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21वीं सदी का सुदृढ़ भारत (21st century strong India)
21वीं सदी का सुदृढ़ भारत (21st century strong India) : मुझे आज शायर इकबाल की पंक्तियां याद आ रही हैं “तुम्हारी तहजीब, अपने खंजर से आपकी खुदकुशी करेगी” क्या यह सत्य है? शायद हां ,शायद नहीं परंतु इस बात में कोई दो राय नहीं है कि मनुष्य आज जब मशीनों का दास होता जा रहा है तो क्या आने वाले समय में वह पूर्णता मशीनों पर निर्भर हो जाएगा।
विकास के अंतिम चरण में मनुष्य अपने द्वारा बनाई गई मशीनों का दास होकर रह जाएगा । 21वीं सदी में मानव समाज औद्योगिकता की अनेक मंजिलें तय करता हुआ उस सीमा तक पहुंच जाएगा जहां वह शून्य हो जाएगा। समस्त कार्यों के लिए मनुष्य केवल मशीनों पर निर्भर हो जाएगा।
यह तो मानना पड़ेगा कि परिवर्तन प्रकृति का शाश्वत नियम है । वृक्षों पर परिवर्तन स्पष्ट दिखाई देता है, जैसे पतझड़ के आते ही पत्ते गिर जाते हैं । पेड़ ठूंठ मात्र दिखाई देते हैं। वास्तव में वसंत के आते ही नए पल्लव पल्लवित होकर बसंत बहार का सुहावना मौसम दिखाने लगते हैं, चारों ओर फूल ही फूल खिलकर सुरभित पवन के साथ रच बस जाते हैं। यह परिवर्तन मनुष्य के स्वभाव में भी धीरे धीरे दिखाई देता है। वह आसपास के वातावरण से प्रभावित होता है और शीघ्रता शीघ्र अपने भीतर परिवर्तन लाने का प्रयास भी करता है।
भारत की संस्कृति सभ्यता सनातन चिंतनहै। धीरे धीरे इसमें भी परिवर्तन आता रहा है ।आने वाले समय में भारत अपनी पुरानी विरासत के साथ आगे बढ़ेगा और भारत के विकास में कोई रुकावट नहीं डाल सकता ।यह भी शाश्वत सत्य और दृढ़ विश्वास ही है कि एक आने वाले समय में भारत सुदृढ़ होगा और विश्व गुरु भी बनेगा, क्योंकि इक्कीसवीं सदी के आरंभ से ही समस्त विश्व लालसा भरी निगाहों से भारत की ओर देख रहा है।आज के समय को देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है हम विकासोन्मुख हैं और हमने विकास के अनेक प्रतिमानों को प्राप्त किया है ,यह विकास 21वीं सदी के सुदृढ़ एवं समृद्ध भारत की शुरुआत है।
यद्यपि औद्योगिकरण की दृष्टि से भारत में तेजी से विकास हो रहा है तथापि ऐसा अनुमान है कि 21वीं सदी में पदार्पण करते -करते हमारा देश भारत विकसित देशों की पंक्ति के लिए अग्रणी होने की ओर कदम बढ़ा रहा है। 21वीं सदी का भारत एक आधुनिक और वैज्ञानिक विश्व से जुड़ रहा है लेकिन आज भी घोड़ा गाड़ी बैलगाड़ी दिखाई देते हैं ।हां आने वाले समय में यह पहिए निश्चित रूप सेअपना स्वरूप बदलेंगे। यह भी सुदृढ़ होने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
आज की शिक्षा को देखते हुए जो कि कंप्यूटर से होती है परंतु भारत में कुछ परेशानियां हैं जो आने वाले समय में दूर होना संभव है। बस एक बात खटकती है कि भारत में आज भी एक वर्ग बहुत ही संपन्न है और रोटी कपड़ा मकान के लिए श्रम करता मजदूर। बस यही विरोधाभास 21वीं सदी में बढ़ गया तो बहुत मुश्किल हो सकती है परंतुआज पूरे प्रयास किए जा रहे हैं कि गरीब को भी शिक्षा मिले, उसे उसकी जरूरतों का सामान मिले ।परंतु भौतिकतावाद इस समानता को बनाए रखने पर प्रश्न चिन्ह लगा देता है।
