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जिन्दगी लॉकडाउन (life lockdown)
जिन्दगी लॉकडाउन (life lockdown) हो गयी
चलते-चलते पांव थक गये
बड़े दिनों के बाद आज मैं
बैठा हूँ घर में फुर्सत से कहीं
लाकडाउन प्रणाली का सिस्टम
न जाने कब तक चलेगा यूं ही
अपनों से मिलना है खतरनाक
सौशल मीडिया पर करो मुलाकात
घर से बाहर अगर निकलो तो
किसी भी वस्तु को तुम छूना नहीं
हाथ जोड़कर अभिवादन करना
ना हाथ मिलाओ ना पास बैठो सभी
जीवन को हमें कैसे चलाना होगा
बैठे-बैठे सोच विचार कर लो तुम्हीं
किसी का कभी मज़ाक मत बनाना
उसकी पीड़ा को समझो तुम सभी
दूरी बनाओ मास्क लगाओ प्रण लो
कोरोना तो समझो बस गया यहीं
धीरे-धीरे सामान्य जीवन होगा
प्रार्थना करो ईश्वर से मिलकर सभी।
कोरोना में फुर्सत के पल
कोरोना बीमारी में फुर्सत के पल
लाकडाउन बना जीवन पर भारी
सफाई स्वास्थ्य पुलिस कर्मी की
कोरोना जंग से लड़ने की तैयारी॥
कोरोना बीमारी में फुर्सत के पल
अपने घर परिवार की चिंता छोड़
देश को स्वस्थ्य रखने की आयी बारी
कोरोना फाइटर्स बन कमान संभाली॥
कोरोना बीमारी में फुर्सत के पल
जीवन भर लड़ूंगा घुटकर मरूंगा
गंदगी का मैं ख़ुद सामना करूंगा
ना आने दूंगा तुम पर कोई चिंगारी॥
कोरोना बीमारी में देश दुनिया को
आज मिले जीने को फुर्सत के पल
भौर की पहली किरण को उठकर
मैं संभालता देश की गंदगी सारी॥
कोरोना बीमारी में फुर्सत के पल
वायु ध्वनि प्रदूषण से मुक्ति मिल गयी
देश में शुद्ध स्वच्छ वातावरण हो गया
प्रकृति का यौवन बना आज श्रंगारी॥
मजलूम बेसहारा असहायों की
मदद करने की उठाओ जिम्मेदारी
अपनों संग घर पर रहो सुरक्षित रहो
कोरोना फाइटर्स के सम्मान में बजाओ ताली॥
देश का समाचार
देश के चार स्तंभों में मज़बूत है
पत्रकारिता करते अनेक पत्रकार
समाचार है आज देखों सुर्खियों में
नयी सुबह में नयी ख़बर के साथ
चाय की चुस्की से दिन की शुरुआत
खोज रहे खबरें अख़बार पढ़ते हाथ
लूट चकारी छींटाकशी बलात्कार
इन्हीं खबरों से बनते प्रमुख समाचार
गाली गलौज अपशब्द अभद्रता
आखिर क्यों होती पत्रकारों के साथ
कुटील अमानवीय टीका-टिप्पणी से
भरा पड़ा है देश का सारा अखबार
संसद विधानसभा के चुनावों की बयार
नेताओं के गौरख धंधे होते गोलमाल
रंगीन काली स्याही ओर चित्रों के साथ
गंभीर मुद्दों पर कभी नहीं बनती बात
देश की रक्षा को सेना का जवान समर्पित
शहीद के सम्मान में सब सच होती बात
अखबार के पन्ने के कोने पर छप कर
इतिहास में अमर हो जाती लिखी बात
साहित्य का भी है यह अभिन्न अंग
रातों को जागकर छपते हैं समाचार
दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक
तिमाही, छमाही, वार्षिक होते अखबार
भूत, भविष्य, वर्तमान सब जगह
छाकर हमेशा अमर रहेगा अखबार॥
पिता एक एहसास
पिता एक एहसास
जीने का है विश्वास
पग-पग चलते सदा
देते स्नेह आशीर्वाद
मां जीवन में सर्वोपरि
पिता सिर का सरताज
उनकी उम्मीदें हैं मुझसे
उन्हें पूरा करने का प्रयास
दिन भर पिसते माता-पिता
जैसे हों चक्की के दो पाट
अपनी जीने की इच्छा ख़त्म
मुझमें देखते हैं वह घर-संसार
पिता हैं मेरे पंखो का परवाज
परछाई बनने का करता प्रयास
दुःख-संकट को ख़ुद हर लेते
हम पर ना आने देते कभी आंच
घड़ी की सुई हो जैसे ऐसे चलते
ना रूकते ना थकते ना झुकते
जीवन है उनका चलने का नाम
बेटे के बाद जबसे मैं पिता बना हूँ
चलता पदचिह्नों पर करता मनन
उनके संघर्षों का करता अनुसरण
पिता का एहसास कराया है आपने
