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माँ बिना दुनिया अधूरी है (world is incomplete without mother)
सच में… माँ बिना (without mother) दुनिया अधूरी है… तभी तो कहा गया है… जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी… तो लीजिये आज प्रस्तुत है माँ पर आधारित यह आलेख… और इस आलेख के लेखक हैं डॉ. राजेश कुमार शर्मा ‘पुरोहित’ जी… डॉ. राजेश कुमार शर्मा ‘पुरोहित’ जी भवानीमंडी से हैं… पुरोहित जी लेखन में रूचि रखते हैं… अब तक उन्होंने अनेक रचनाओं का सृजन किया है… ज्यादा समय न लेते हुए पढ़ते हैं पुरोहित जी का यह आलेख…
वेदों में मां को अम्बा अम्बिका दुर्गा सरस्वती शक्ति ज्योति पृथ्वी आदि नाम से सम्बोधित किया गया है। इसके अलावा मां को माता मातृ अम्मा अम्मी जननी जन्मदात्री जीवनदायिनी जनयत्री धात्री प्रसू आदि कई नामों से पुकारते हैं। रामायण में मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम ने “जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी “कहकर माता को स्वर्ग से बढ़कर बताया है।
महाभारत में युधिष्ठिर से यक्ष ने सवाल पूछा था भूमि से भारी कौन है ? युधिष्ठर बोला माता भूमि से कहीं अधिक भारी होती है।”माता गुरुतरा भूमेरु” । महाभारत महाकाव्य में साफ लिखा है माता के समान कोई सहारा नहीं है माता के समान कोई रक्षक नहीं है। और माता के समान कोई प्रिय चीज़ नहीं है।
तैतरीय उपनिषद में लिखा है कि माता देवताओं से बढ़कर होती है।शतपथ ब्राह्मण में लिखा कु जब तीन उत्तम शिक्षक यानि एक माता दूसरा पिता तीसरा आचार्य हो तो तभी मनुष्य ज्ञानवान बनता है। धन्य है वह माता जो गर्भावान से लेकर जब तक पूरी विद्या न हो तब तक सुशीलता का उपदेश करे। स्कन्दपुराण में माँ की महिमा लिखी कि माता के समान कोई छाया नहीं कोई आश्रय नहीं कोई सुरक्षा नहीं। माता के समान इस दुनिया मे कोई जीवनदाता नहीं।
मातृ दिवस माता को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है। एक माँ का आँचल अपनी संतान के लिए कभी छोटा नहीं पड़ता। माँ का प्रेम अपनी संतान के लिए इतना गहरा व अटूट होता है कि माँ अपने बच्चे की खुशी के लिए सारी दुनिया से लड़ लेती है। एक माँ का हम सभी के जीवन मे बहुत बड़ा महत्व है। एक माँ बिना ये दुनिया अधूरी है।
माँ के कदमों में जन्नत होती है। माँ की सेवा सौभाग्य से मिलती है। माँ दुआओं का खजाना होती है। माँ त्याग की प्रतिमूर्ति होती है। माँ सहनशील होती है। हमारे देश भारत मे पृथ्वी को भी धरती माता कह कर पूजा जाता है। धरती माता की जय कहकर जयकारा लगाया जाता है। भगवान स्वरूप पूजन की परम्परा है। इसलिए भारत मे मातृदिवस का विशेष महत्व है।
अमेरिका अफ्रीका यूरोप, बोलिविया चीन ग्रीस ईरान जापान मेक्सिको नेपाल थाईलैंड रोमानिया वियतनाम आदि देश भी मातृदिवस मनाते हैं। भारत मे मई माह के द्वितीय रविवार को मातृदिवस मनाया जाता है। समस्त माताओं तथा मातृत्व के लिए खास तौर पर पारिवारिक एवम उनके आपसी सम्बन्धो को सम्मान देने के लिए मातृदिवस की शुरुआत हुई। 8 मई 1914 को राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने मई के दूसरे रविवार को दुनिया मे पहली बार मदर्स डे के रूप में मनाने की घोषणा की थी।
