politics : नेता बनने के बाद विपक्ष को नीचा दिखाने के लिए यह लोग कुछ भी कर सकते है। दूसरों पर कीचड़ उछालने के लिए ख़ुद कीचड़ में कूद पड़ते हैं और अपने आप को साफ़ और दूसरों को गंदा सिद्ध करने की कोशिश में लगे लोग भ्रष्टातंत्र की सियासत पर विराजमान रहते हैं।
सुरक्षा व्यवस्था अर्थात सैनिकों पर भी क्या गुरुर के साथ सवाल करते हैं सरकार के उत्तरदायित्व की लिस्ट मानो इन्हीं के पास हो। यह कोई होटल का मेनू कार्ड नहीं जिसमें से जो चाहे वह आर्डर दो। यह देश की शासन व्यवस्था है। कुछ लोगों को इकट्ठा करके हंगामा करवा कर फिर कहते हैं कि सरकार की शासन तंत्र में त्रुटि हैं।
जिससे यहाँ की जनता परेशान हैं। जबकि जनता को इस बात का ज़रा भी ध्यान नहीं रहता की मुद्दा किस बात का है? लेकिन यह तो ज्ञानी लोग हैं इतने ज्ञानी की समाचार चैनल के चीफ (मालिक) को भी चैनल से निकलवाने का आर्डर देते हैं।
अगर कोई जवान शहीद हो जाए तो चुप और आंतकवादी या रेप करने वाले दरिंदे मौत के घाट उतार दिया जाए तो मानवता का कीड़ा काट लेता हैं। लोगों को समझाते हुए कहते हैं कि प्रधानमंत्री पर तो भूत सवार है जैसे ख़ुद परमात्मा का अवतार हो।
जो नेता कुशासन के नाम पर, जीव दया के नाम पर, पानी की समस्या पर अर्थात छोटी-छोटी बातों को लेकर धरने पर बैठ जाया करता था वह मंत्री बनकर दिखता ही नहीं! क्या आपने इस बात पर ग़ौर किया? नहीं तो मैंने किया। वह सब मंत्री पद तक की यात्रा थी। जहाँ तक पहुँचने के लिए यह सारे कर्मकांड करने पड़ते हैं। इसलिए वह आपके शुभचिंतक हैं यह बात तो आप पद प्राप्ति के कुछ समय पश्चात ग़ौर करके देख सकते हैं कि कितनी सही है।
बाक़ी तो क्या कहना लोग समझदार है ही जो नेता २००० की गुलाबी पन्नी पकड़ा दें उसी को वोट देते हैं। फिर तो अपना नेता कैसा हो? जैसा भी हो देने में दातार हो बस। फिर वह सत्ता में रहते हुए केले खाएगा और छिल्के आपके पैरों में जो ऐसे नेता को वोट देते है ऐसे समझदार लोग तो फिसल कर गिरते ही है। साथ ही जिन्होंने बहती गंगा में हाथ नहीं धोया वह भी फिसल जाते हैं। ऐसे नेताओं के आगे पीछे चार-चार लोग समझ में नहीं आता कि नेता है या फ़िल्म का विलेन।
वक़्त के साथ बदलना और समस्या से समझौता करना तो कोई इनसे सीखे। अगर मुद्दा हो तो कश्मीर हमारा है और धारा ३७० हटाने पर सबसे ज़्यादा आपत्ति तो इन नेताओं को हुई। समझ में नहीं आता इतना विरोध तो पाकिस्तान ने भी नहीं किया जो इस मुद्दे का विरोधी था। उस समय तो यह कहना मुश्किल हो गया कि कश्मीर कोई राज्य है या इन नेताओं के निजी संपत्ति।
तीन तलाक जैसे मामले में धार्मिक आस्था वादी श्रेष्ठ नेता के रूप में उभर कर सामने आते हैं लेकिन प्रवचन देते वक़्त तो यह देश तो धर्मनिरपेक्ष हैं।
पर्यावरण की शोभा बढ़ाने में जल का महत्त्व
इस धरती पर अनेक प्रकार की मिट्टी पाई जाती है जहाँ पर जल का अलग-अलग जमाव अथवा ठहराव होता है जहाँ कहीं पर सूखा कहीं हरा भरा मौसम भी जल के जमाव के आधार पर गिरगिट की तरह रंग बदल देता है। जल के अभाव में मिट्टी की खड़ियाँ पड़ जाती हैं कोसों दूर पीने को पानी नसीब नहीं होता। शरीर में से पसीना निकलना बंद हो जाता है। गला सूख जाता है। ऐसा वातावरण सूखा पड़ने पर होता है।
प्रकृति का अद्भुत चक्र देखा जाए तो दूसरी ओर पत्थर पर गिरते झरने के पानी की छल-छल की आवाज़ दिल को चीर कर मन को मुग्ध कर डालती है। वह पीपल के पत्ते से टपकती पानी की बूंद मोती-सी प्रतीत होती है सायंकाल में बादल और बादलों में मौजूद जल से बना इंद्रधनुष वातावरण को और अधिक लालित्यपूर्ण बना देता है।
वह प्रकृति का अद्भुत चक्र जिससे बादलों का बनना, गर्जना, बरसना और फिर जल का इस प्रकार आयात निर्यात करना मौसम को आनंदित कर देता है। प्रकृति को हसीन बनाने में जल का महत्त्व होता है। पेड़ पौधों से पानी के बरसने और ठहराव से जो सम्बंध है वाकई अद्भुत हैै।
सावन में ऊमस का मुख्य कारण जल ही होता है बरसने से पहले गर्मी और बरसने के बाद शीतलता प्रदान करने का श्रेय जल को ही जाता है देखा जाए तो संसार के समस्त सुख और सुंदरता की मुख्य आधार जल ही होता है।