फिर भी विकास की दिशा में हमारे बढ़ते हुए चरण हमें आशान्वित करते हैं कि भारत की गणना समृद्ध देशों में होगी हमें इसके लिए बहुत से ठोस कदम उठाने होंगे। हमारे कृषि प्रधान देश में कृषि और कृषक की ओर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। यद्यपि आज सरकार पूरी तरह से आत्मनिर्भर होने की बात कर रही है इसके लिए नई परियोजना तैयार कर रही है व्यक्ति को अपने जीवन यापन के लिए स्वयं भी प्रयास करने होंगे।
यह भी सत्य है कि हमारे देश में प्राकृतिक संसाधनों का अभाव नहीं है आने वाले समय में हम इन सब का सही और उपयुक्त उपयोग कर सकेंगे। वैज्ञानिक तकनीक अपनाकर कार्य करने की क्षमता को बढ़ा सकेंगे ।आज कंप्यूटर डिजिटल प्रयोग द्वारा बहुत से काम कुछ क्षणों में हो जाते हैं परंतु हमें इसके साथ साथ इन सब तकनीकों का जिम्मेदारी के साथ सदुपयोग करना होगा भारत सुदृढ़ एवं समृद्धिशाली अवश्य होगा। ना केवल हम स्वदेशी को ही अपनाएं बल्कि निर्यात भी कर सके हमारी नीति ऐसी होनी चाहिए।
हम निश्चित तौर पर कह सकते हैं कि 21वीं सदी का सुदृढ़ भारत विश्व में अपना स्थान बनाना शुरू कर चुका है और हमारा देश विकसित देशों में गिना जाएगा। भारत आशान्वित है और कार्यरत भी ,आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाते हुए हमारा देश नई- नई परियोजनाओं को कार्यान्वित कर रहा है। विकास की दिशा में हमने अनेक उपलब्धियां हासिल की हैं जैसे अंतरिक्ष के क्षेत्र में मिशन मंगल और चंद्रयान।
चिकित्सा क्षेत्र में , स्टेम सेल जैसी नई तकनीक एवं अनुसंधान के साथ आज भारत विश्व के विकसित देशों के साथ बराबरी में खड़ा हैं।आयुर्विज्ञान के क्षेत्र में भारत सर्वश्रेष्ठ है ।विश्व ने योग को अपना लिया है। हमारी युवा शक्ति अपनी योग्यता एवं दृढनिश्चय से देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कटिबद्ध है। जैसा महात्मा गांधी ने कहा है “यू मस्ट बी द चेंज यू वॉन्ट टू सी इन द वर्ल्ड ” अर्थात् हमें अपने भीतर वह बदलाव लाने होंगे जो हम दुनिया में देखना चाहते हैं। उसी के अनुरूप हमें अपने अंतर्मन को सुदृढ़ बनाना होगा और आज यह बात भारत में विद्यमान है ।हमारी संस्कृति सभ्यता परम्परागत रूप से आधुनिकता की ओर अग्रसर है।
विश्व पर्यावरण संरक्षण में भारत का योगदान सराहनीय कदम है। सत्यअहिंसा परमो धर्म,मानवता पर विश्वास के साथ देश की सुरक्षा व्यवस्था के लिए आधुनिक तम हथियार ले रहा है। राष्ट्रवाद की भावना सुदृढ़ भारत का निर्माण करती है। देशवासी इसमें पूरा सहयोग करते रहें हैं। एक समय ऐसा अवश्य आएगा कि जब सब जन की आवश्यकताएं पूरी हो जाएंगी कोई भी व्यक्ति अपनी मूलभूत आवश्यकताओं के साथ-साथ शिक्षा ,चिकित्सा तथा अन्य आराम की सुविधाओं का लाभ उठा सकेगा।
भारत का प्रत्येक नागरिक सुविधाओं का लाभ उठा सकेगा और आराम से जीवन जी सकेगा। परिश्रम तो अवश्य करना होगा। हमें भारत को समृद्धि शाली देश बनाने के लिए निरंतर परिश्रम करना होगा लगन से सभी कार्य करने होंगे तभी यह संभव हो सकेगा ।आपसी मतभेद भुलाकर भारत को एक कर आगे बढ़ने का प्रयास निरंतर करना होगा। जनसंख्या को नियंत्रित करना होगा । जातिगत भेदभाव दूर करने के साथ-साथ, नारी सशक्तिकरण पर भी ज़ोर देना आवश्यक है। दृढ़ विश्वास के साथ हमारा देश 21वीं सदी का सुदृढ़ एवं समृद्धि शाली भारत होगा।
अंत में कहूंगी आशा पर आकाश टिका हमें आशान्वित होकर निरंतर प्रगति की ओर अपने कदम बढ़ाने होंगे। सुदृढ़ भारत बनेगा हम दृढ़ प्रतिज्ञ हैं।। जय हिन्द!
