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प्रधानमंत्री ने थॉमस कप (Thomas Cup) और उबर कप की टीमों से बातचीत की
- ‘पूरे देश की ओर से मैं पूरी टीम को बधाई देता हूँ, क्योंकि दशकों बाद भारतीय ध्वज को मजबूती से फहराया गया है; यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है”
- “अब भारत पीछे नहीं रह सकता; आपकी जीत कई पीढ़ियों को खेलों के लिए प्रेरित कर रही है”
- “इस तरह की सफलताएँ देश के पूरे खेल इकोसिस्टम में अत्यधिक ऊर्जा और आत्मविश्वास का संचार करती हैं”
- “हमारी महिला टीम ने बार-बार अपनी उत्कृष्टता प्रतिभा सिद्ध की है; बस समय की बात है, इस बार नहीं, तो अगली बार ज़रूर जीतेंगे”
- “अभी तो बहुत खेलना भी है और खिलना भी है”
- “‘मैं यह कर सकता हूं’–यही न्यू इंडिया की भावना है”
- “यह भारत के खेल इतिहास में एक सुनहरे अध्याय की तरह है और आप जैसे चैंपियन और आपकी पीढ़ी के खिलाड़ी इसके प्रमुख पात्र हैं; हमें इस गति को जारी रखने की ज़रूरत है”
- प्रधानमंत्री ने टेलीफोन पर हुई बातचीत के दौरान वादे के मुताबिक ‘बाल मिठाई’ लाने के लिए लक्ष्य सेन को धन्यवाद दिया
प्रधानमंत्री ने थॉमस कप (Thomas Cup) और उबर कप के बैडमिंटन चैंपियन टीमों के साथ बातचीत की, जिन्होंने थॉमस कप और उबर कप के अपने अनुभव साझा किए। खिलाड़ियों ने अपने खेल के विभिन्न पहलुओं, बैडमिंटन से अलग अपने जीवन और अन्य विषयों पर बात की।
किदांबी श्रीकांत ने प्रधानमंत्री द्वारा इतने गर्व से पहचान दिए जाने को लेकर खिलाड़ी के बीच सुखद भावना के बारे में बात की। प्रधानमंत्री ने टीम के कप्तान से उनकी नेतृत्व शैली और चुनौतियों के बारे में पूछा। श्रीकांत ने बताया कि व्यक्तिगत रूप से हर कोई शानदार प्रदर्शन कर रहा था और प्रयास था कि एक टीम के रूप में हम अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करें। उन्होंने निर्णायक मैच खेलने के सौभाग्य पर भी प्रसन्नता व्यक्त की।
प्रधानमंत्री द्वारा उनकी विश्व नंबर १ रैंकिंग और थॉमस कप में स्वर्ण के बारे में पूछे जाने पर, अग्रणी बैडमिंटन खिलाड़ी ने कहा कि ये दोनों उपलब्धियाँ उनके सपने पूरे होने के समान हैं और उन्हें हासिल करके वे प्रसन्न हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि इतना शानदार प्रदर्शन नहीं होने के कारण पहले थॉमस कप की ज़्यादा चर्चा नहीं होती थी और देश को इस टीम की महान उपलब्धि को समझने में थोड़ा समय लगा।
प्रधानमंत्री ने कहा, “पूरे देश की ओर से मैं आपको और आपकी पूरी टीम को बधाई देता हूँ कि दशकों बाद भारतीय ध्वज को मजबूती से फहराया गया है। यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है…अत्यधिक दबाव में अपने आप को और टीम को एक साथ रखना एक ऐसी चीज है, जिसे मैं अच्छी तरह समझता हूँ। मैंने आपको फ़ोन पर बधाई दी थी, लेकिन अब मैं व्यक्तिगत रूप से आपकी प्रशंसा करने का आनंद अनुभव कर रहा हूँ।”
सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी ने पिछले दस दिनों के आनंद और उतार-चढ़ाव के क्षणों से अवगत कराया। उन्होंने टीम और सहायक दल से मिले शानदार समर्थन को याद किया। उन्होंने कहा कि टीम अब भी जीत के लम्हों को फिर से जी रही है। प्रधानमंत्री ने अपनी ख़ुशी साझा की और टीम के सदस्यों के ट्वीट को याद किया किस प्रकार वे पदक के साथ सोए और ख़ुशी से पूरी रात सो नहीं पाए थे। रंकीरेड्डी ने अपने कोच के साथ प्रदर्शन की हुई समीक्षा के बारे में भी बताया। प्रधानमंत्री ने स्थिति के अनुसार उनकी अनुकूल होने की क्षमता की सराहना की। प्रधानमंत्री ने उन्हें भविष्य के लक्ष्यों के लिए शुभकामनाएँ दीं।
चिराग शेट्टी ने भी टूर्नामेंट की अपनी यात्रा सुनाई और ओलंपिक दल के साथ पीएम आवास पर आने के अवसर को याद किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने कुछ खिलाड़ियों में निराशा देखी, जब उनमें से कुछ ओलंपिक में पदक जीत नहीं सके थे। हालांकि, उन्होंने यह भी याद किया कि खिलाड़ी दृढ़ थे और अब उन्होंने सभी उम्मीदों को सही साबित कर दिया है। उन्होंने कहा, “एक हार अंत नहीं है, जीवन में दृढ़ संकल्प और जुनून की ज़रूरत होती है। ऐसे लोगों के लिए जीत स्वाभाविक परिणाम होती है, आपने यह दिखाया है।” प्रधानमंत्री ने टीम से कहा कि वे आने वाले समय में और भी कई पदक जीतेंगे। उन्हें खेलना भी है, खिलना भी है और देश को खेल की दुनिया में आगे ले जाना है। प्रधानमंत्री ने कहा, “अब भारत पीछे नहीं रह सकता। आपकी जीत कई पीढ़ियों को खेलों के लिए प्रेरित कर रही है।”
प्रधानमंत्री ने जीत के तुरंत बाद टेलीफोन पर हुई बातचीत के दौरान वादे के अनुसार ‘बाल मिठाई’ लाने के लिए लक्ष्य सेन को धन्यवाद दिया। लक्ष्य ने याद किया कि वह पहले यूथ ओलंपिक में जीत के बाद मिले थे और अब थॉमस कप जीतने के बाद प्रधानमंत्री से मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के मेल-जोल और संवाद से खिलाड़ी काफ़ी प्रेरित महसूस करते हैं। युवा बैडमिंटन खिलाड़ी ने कहा “मैं भारत के लिए पदक जीतते रहना चाहता हूँ और आपसे इसी तरह मिलते रहना चाहता हूँ।”
प्रधानमंत्री ने टूर्नामेंट के दौरान लक्ष्य को हुई विषाक्त भोजन की समस्या के बारे में जानकारी ली। जब इस खेल को अपनाने वाले छोटे बच्चों के लिए उनकी सलाह के बारे में पूछा गया, तो लक्ष्य ने उन्हें अपना पूरा ध्यान प्रशिक्षण पर लगाने के लिए कहा। प्रधानमंत्री ने लक्ष्य को अपनी ताकत और संतुलन को याद करने के लिए कहा, जिसे उन्होंने विषाक्त भोजन के आघात का सामना करने में लगाया था और उन्हें अपनी ताकत तथा संकल्प का उपयोग करने के सबक को याद रखने के लिए कहा।
एचएस प्रणय ने कहा कि यह और भी गर्व का क्षण है, क्योंकि टीम ने भारत की आजादी के ७५वें वर्ष में प्रतिष्ठित टूर्नामेंट पर जीत हासिल की है। उन्होंने कहा कि क्वार्टर फाइनल और सेमीफाइनल में काफ़ी दबाव था और उन्हें ख़ुशी है कि टीम के समर्थन से इसे दूर किया जा सका। प्रधानमंत्री ने प्रणय में योद्धा के गुण के बारे में कहा कि जीत के प्रति उनका दृष्टिकोण उनकी सबसे बड़ी ताकत है।