कामयाबी की पहली सीढ़ी से नेपोटिज्म
समाज को सही आइना दिखाने का कार्य हमेशा कलाकार का होता है। वह कलाकार चाहे लेखक वर्ग में हो, चाहे एक्टिंग या फ़िल्म ईंडस्ट्री से सम्बंधित। देश के हर व्यक्ति में हुनर होता है। कुछ अलग करने की चाह होती है। लेकिन उन्हे दबा दिया जाता है। हमेशा बुद्धिजीवी लोगों को यही लगता है कि प्रतिभा का असली दुश्मन ‘भाई-भतीजावाद’ है।
लेकिन इससे पहले भी कामयाबी की पहली सीढ़ी से ही प्रतिभाषाली व्यक्ति के भविष्य को धक्का लगाने का काम कुछ ऐसे लोग करते है जिनकी पहुँच तो इतनी नहीं होती कि वह किसी के भविष्य को खराब कर सके। लेकिन विभिन्न प्रकार के ताने मारकर और बार-बार मज़ाक उड़ाकर सफलता के रास्ते की बाधा बनते है।
कहते है अगर सफल होना हो तो “लोग क्या कहेंगे?” इस बात पर ग़ौर मत करो। लेकिन कहने से क्या होता है? समाज में रहते हुए लोगों की खरी-खोटी सुननी पङती है। या यूं कहे कि न चाहते हुए भी लोग सुना देते है। मीडिया हर समस्या के खिलाफ आवाज़ उठाता है और हम नजरअंदाज कर देते है। मीडिया ऐसे लोगों तक बहुत कम पंहुच सकता है क्योंकि ऐसे लोगों की संख्या बहुत ज़्यादा होती है और लोकप्रियता बहुत कम।
अगर ऐसे लोगों से जीतना है तो कामयाबी की सबसे ऊंची चोटी पर पहुँचना ही सबसे अच्छा तरीक़ा है। आपकी कामयाबी ऐसे लोगों के मुंह पर तमाचा होगी। अपने हुनर के बल पर ऊंचाई इतनी तय करो की बुराई करने वाले रेंगते हुए कीङो की भांति नज़र आए। जिस प्रकार कुन्दन का आकार मिलने से पहले उसे तेज ज्वाला में तपना पङता है। उसी प्रकार हर व्यक्ति को कामयाब होने से पहले कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। कुछ लोगों की वज़ह से कामयाब होने से पहले ही व्यक्ति का जीवन अंधकारमय हो जाता है।
इस दौर में पुनर्जागरण पुनः सक्रिय
सामाजिक धार्मिक व वसुदेव कुटुंबकम की भावना विकसित करने वाला पारिवारिक सुधार इस दौर में पुनः जागृत हो रहा है। भगवान श्री राम जो श्रेष्ठ मित्र, श्रेष्ठ पुत्र, व श्रेष्ठ पति जैसे कई सद्विचारों के प्रतीक माने जाते हैं। जहाँ उन्होंने प्राचीन समय में धर्म की रक्षा की थी। आज उनकी महानता पुनः समाज को प्रभावित करेगी।
कई ऐतिहासिक बदलाव हुए गत कुछ दिनों में परंतु समाज और धर्म पर कोई ख़ास प्रभाव नहीं पड़ा। श्री राम आधुनिक विचारधारा के विपरीत श्रेष्ठ व पुरुषों में उत्तम सिद्ध हुए। दरअसल श्री राम राज्यभोगविलास के विरोध व स्त्रियों को सम्मान देने के पक्षधर थे। इन दिनों श्री राम लल्ला जहाँ श्रीराम के छोटे रूप विराजमान है के मंदिर का भूमि पूजन श्रीमान नरेंद्र मोदी वर्तमान प्रधानमंत्री द्वारा किया गया।
सामान्य तरीके से देखा जाए तो यह एक मंदिर का भूमि पूजन है। लेकिन अगर इस बात पर ज़्यादा ग़ौर किया जाए तो यह ज्ञात होता है कि यहाँ सामान्य ईट की नींव नहीं रखी गई बल्कि परिवर्तन या पुनर्जागरण की नींव रखी गई है।
इससे पूर्व देखा जाए तो धर्म पतन की राह पर अग्रसर हो रहा था। असामाजिक तत्वों का बोलबाला था। सामाजिक विचारधारा संकट में थी। यूं देखा जाए तो यह कोई धार्मिक कार्य नहीं बल्कि सामाजिक व नैतिकता के उत्थान का पथ है। इस सुधार से पुनर्जागरण की नींव रखी गई है।
दरअसल कुछ दशकों पहले जब धर्म पतन की राह पर था और सामाजिक कुरीतियों धार्मिक आडंबर चरम सीमा पर था। तब महान समाज सुधारक द्वारा पुनर्जागरण आंदोलन चलाया गया था। जिसमें समाज सुधार व धार्मिक आडंबर को समाप्त करना उद्देश्य रखा गया था।
आज वही आन्दोलन धर्म सुधार के लिए चलाया जा रहा है। न्यायालय के फैसले के बाद मंदिर निर्माण का कार्य कब शुरू होगा? यह विचार समस्त हिंदुस्तानियों के मन था। जब प्रधानमंत्री द्वारा भूमि पूजन का कार्य हुआ तो राम के रामत्व की नींव रखी गई। जिससे सामाजिक सद्भावना व श्रीराम की श्रेष्ठता का संदेश समूचे विश्व को गया।
संजय कुमार बिश्नोई
साँचौर
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