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आत्मविश्वास (Self-confidence)
आत्मविश्वास (Self-confidence): किसान दीनालाल के खेत में रबी की फ़सल पक गयी है। कोरोना वायरस के कारण पूरे राष्ट्र में लाकडाउन लगा है। एक सच्चे देशभक्त होने के कारण मजदूरों को फ़सल काटने के लिए नहीं कह रहे हैं। फ़सल कटाई के लिए बहुत चिंतित है।
“दादाजी आप सवेरे-सवेरे क्यों चिंतित हैं? आपके चेहरे पर बारह बज रहे हैं।” उनका बारह वर्ष का पोता रोहन पूछा।
“खेत में रबी की फसलें सूख गयी है। अगर इसको यूं ही कुछ दिन छोड़ देंगे तो सारी मेहनत पर पानी फेर जाएगी। क्या करूँ, कुछ समझ में नहीं आ रहा है। मजदूरों से कटवा नहीं सकता। मैंने कभी फ़सल काटी नहीं है।” दीनालाल उदासी स्वर में बोले।
“ओहो दादा जी! रोहन के रहते हुए आप क्यों चिंतित हो जाते हैं। चलिए खेत, हमलोग स्वयं फसलें काटकर ले आएँ। मैंने मज़दूर चाचा जी सबको फ़सल काटते ध्यान से देखता रहता।” राहुल आत्मविश्वास के साथ बोला।
“पर रोहन तुम अभी।” दीनालाल बोले।
“चलिए, दादा जी फ़सल काटने में देरी मत कीजिए।” रोहन दीनालाल को फ़सल काटने के लिए तैयार कर लेता है। दोनों आत्मविश्वास के साथ प्रसन्नता पूर्वक खेत की ओर चल देते हैं।
शिक्षा दीप
रात के नौ बजे हैं। रमेश कम्पनी से ड्यूटी करके आया है। साथ में दस वर्ष का अजनबी लड़का है।
अरे रमेश! यह कौन है? इस लड़के को कहाँ से ले आए? ” रमेश की माँ ने पूछा।
“माँ यह राहुल है। इसे चाणक्य होटल से लाया हूँ। वहाँ यह बर्तनों को साफ़ करने का काम करता है। लेकिन अब यह वहाँ मजदूरी नहीं करेगा।” रमेश बोला।
“क्यों, तुम इसके पेट पर लात मार रहे हो। अब यह कहाँ जाएगा और क्या करेगा?” रमेश की माँ आश्चर्य से बोली।
“माँ! होटल का मालिक इससे सिर्फ़ दिन-रात काम करवाता था। इसे भरपेट भोजन नसीब नहीं होती। इसके किताबों को होटल मालिक फाड़ दिया। मैंने इसके बारे में इसकी माँ से बात कर ली। अब यह यहीं रहेगा और।”
रमेश बोला।
“अच्छा! ठीक है। यह तुम्हारे संरक्षण में रहकर शिक्षा दीप जलाएगा और परिवार, समाज, राष्ट्र का नाम रौशन करेगा।” रमेश की माँ मुस्कुराते हुए बोली। वह रमेश और राहुल के लिए भोजन परोस देती है।
रीतु प्रज्ञा
करजापट्टी, दरभंगा, बिहार
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