प्रधानमंत्री ने सबसे कम उम्र की उन्नति हुड्डा को बधाई दी, जिन्होंने पदक विजेताओं और गैर-पदक विजेताओं के बीच कभी भेदभाव नहीं करने के लिए प्रधानमंत्री की सराहना की। प्रधानमंत्री ने उनके दृढ़ संकल्प की प्रशंसा की और हरियाणा की मिट्टी की विशेष गुणवत्ता के बारे में पूछा, जो इतने गुणवत्ता वाले एथलीट पैदा करती है। उन्नति ने उत्तर दिया कि ‘दूध-दही’ युक्त आहार सभी की प्रसन्नता का मुख्य कारण है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका दृढ़ विश्वास है कि उन्नति नाम रोशन करेगी, जैसा उनके नाम से संकेत मिलता है। उन्होंने कहा कि उन्हें अभी लंबा रास्ता तय करना है और उन्हें जीत को कभी भी आत्मसंतुष्ट होने का कारण बनने नहीं देना चाहिए।
ट्रीसा जॉली ने अपनी खेल के लिए मिले उत्कृष्ट पारिवारिक समर्थन के बारे में बताया। प्रधानमंत्री ने कहा कि उबर कप में हमारी महिला टीम ने जिस तरह का खेल दिखाया, उस पर देश को गर्व है।
अंत में प्रधानमंत्री ने कहा कि इस टीम ने थॉमस कप जीतकर देश में बहुत ऊर्जा का संचार किया है। सात दशकों का लंबा इंतज़ार आखिरकार ख़त्म हो गया। श्री मोदी ने कहा, ‘ जो कोई भी बैडमिंटन समझता है, उसने इसके बारे में सपना देखा होगा, एक सपना जो आपने पूरा किया है। इस तरह की सफलताएँ, देश के पूरे खेल इकोसिस्टम में बहुत अधिक ऊर्जा और आत्मविश्वास का संचार करती हैं। आपकी जीत ने कुछ ऐसा किया है, जिसे महानतम प्रशिक्षकों या नेताओं की भाषण-शैली द्वारा पूरा नहीं किया जा सकता। “
उबर कप का ज़िक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जब हम जीत का इंतज़ार करते हैं, तो हम उसके लिए इंतज़ाम भी करेंगे। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि वर्तमान टीम के गुणवत्ता वाले एथलीटों को जल्द ही बेहतर परिणाम मिलेंगे। उन्होंने कहा, “हमारी महिला टीम ने बार-बार अपनी उत्कृष्ट प्रतिभा दिखाई है। बस समय की बात है; इस बार नहीं, तो अगली बार हम ज़रूर जीतेंगे।”
आजादी के ७५वें वर्ष में ये जीत और सफलता के शिखर पर पहुँचना हर भारतीय को गर्व से भर देता है। उन्होंने कहा ‘मैं यह कर सकता हूं’ यही न्यू इंडिया की भावना है। उन्होंने कहा कि प्रतियोगिता की चिंता करने से ज़्यादा अपने प्रदर्शन पर ध्यान देना ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि अब उम्मीद का दबाव बढ़ेगा, जो ठीक भी है और उन्हें देश की उम्मीदों के दबाव में विचलित नहीं होना है। उन्होंने कहा, “हमें दबाव को ऊर्जा में बदलने की ज़रूरत है। हमें इसे प्रोत्साहन के रूप में लेना चाहिए।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले ७-८ सालों में हमारे खिलाड़ियों ने नए रिकॉर्ड बनाए हैं। उन्होंने ओलंपिक, पैरालंपिक और डेफलिम्पिक में शानदार प्रदर्शन का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि आज खेलों को लेकर मानसिकता बदल रही है। नया माहौल बन रहा है। “यह भारत के खेल इतिहास में एक सुनहरे अध्याय की तरह है और आप जैसे चैंपियन और आपकी पीढ़ी के खिलाड़ी इसके मुख्य पात्र हैं। हमें इस गति को जारी रखने की ज़रूरत है।” प्रधानमंत्री ने देश के एथलीटों को पूरा समर्थन देने का आश्वासन दिया।
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