यह दिन परिवार कु माँ के साथ साथ मातृत्व मातृ बन्धन और समाज की माताओं के प्रभाव के सम्मान में मनाया जाता है। दुनिया मे लगभग पचास देशों में मदर्स डे मनाया जाता है। भले ही सारे देश अलग अलग तिथियों में मातृदिवस मनाते है लेकिन इन सभी का उद्देश्य एक ही है वो है माँ का सम्मान करना। माँ के सम्मान के लिये कई कार्यक्रम भी आयोजित किये जाते हैं। ईसाई धर्म मानने वाले लेट ऑफ फोर्थ संडे के रूप में मनाकर वे माँ का सम्मान करते हैं। भरतीय माँ के चरण छूकर आशीर्वाद लेते हैं। माँ की सेवा आज्ञापालन करते हैं।
आधुनिक मदर्स डे बीसवीं शताब्दी में मनाया गया। अमेरिका की अध्यापिका एना जार्विस ने पहली बार अमरीका में मदर्स डे मनाया था। आपने यह सुना होगा एक मेडल मेरी माँ को मिलना चाहिए क्योंकि उनकी जिंदगी में कोई छुट्टी नहीं होती। सच लिखा है माँ परिवार के लिए रात दिन मेहनत करती है। परिवार खुश रहे यह ईश्वर से कामना करती है। भारत मे पृथ्वी गौ गंगा गायत्री सभी को माँ कहा है।
इस साल कोरोना महामारी के कहर से जनता परेशान है। घरों में बैठकर ही मातृदिवस मनाना है। परिवार के सभी सदस्य घर पर रहते है ऐसे में मां का काम बढ़ गया है लेकिन मैं सबकी सेवा करती है कोई शिकायत नहीं करती। हमें आज इनका सम्मान करना चाहिए। मदर्स डे पर खुश रहें सभी। माँ को एक दिन के लिए घर के काम से मुक्त कर दें जिससे उन्हें आराम करने का अवसर मिल सके। माँ का सम्मान प्रतिदिन करना चाहिए क्योंकि उसका कर्ज़ जीवन भर तुम नहीं उतार सकते। माँ के ऋण से कोई उऋण नहीं हो सकता।
आज शराब के नशे में कई लोग अपनी माँ को धक्का देकर घर से बाहर निकाल देते हैं। बुढ़ापे में इलाज नहीं करवाते। वृद्धा आश्रम छोड़ आते हैं। माँ को मारते पीटते गालियां देते हैं। जमीन के लिए धन के लिए ये सब करते हैं। ऐसी घटनाएं अखबारों में पढ़ने को मिलती है तो दुख होता है। स्वार्थपरता के कारण अब रिश्तो में अपनत्व नहीं रहा।
आओ स्वार्थ त्याग कर माँ की सेवा करें।माँ के आशीर्वाद लें। जिसने पाला पोसा वह कभी तुम्हारा बुरा नहीं करेगी। सकारात्मक सोच रखो।
तूने बेचैन इतना ज्यादा किया
बॉलीवुड के सुप्रसिद्ध अभिनेता : ऋषि कपूर
सिने जगत के सुप्रसिद्ध भारतीय फिल्म अभिनेता, फ़िल्म निर्माता निर्देशक ऋषि कपूर के जीवन का सफरनामा हम प्रस्तुत करते हैं।
चाँदनी वो मेरी चाँदनी मेरी उमर के नोजवानो तेरे चेहरे से नज़र नही हटती तूने बैचेन इतना ज्यादा किया जैसे हिट गीतों की फिल्में बनाई थी ऋषि कपूर जी ने। आज चाहे ऋषि जी हमारे बीच नहीं रहे लेकिन उनके ये गीत जन्म जन्म तक याद रहेंगे। ऋषि कपूर साहब अमर हो गए उनकी बेहतर फिल्में प्रेम रोग चाँदनी कर्ज़ घराना थी।
ऋषि कपूर का जन्म पंजाब के के कपूर परिवार में मुम्बई के चेम्बूर में वह विख्यात फ़िल्म निर्देशक, अभिनेता राज कपूर के बेटे थे। और पृथ्वीराज कपूर के पोते थे।
