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घनाक्षरी (cubical)
१) मनहरण घनाक्षरी (cubical)
एकदंत गजानन
भादो का माह पावन
बुद्धि के विधाता तेरा
गुण जग गाता है।
महिमा तेरी अपार
प्रथम पूजे संसार
नाम है तेरे अनेक
कृपा बरसाता है।
रिद्धि-सिद्धि रानी तेरी
सुन के पुकार मेरी
शुभ-लाभ संग देवा
घर मेरे आता है।
द्रुवादल भेंट कर
थाल में कुसुम धर
आपको देवा गणेश
मोदक ही भाता है।
२) मनहरण घनाक्षरी
आओ झूमो, नाचो, गाओ,
फूल ख़ूब बरसाओ।
जन्मदिन कन्हैया का,
घर को सजाइये।
उत्सव है बड़ा भारी,
गूँज रही किलकारी।
मिलके बधाई गीत,
सभी जन गाइये।
यशोदा मैया दुलारा,
मोहन सबका प्यारा।
जन्मोत्सव पर आज,
उधम मचाइये।
नन्दगाँव में दीवाली,
चारों और खुशहाली।
दीपक जगमगाए,
धूप भी जलाइये।
थाल भर के मिठाई,
बांटे है यशोदा माई।
प्रसन्न है ब्रजवासी,
प्रसाद को पाइये।
देव देख के झलक,
निहारे है अपलक।
देख लीला कन्हैया की,
नेह बरसाइये।
माखन वह चुराता है,
मित्रो को खिलाता है।
सुंदर सलोना मुख,
हरि को निहारिये।
कृष्ण नाम है आधार,
जीव को लगाए पार,
राधाजी के प्रिय श्याम,
संकट भगाइये।
३) मनहरण घनाक्षरी
आनंद तो है देने में
दूजा दुख बाँटने में
प्रेम-सुख देना आप
ख़ुद भी तो सीखिए।
तन-मन है लुटाती
प्यारे सपने दिखाती
भावना को जानने की
कोशिश तो कीजिए।
प्रेम में बहाये नीर
किस से कहे वह पीर
प्रेम माधुरी को नित
प्रेमी बन पीजिए।
भावना हो त्याग भरी
प्रीत अनुराग भरी
देकर सुख साथी को
हृदय भी जीतिए।
४) देवहरन घनाक्षरी
विषय-आजादी
आजादी की लहर है
मुक्ति की ये पहर है
भारत का रखे मान,
तिरंगे को करो नमन।
भारत-भूमि की शान
हिंद-वासियों का मान
गर्वित हो खड़े हम,
सीमा-प्रहरी का जतन।
नित्य बहे प्रेम धार
शत्रुओं में हाहाकार
धन्य अवनि वीरों की
धन्य भारत का गगन।
माँ भारती जो पुकारे
दौड़े आये जग सारे
देख मुख की मुस्कान,
बहती प्रेम की पवन।
५) हरिहरण घनाक्षरी
बाबुल की वह लाड़ली,
जान घर-भर की है।
महक से महकाती,
सारे घर का चमन।
लाज होती दो कुल की,
शीलवान नारी होती।
कोशिश करती सदा,
रहे घर में अमन।
पिया मन हरषा ती
ले मन में ढ़ेर प्यार।
चाहे वह तो बस यही,
खिले घर में सुमन।
बेटी घर की रौनक,
बेटी से तीज-त्यौहार।
जिनके बेटी जन्मी है,
उन लोगों को नमन।
सारिका विजयवर्गीय “वीणा”
नागपुर (महाराष्ट्र)
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