ईश्वर ओर पिता दोनों को मेरा नमन॥
प्रकृति धरा का सिंगार
पुष्पित पल्लवित पृष्ठभूमि है सिंगार
वृक्षारोपण हमारे जीवन का आधार
नदी नहरें तालाब झीलें जलकुंड
पहाड़ जंगल धरा का अद्भुत संसार॥
प्रकृति का अद्भुत सौन्दर्य निराला
टूट रही सांसें छिन रहा मुंह से निवाला
प्रकृति का सुकुमार कवि सुमित्रानंदन
ताउम्र रहा उनकी क़लम में प्रकृति प्यार॥
आज धरा का आंचल हो रहा उजाड़
पहाड़ जंगल काट कर मकान बने हजार
प्राणी के प्राण बचाने को करें पौधे रोपण
पशु पक्षी को भी चाहिए प्रकृति का प्यार॥
आओ मिलकर धरती को स्वर्ग बनाएँ
पौधे सिंचित कर हरा-भरा सजाएँ
निराले मौसम में निराली छटाएँ हजार
प्रकृति का भरपूर सौन्दर्य करता चमत्कार॥
आओं आज हम मिलकर शपथ लें
पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लें
जन्मदिवस, विवाह वर्षगांठ, पुण्यतिथि
पौधे रोपे बने प्रकृति का वह आधार॥
विदाई
छोड़ बाबुल का आंगन
ले चली आज मैं विदाई
बहन बेटी थी अब तक
मगर पत्नी बन हो गयी
मां-बाप से क्यों पराई
ना भूल सकती कभी मैं
अपने बाबूल का आंगन
मां के आंचल का दुलार
दादी की कहानी के किस्से
याद आते हैं मुझे बार-बार
मेरे आने से घर रोशन हो गया
जबसे आयी हूँ पति के द्वार
चूड़ी बिंदी पायल सिन्दूर
अब बन गया है मेरा शृंगार
पत्नी से अब मैं माँ बन गयी
बेटी पाकर झूमी घर-संसार
नन्हें क़दमों की आहट थी
मेरे जीवन जीने का सार
सभ्यता संस्कृति संयोग से
उच्च शिक्षा के दम पर
सरकारी विभाग में अफसर बन
हमारी बेटी ने मान बढ़ाया
बेटी को जीने का मिला अधिकार
अब आयी बारी बाबूल बन
बेटी को विदा करने की
जब बेटी को विदा किया
मुझे लगा आज फिर मैंने
बाबूल का आंगन छोड़ दिया।
फूलन तेरे जज्बे को सलाम
फूलन तेरे जज्बे को सलाम
१०-०८-१९६३ को निम्न वर्ग में
मलाह देवी दीन के घर जन्मी
उ।प्र। के जालौन के गोरहा गाँव
पिता देवीदीन को नहीं था अंदाजा
जन्मदिन ना हो भले ही खास
पर मृत्यु दिन ऐसा होगा
देश दुनियाँ में बनेगी पहचान
माँ-बाप की छः संतानों में
बेटी फूलन थी दूसरी संतान
गाँव की दब्बू लड़कियों जैसी नहीं
निडर-बेखौफ रही ताउम्र पहचान
चिंता हुई उन्हें बेटी होने की
चिंता हुई उसे बड़ा करने की
चिंता हुई उसे शिक्षा देने की
चिंता हुई उसकी शादी करने की
११ वर्ष की कम उम्र में शादी हुई
फूलन ने इसका विरोध किया
किन्तु नियति मानकर स्वीकार किया
पिता से पहुँची अधेड़पति के द्वार
पति ने ना समझा उसका सम्मान
परिवार ने भी किया तिरस्कार
सम्पति के नाम पर पिता के पास
थी बस एक एकड़ ही जमीन
पिता की जब हो गयी मृत्यु
उनका भाई घर का मुखिया बना
मुखिया बन देवीदीन की ज़मीन हड़पी
फूलन को किया हिस्से से दरकिनार
जमीन की बात इतनी बिगड़ी
प्रतिशोध में चाचा पर किया प्रहार
परिस्थितियों से तंग आकर
निकल पड़ी फिर ऐसे रास्ते
जहाँ से वापिस नहीं आना
और थाम लिये थे हथियार
डाकुओं के गिरोह में शामिल होकर
फूलन पहुँची पति के गाँव
घर से निकाल पति को सड़क पर गेर
चाकू मार अधमरे हाल में छोड़ दिया
जाते-जाते किया था ऐलान
आज के बाद कोई अधेड़ पुरूष
जवान लड़की से शादी करके
न करे कभी उसका अपमान
गिरोह में पड़ी फिर विकट परिस्थिति
सरदार का दिल फूलन पर आया
करना चाहता था उससे शारीरिक प्यार
विक्रम मलाह ने दिया फूलन का साथ
दरिंदे सरदार को मार गिराया और
अगले दिन बन गया गिरोह का सरदार
इसी बीच जेल से छूटे दो भाईयों ने
गिरोह में आकर मार गिराया मलाह सरदार
फूलन को क़ैद कर ले आये अपने गाँव
बेहमई में हुआ एक बड़ा हादसा