उन्होंने कैम्पियन स्कूल मुम्बई और मेयो कॉलेज अजमेर में अपने भाइयों के साथ अपनी स्कूली शिक्षा की। उनके भाई रणधीर कपूर और राजीव कपूर मामा प्रेमनाथ और राजेन्द्र नाथ और चाचा शशि कपूर और शम्मी कपूर सभी अभिनेता है। उनकी दो बहिने ऋतु नंदा, और रीमा जैन है। 37 सदस्यों वाल पृथ्वीराज कपूर वाले परिवार में सबके लाडले रहे ऋषि कपूर साहब । परिवार में उनकी बेबाकी और जिन्दादिली याद की जाती है।
मुम्बई के एक अस्पताल में गुरुवार 30 अप्रेल 2020 को बॉलीवुड के कद्दावर एक्टर ऋषि कपूर जी ने दम तोड़ दिया। फ़िल्म इंडस्ट्री में शोक का माहौल हो गया। सारा देश शोक में डूब गया। फ़िल्म जगत से ऋषि कपूर साहब का बहुत पुराना नाता रहा है। उन्हें अभिनय विरासत में मिला। कपूर खानदान में सबसे पहले पृथ्वीराज कपूर ने साल 1929 में सिनेमा जगत में कदम रखा था। और ऋषि कपूर ने सबसे पहले अपने पिता राज कपूर की फिल्मों श्री 420 और मेरा नाम जोकर में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट काम किया था। आइये उनके परिवार के बारे में बताते हैं।
ऋषि कपूर राज कपूर के बेटे थे। और पृथ्वीराज कपूर उनके दादा थे। परम्परा के अनुसार ऋषि अपने दादा व पिता के नक्शे कदम आगे बढ़े। फिल्मों में अभिनय किया। बतौर मुख्य फ़िल्म अभिनेता उनकी पहली फ़िल्म बॉबी थी। जिसमे उनके साथ डिम्पल कपाड़िया थी।
ऋषि कपूर की शादी नीतू सिंह के साथ 22 जनवरी 1980 को हुई थी। ऋषि कपुर के रणबीर कपूर और रिदिमा कपूर दो संताने हुई। रणबीर फ़िल्म अभिनेता है। रिदिमा ड्रेस डिजाइनर है। करिश्मा कपूर व करीना कपूर इनकी भतीजियां हैं।
1973 से 2000 तक ऋषि कपूर साहब ने 92 रोमांटिक फिल्में बनाई। ऋषि कपूर की प्रेम रोग, कुली, जमाना, सितमगर एक चादर मैली सी, ये इश्क नहीं आसां नसीब अपना अपना बड़े दिल वाला चला मुरारी हीरो बनने यादों की बारात मेरा नाम जोकर लैला मजनू रफू चक्कर कभी कभी राजा बारूद मुल्क बेवकूफियां बेशर्म सनम रे कपूर एन्ड सन्स वेडिंग पुलाव.
ऋषि कपूर के निधन के बाद बॉलीवुड में शोक की लहर है और फैन्स मायूस है। वे अपने पसंदीदा अभिनेता के अंतिम दर्शन भी नहीं कर पाएंगे।
वर्ष 2018 में ऋषि कपूर जी को कैंसर का पता चला । जिसके बाद इलाज कराने के लिए वे न्यूयॉर्क गए वहां एक साल इलाज चला। ततपश्चात भारत वायसी के बाद ऋषि सार्वजनिक तौर ओर कम देखे गए। उनका इलाज चलता रहा दो वर्ष तक चली कैंसर की पीड़ा के बाद ऋषि कपूर 30 अप्रेल को हम सभी को 67 वर्ष की उम्र में छोड़कर चले गए। अंतिम समय में वे एच एन रिलायंस फाउंडेशन हॉस्पिटल मुम्बई में निधन हो गया।
ऋषि कपूर जी के निधन की पहली खबर अमिताभ बच्चन जी ने शेयर की थी। उन्होंने कहा वो गए ऋषि कपूर गए उनका निधन हुआ मैं टूट गया हूँ।
ऋषि कपूर जी को 1974 में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता फ़िल्म फेयर पुरस्कार मिला था। 2008 में उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार मिला। 1970 में मेरा नाम जोकर में अभिनय हेतु इन्हें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार मिला। 2011 में फिल्मफेयर क्रिटिक्स अवार्ड मिला। 2017 में फ़िल्म फेयर पुरस्कार मिला।
ऐसे महान फ़िल्म अभिनेता को कोटि कोटि नमन…
डॉ. राजेश कुमार शर्मा “पुरोहित”
भवानीमंडी
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