हिंदी दिवस
भाषा अभिव्यक्ति का एक सशक्त साधन है। इसके द्वारा हम अपने विचारों का संप्रेषण पर सामने वाले के विचारों से अवगत होते हैं।भाषा के माध्यम से हम अपने विचारों को व्यक्त करते हैं और इसके लिखित रूप द्वारा साहित्य वाचन करते हैं ।”हिंदी हैं हम वतन हैं ।”
“हिंदी है भारत की बिंदी”
सच कहें तो हिंदी भाषा मेरे देश का गौरव है। भारत बहुभाषी देश है और हिंदी शब्द जुड़ा है मेरे हिंदुस्तान से। भारत में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है हिंदी ।महात्मा गांधी ने इसे राष्ट्रभाषा बनाने का सुझाव दिया था क्योंकि भारत के स्वतंत्रता संग्राम की भाषा भी हिंदी थी । इसे राजभाषा का स्थान मिला 14 सितंबर 1949 में ,जब भारत की संविधान सभा ने हिंदी को भारत गणराज्य की अधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया ।हिंदी भाषा को देवनागरी लिपि में भारत की कार्यकारी और राजभाषा का दर्जा अधिकारिक रूप से दिया गया ।
यह दिन प्रतिवर्ष हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है ।हिंदी सप्ताह ,हिंदी पखवाड़ा, विद्यालय कॉलेज सभी सरकारी संस्थाओं में मनाया जाता है ।हिंदी को प्रोत्साहन एवं इसके प्रचार-प्रसार के लिए विद्यालयों में वाद-विवाद, कहानी ,काव्य पाठ ,भाषण आदि प्रतियोगिताओं का आयोजन भी होता है। महामहिम राष्ट्रपति महोदय द्वारा नई दिल्ली के विज्ञान भवन में हिंदी से संबंधित क्षेत्रों में उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए पुरस्कार भी दिए जाते हैं। 1986 में स्थापित “इंदिरा गांधी राजभाषा पुरस्कार ,”राजभाषा कीर्ति पुरस्कार “और राजीव गांधी राष्ट्रीय ज्ञान -विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार के नामों में परिवर्तन कर दिया गया ,अब यह “राजभाषा गौरव” पुरस्कार के नाम से जाना जाता है।
हां यह सत्य है यद्यपि हिंदी को दोयम दरजा ही प्राप्त रहा क्योंकि इस भाषा को हमारी रोज़ी रोटी से नहीं जोड़ा गया ,अंग्रेजी भाषा के माध्यम से पढ़ने वालों का वर्चस्व बना रहा। हमारी भाषा हिंदी को उबारना अत्यंत आवश्यक है ।पक्षपात पूर्ण दृष्टिकोण को दूर करना हमारी राष्ट्रीय भाषा के साथ-साथ हमारी संस्कृति के महत्व पर जोर देने के लिए महान कदम है ।यह भाषा हमारे गौरव का प्रतीक है।
हमारे स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक है ।आज की पीढ़ी को संस्कृति के महत्व पर जोर देने के लिए महत्वपूर्ण कदम है कि हम हिंदी दिवस मनाए ।संस्कृति के मूल से जोड़ने का तरीका है ।अपनी विरासत की पृष्ठभूमि से जोड़ना आधुनिकता से तालमेल बिठाना इसका समायोजन करता है हिंदी दिवस।
हिंदी दिवस अनुस्मारक के रूप में विद्यमान है यह हमें देश प्रेम से जोड़ता है, देशभक्ति की भावना को प्रेरित करता है ।हिंदी को विदेशी भाषाओं के सामने बने रहने के लिए “हिंदी दिवस “का मनाया जाना अत्यंत आवश्यक है। धीरे-धीरे हिंदी भाषा का प्रचलन बढ़ ही रहा है अंग्रेजी के अनेक शब्दों का समावेश भले ही कर लिया हो परंतु बोलचाल की भाषा में हिंदी का चलन बढ़ा है।
अब यह भाषा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बना चुकी है। हमारी भाषा संस्कृति और संस्कारों की प्रति छवि है। आज विश्व के कोने-कोने से लोग हिंदी भाषा को सीखने का प्रयास कर रहे हैं। सच माने तो हिंदी का सम्मान देश का सम्मान है। हिंदी हिंदुस्तान की भाषा है गौरव है ।14 सितंबर हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है ।यह पूरे कश्मीर से कन्याकुमारी तक बोली और समझी जाने वाली भाषा है ।
10 जनवरी 2008 को हम अंतरराष्ट्रीय हिंदी दिवस भी मनाते हैं ।आवश्यकता है हिंदी की उपयोगी पुस्तकों को उपलब्ध करवाया जाए। आज हम हिंदी बोलते हैं ,सुनते हैं ,अनेक माध्यम हैं जो हिंदी को बढ़ावा दे रहे हैं। वास्तव में हम हिंदी में या यूं कहें अपनी मातृभाषा में जिस दिन शिक्षा ग्रहण करेंगे हमारी सोच में भी परिवर्तन आ जाएगा ।हिंदी का ह्रास नहीं हुआ है।
एक समय था जब हिंदी बोलना या हिंदी बोलने वाले को कम पढ़ा लिखा समझा जाता था ।परंतु आज ऐसी स्थिति नहीं है हिंदी का उचित प्रयोग हमें हमारी सोच को एक अच्छी दिशा प्रदान करेगा ।विभिन्न साहित्यिक संस्थाएं निजी और सरकारी इस कार्य में पूरी लगन और निष्ठा से जुटी हुई हैं ।हिंदी के प्रचार प्रसार का मतलब है देश के प्रति अपनी विशिष्ट भावनाओं को व्यक्त करना ।जय हिंद जय भारत
कुंती नवल
मुंबई
यह भी पढ़ें-
१- आधुनिकता
२- श्रृद्धांजलि
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