२० वर्ष की कम उम्र में फूलन को
एक कमरे में जालिमों ने बन्द किया
तीन सप्ताह की अवधि तक
मानव रूपी २२ वहशी दरिंदों ने
एक के बाद एक करके बलात्कार किया
अपमानित किया नग्न किया
गाँव में चारो तरफ़ घुमा दिया
तीन सप्ताह बाद जालिमों की क़ैद से
फूलन निकलकर भाग गयी
बेहमई में कई महीनों बाद
एक बहुत बड़ा नरसंहार हुआ
१४-०२-१९८१ शादी का शुभ दिन
गाँव के लिए बड़ा काल बना
फूलन बदला लेने लौटी बेहमई गाँव
पुलिस वर्दी में अपने गिरोह के साथ
रौद्र रूप था उसमें भरा हुआ
मन में थी भीष्ण ज्वाला की आग
गाँव के उपस्थित सभी युवकों को
कुँए के पास लाईन में खड़ा किया
नदी तक ले जाकर घुटनों पर टिका दिया
स्मरण किया फूलन ने वह घिनौना दौर
जिसने लज्जित, अपमानित, घृणित किया
गोलियो की बौछार में २२ लोगों को मार दिया
नरसंहार ने देश में आव्रळोश पैदा किया
उ।प्र। के मुख्यमंत्री वी.पी. सिंह ने
बेहमई हादसे से आहत इस्तिफा दे दिया
विफल हुआ पुलिस का अभियान
फूलन का पता लगाने को
क्षेत्र की गरीब लोगों की समर्थक को
भारतीय मीडिया ने बैंडिट क्वीन
निडर-अदम्य महिला का नाम दिया
प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी की सरकार ने
आत्म समर्पण पर बातचीत का फ़ैसला किया
कुछ समय फूलन की तबीयत खराब रही
कुछ सदस्य पुलिस, प्रतिद्वंद्वी द्वारा मारे गये
फिर फूलन आत्म समर्पण को तैयार हुई
कुछ शर्ते देकर सरकार को मजबूर किया
उ।प्र। पुलिस पर नहीं था भरोसा
म।प्र। पुलिस को आत्म समर्पण करूंगी
इसके लिए अपने सदस्यो को भी तैयार किया
महात्मा गाँधी-देवी दुर्गा की तस्वीरों के सामने
राईफल व अपने हाथों को रख दिया
चार शर्तो को सबके सम्मुख उजागर किया
आत्म समर्पण सदस्यों को मृत्युदंड ना मिले
और मात्र ८ वर्ष का ही कारावास हो
चाचा ने जो हड़पी ज़मीन वह वापिस मिले
मेरा परिवार आत्म समर्पण का गवाह बने
एक निहत्था पुलिस प्रमुख चंबल में
फूलन से मुलाकात के लिए गया
आत्म समर्पण समारोह के गवाह में
म।प्र। के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के अलावा
१० हज़ार गणमान्य लोगों सहित
३०० पुलिस कर्मी का जमावाड़ा हुआ
१३-०२-१९८३ का वह आत्म समर्पण दिन
२२ कत्ल, ३० लूटपाट, १८ अपहरण
फूलन पर ये मुकदमा क़ायम हुआ
११ वर्ष की क़ैद में अल्सर का आॅपरेशन हुआ
उसके बाद निषाद समुदाय के नेता
विशम्भर प्रसाद निषाद के हस्तक्षेप पर
मुख्यमंत्री मुलायम सिंह की सरकार ने
सब मुकदमों से बरी किया
फूलन के जीवन में वह कठिन दौर था
इसके बाद जीवन में बड़ा बदलाव हुआ
बीहड़ के चंबल की दस्यु सुन्दरी का
१९९६ में राजनीति में पर्दापण हुआ
१९९६ व १९९९ में उ।प्र। की मिर्जापुर सीट से
समाजवादी पार्टी के टिकट पर दो बार
लोकसभा संसद में प्रवेश हुआ
गरीब-मजलूम-बेसहारों की आवाज
संसद में पिछड़ों की दहाड़ बनी
राजनीति में रही मात्र ४ वर्ष
अपने जीवन में राजनीति को बुलन्द किया
जब लोकसभा का हिस्सा थी
अतीत ने पीछा तब भी ना छोड़ा
फूलन के जीवन में फिर भुचाल हुआ
३८ साल की उम्र में २५ जुलाई २००१ को
दिल्ली आवास पर दबंगों ने छन्नी किया
बेहमई की घटना का फूलन से बदला लिया
फूलन के जीवन पर किताब बनी फ़िल्म बनी
फिर फूलन देवी दस्यु सुन्दरी से सांसद बनी
फूलन देवी हमेशा निडर व बेखौफ रही
फिर फूलन देवी इस दुनियाँ में महिला के लिए
राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनी।
आशीष भारती
सहारनपुर (उत्तर प्रदेश)
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