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महामारी और मानव (Epidemics and Humans)
महामारी और मानव (Epidemics and Humans): जब किसी रोग का प्रकोप कुछ समय पहले की अपेक्षा बहुत अधिक हो जाता है तो उसे महामारी या ‘जानपदिक रोग’ कहते हैं। महामारी किसी एक स्थान पर सीमित नहीं होती है। किन्तु यह दूसरे देशों और दूसरे महाद्वीपों में भी पसर जाए तो वह ‘सार्वदेशिक रोग’ बन जाती हैं।
इस प्रकार की महामारियाँ विश्व के प्रत्येक कोने में कभी न कभी आती रहती है जिससे मानव उनका शिकार बनता है। वर्तमान समय में सम्पूर्ण विश्व में फैले इस अतिसूक्ष्म कोरोना वायरस के कहर ने विज्ञान को भी बोना साबित कर दिया है। महामारी ने मानव को परिस्थितियों के अनुसार अनुकूलित होने के लिए मजबूर कर दिया है। इस महामारी ने रात दिन मौज मस्ती से घूमने फिरने वालो से लेकर दो जून की जठराग्नि को मिटाने के लिए दरबदर भटकने वाले मानव को भी अपने घर में रहने के लिए मजबूर कर दिया है।
आज पूरा विश्व अपने प्राणों को सुरक्षित रखने के लिए अपनी तय कार्य योजनाओं को छोड़कर “पहला सुख निरोगी काया” वाले कथन को अपने यथार्थ जीवन में उतारते हुए घर में बैठ कर यही दुआ कर रहा है कि इसका कुछ न कुछ इलाज़ मिल जाए। इस महामारी से बचाने के लिए विश्व के सभी देशों की सरकारें अपना अथक प्रयास कर रही है। इस संक्रमण की चेन को लोक डाउन व सोशियल डिस्टेंसिग के माध्यम से तोड़ा जा रहा है।
भारत का जनमानस परसेवा को सबसे बड़ा पुण्य मनाता है। वह ‘यह मेरा-वह तेरा’ से ऊंचे उठकर वसुधैव कुटुंबकम को हजारों साल पहले समझ चुका है। यदि उसकी नई पीढ़ी को प्रारंभ से ही मानव मूल्यों, प्राचीन भारतीय संस्कृति और साहित्य की श्रेष्ठता से परिचित करा दिया जाए, उसकी गतिशीलता और हर प्रकार के जन-उपयोगी नए ज्ञान और परिवर्तन को आवश्यक विश्लेषण के पश्चात स्वीकार करने की छूट से अवगत करा दिया जाए तो भारत फिर एकबार मानव-मानव और मानव-प्रकृति के सम्बंधों का ऐसा उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है, जिसकी आज सारे विश्व को आवश्यकता है। ऐसे में भारत को अपनी जिम्मेदारी उठानी चाहिए और कोरोना से उबरने के लिए विश्व को नया रास्ता दिखाना चाहिए।
मानव प्राचीन समय से ही अनेक प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं को चुनोतियाँ देता रहा है। प्राचीन समय में संसाधनों की कमी के चलते भी इन आपदाओं से लड़ सकता था तो वर्तमान में इनके पास अनेक प्रकार के संसाधन उपलब्ध है इन उपलब्ध संसाधनों से किसी भी प्रकार की चुनोती का सामना कर सकता है। फिलहाल तो कोरोना वायरस से बचने के लिए सावधानी और सतर्कता बेहद ज़रूरी है। हमारा भी आपसे आग्रह है कि आप सभी दुनिया के जिस देश में भी हों अपनी-अपनी सरकारों द्वारा जारी की जा रहीं सावधानियों और सुझावों पर अमल करें।
ज़िन्दगी जीने के लिये तो अभी पुरी ज़िन्दगी पड़ी है।
अभी वह लम्हा ही संभाल लो जहाँ मौत सामने खड़ी है॥
अगर रिश्तो में गलतफहमी का वायरस फैल चुका है तो… प्यार के दो लफ़्ज़ो से सेनेटाईज कीजिये…!
घर पर रहिए! सुरक्षित रहिए! स्वस्थ रहिए!
बालाराम भाटी नागाणा
बाड़मेर, राजस्थान
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