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आलोचक
सुनो! आलोचकों (Critic)
मेरी ख़ामोशी ही
अनगिनत सवालों का
जवाब है।
तुम करते रहो प्रतिकार
मुझे अच्छा लगता है,
आपका खीझना व्यवहार।
क्योंकि यही तो है
मेरे लक्ष्य की पतवार।
इसी से मैं अपनी रगों में
साहस भरता हूँ,
पर! मैं मौन रहूँ तो भी
आपको क्यूँ अखरता हूँ?
चेत है! क़दम मेरे बढ़ने पर
जलन आपकी बढ़ेगी,
आलोचना करो या प्रशंसा
मेरी प्रवृति नहीं बदलेगी।
पिता
जब-जब गिरा मैं राहों में
पिता ने ही मुझे उठाया है
जिनकी डाँट में भी प्यार समाया है
धूप हो तो पिता ही मेरी छाया है।
कैसे तुम हर दर्द को सहते हो
बिन माँगे सब हमको देते हो
ज़ेब में ना हों पैसे भी आपके
फिर भी कभी ना नहीं कहते हो।
हर रोज़ देर रात तक जागते हो
सुबह होते ही दिनभर भागते हो
परिवार की खुशियों की ख़ातिर
हमेशा अपनी ख़ुशी त्यागते हो।
पिता से होता परिवार है
पिता से ही ये संसार है
रहे सदा आशीर्वाद आपका
नमन तुम्हें हर बार है।
पर्यावरण बचाना होगा
पर्यावरण पर ध्यान धरो
कल की चिंता आज करो।
जीवन अपना तुम मानकर
जल को ना यूँ बर्बाद करो॥
अब वृक्ष लगाना शुरू करो
और हरा भरा-सा बाग़ करो।
पेड़ों से जीवन सफल होता है
सब पेड़ों पर तुम नाज़ करो॥
मानव अब ख़ूब बहक रहा है
हर वृक्ष बहुत दहक रहा है।
मनुष्य है पर्यावरण का जुल्मी
चिड़िया जैसा ये चहक रहा है॥
आग उगलता सूरज हम पर
सूख रही जड़ें हमारी ज़मीं पर।
बूँद बूँद पानी को तरस रही है
सूख गयी नदियाँ भी धरा पर॥
प्रकृति से बहुत खिलवाड़ किया
कंक्रीट का जंगल खड़ा किया।
धन दौलत ख़ूब कमाकर सबने
धरती पर बहुत अत्याचार किया॥
हरा भरा खुशहाल था जीवन
फ़ल फूलों से भरा था आंचल।
फिर से हरियाली लानी होगी
वृक्ष लगाकर जान बचानी होगी॥
धम्म की राह
जो चला धम्म की राह पर
जीवन उसका सफल हुआ।
अपना दीपक स्वयं बनो
बुद्ध ने समर संदेश दिया॥
धम्म ने किया ईर्ष्या का दमन
हुआ दुनिया में तब अमन।
बढ़े मानवता मिट जाये तम
मन से जो जाए बुद्ध शरण॥
ना भेदभाव ना तनाव हो
सभी जीवों का रखरखाव हो।
मिलकर रहें एकजुटता से
बस शांति का ही प्रभाव हो॥
अब करो तथागत का गुणगान
फैलाया विश्व में जिन्होंने ज्ञान।
दे गए सूक्त ख़ास हम सबको
उनके धम्म को लो सब मान॥
माँ
माँ दुनिया में सबसे प्यारी
हैं बातें भी उसकी न्यारी
दर्द, पीड़ा छुपाकर अपने
हमको खुशियाँ देती सारी
माँ से बढ़कर इस जहाँ में
कोई और नहीं दूजा है
माँ तू ही है मंदिर मेरा
और तू ही मेरी पूजा है
ऊँगली पकड़कर हमको
चलना सिखाती है माँ
खुद रहती तकलीफों में
सबको हँसाती है माँ
भूख लगी हो ख़ुद को
पहले हमको देती हो
देख ख़ुशी तुम हम सबको
खुद भी खुश हो लेती हो
वो जीना हमें सीखाती है
उन्नति की चिंता उसे सताती है
रखती है बेगम हमें हमेशा
वो ग़म अपने सह जाती है
अहसान कभी ना चूका सकता
माई तूने मुझे बनाया है
कितना खुशनसीब हूँ जो
मैंने आँचल तेरा पाया है
रोम-रोम में तू है बसती
तुझसे ही है मेरी हस्ती
तुझसे हुआ माँ मेरा सवेरा
बिन तेरे नहीं कुछ भी मेरा
जीवनभर ये तेरा लाडला
बस तेरा ही दास रहे
जबतक जीवित मैं रहूँ
मुझमें तेरा ही वास रहे
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