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वृद्धाश्रम (old age home)
माता पिता का कर्ज़ हम कभी नहीं चुका सकते। वे हमारे लिए भगवान के समान है। एक बड़ा आदमी अपनी पत्नी को क्यों देता है-तलाक। ये जानिए मेरी कहानी old age home के माध्यम से-
कल रात कुछ ऐसा हुआ जिसने मेरी ज़िन्दगी के कई पहलुओं को छू लिया। शाम के ५: ०० बजे थे और मोबाइल बजा उधर से रोने की आवाज़ आई तो मैंने पूछा कि भाभी जी आख़िर क्या हुआ? उधर से आवाज़ आई कि आप आइए हमें आपसे बहुत ज़रूरी बात करनी है। फिर मैंने पूछा उनसे भाई साहब कहाँ है? माता जी किधर है? आख़िर क्या हुआ? सब कुछ ठीक है तो भाभी जी ने कहा नहीं बस आप आ जाइए यहाँ कुछ भी ठीक नहीं है।
तो मैंने उनसे कहा ठीक है अभी मैं थोड़ी देर में पहुँचता हूँ देखा तो भाई साहब जो कि एक बहुत बड़ी कंपनी के मालिक है सामने बैठे हुए थे और रो रहे थे। भाभी जी भी रो रही थी और उनके दो बच्चे थे एक १२ साल का बेटा और १० साल की बेटी थी। मैंने भाई साहब से पूछा आख़िर क्या बात है? भाई साहब बस रोए जा रहे थे। जैसे कोई छोटा बालक रो रहा हो। भाभी जी ने कहा यह मुझे तलाक देना चाहते हैं मुझे बहुत आश्चर्य हुआ कि इस उम्र में तलाक, बच्चे इतने बड़े हो गए।
सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था पर आज आख़िर ऐसी क्या नौबत आ गई? कि आप भाभी जी को तलाक देने के लिए उतारू हो गए मैंने बच्चों से पूछा बच्चों आपकी दादी किधर है बच्चों ने बताया कि पापा ३ दिन पहले दादी को वृद्धाश्रम में छोड़ आए हैं। मैंने कहा आख़िर ऐसी क्या बात हुई जो दादी जी को वृद्धाश्रम में छोड़ना पड़ा? फिर जो मेरा मित्र था वह फूट-फूट कर रोने लगा और बोलने लगा कि मैं अपनी ६१ साल की माँ को कुछ लोगों के हवाले कर आया हूँ। मेरे घर में रोज़ कलह होती थी।
मेरी पत्नी ने उनसे बात करना बंद कर दिया और वे उनका ध्यान तक नहीं रखती थी उसे यह लगता था कि माँ हमारी निजी ज़िन्दगी में बहुत दखल देती है। इनके पहनने ओढ़ने में कमी आ रही थी। माँ के लिए भोजन बनाना पड़ता था अलग से और माँ की दवाइयों का ख़्याल रखना पड़ता था तो इन्हें दिक्कत होती थी कि माँ के लिए हमें बहुत ज़्यादा काम करना पड़ता है। घूमने फिरने में कमी आती है।
माँ ने मुझ से १० दिन पहले बोला बेटा तू मुझे ओल्ड एज होम शिफ्ट कर दें। ताकि तुम्हारी घरेलू ज़िन्दगी में कोई भी मेरी वज़ह से अनबन ना हो। तुम्हारा परिवार बहुत छोटा है तुम्हारे आगे पूरी ज़िन्दगी पड़ी है। तो मैं माँ के कहने पर पत्नी की कलह के कारण घर में शांति बनाए रखने के लिए अपनी माँ को ओल्ड छोड़ आया।
मुझे याद है कि जब मैं ५ साल का था मेरे पिताजी की मृत्यु हो गई थी ओ मेरी माँ ने मुझे इस काबिल बनाया कि मैं आज कंपनी का मालिक हूँ उन्होंने लोगों के घरों में काम किया और मुझे इतना पढा़या-लिखाया। मुझे कुछ नहीं करने दिया मैं अपनी माँ के एक-एक दुख को याद करके तड़प रहा हूँ। जिसने मेरे लिए इतने दुख उठाए और मैं उस माँ को ही अपने पास नहीं रख पाया और बुढ़ापे में उनकी सेवा कर पाया।
मुझे याद है कि जब मेरी बारहवीं की परीक्षा होने वाली थी। मेरी माँ मेरी रात भर साथ बैठी रहती थी एक बार माँ को बहुत तेज बुखार हुआ और जब मैं स्कूल से आया तो माँ का शरीर तप रहा था तो मैंने कहा कि माँ तुझे फीवर है तो माँ बोली नहीं बेटा अभी मैं तेरे लिए रोटी बना कर आई हूँ। इसलिए शरीर गर्म हो रहा है। माँ के पास जो भी थोड़े बहुत पैसे थे। मेरे ऊपर ख़र्च कर दिए।
आज हम उनको ऐसे लोगों के हवाले छोड़ आए हैं। जिसे माँ की किसी आदत के बारे में उनकी बीमारी के बारे में कुछ नहीं जानते हैं जब हम माँ को नहीं संभाल पाए तो वे लोग माँ को क्या संभाल पाएंगे? मैं यही सोच-सोच कर घबरा रहा हूँ। अगर आजादी इतनी प्यारी है तो मैं अपनी पत्नी को तलाक देकर मैं माँ के साथ वृद्धाश्रम में ही कम से कम माँ के साथ तो रह पाऊंगा। माँ के साथ रहते-रहते आदत भी हो जाएगी वरना आज जैसे मैंने अपनी माँ को वृद्धाश्रम में छोड़ा है। कल मेरे बच्चे भी मेरे साथ वही करेंगे तो और बोलते-बोलते हुए रोए जा रहे थे। उन्हें अपने किए पर बहुत पछतावा हो रहा था।
इस दुनिया में माता-पिता से बढ़कर कोई और नहीं होता क्योंकि, माता-पिता अपने बच्चों की ख़ुशी के लिए अपनी ज़िन्दगी की सारी खुशियाँ कुर्बान कर देते हैं। माता-पिता को मरने से पहले ना मारे वे हमारी ताकत है उन्हें बेसहारा ना होने दें। इसीलिए उनका सहारा बने उन्हें सहारा दे माता-पिता की आंखों से आंसू गिर गए तो यह सोचिए कि हमारे लिए बुरा पल शुरू हो गया।
यह उनका कर्ज़ है जो हमारे लिए कई जन्मो तक रहेगा यक़ीन मानिएगा हमारे पास सब कुछ होगा पर सुकून नहीं होगा सुकून सिर्फ़ माँ के आंचल में और पिता के साए में होता है। उस आंचल को और उस साए को कभी अपने से दूर मत होने देना।
श्वेता वर्मा
इंडस वैली पब्लिक स्कूल, नोएडा
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