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हालात (circumstances)
अभी कुछ हालात (circumstances) हैं ऐसे,
सभी ख़ामोश बैठे हैं,
सभी मजबूर होकर हम,
अभी लाचार बैठे ह़ै,
कफन के चोर कुछ बैठे,
नहीं लाचार दिखते हैं,
करते राजनीति इनको,
नहीं बीमार हैं दिखते,
निवाला छीन कर खाते,
ये मजबूर लोगों का,
सभी शैतान हैं ऐसे इन्हें,
मजबूर नहीं दिखते,
घर भरते हैं अपनों का जिन्हें,
ज़रूरत नहीं इसकी,
जो महलों में है बैठे उनके,
महल नहीं दिखते,
मर रहा मज़दूर सड़को पे,
ये अफवाह उड़ाते हैं,
कर मज़दूर की बातें आँसू,
घड़ियाली बहाते है,
कुछ उसकी भी है गलती,
कुछ तक़दीर से हारा,
खुद उठना भी जो चाहा,
समय ने तभी मारा,
मजबूरी पर गरीबों की,
अपनी मूँछ ऐंठे हैं,
भेड़िये नोच खाने को यहाँ,
सब तैयार बैठे हैं॥
जय-जय माँ शारदे
करें हम शारदे विनती,
हमें तुम ज्ञान दे दो माँ,
हरो अज्ञान हम सबका,
हमें पहचान दे दो माँ,
करें हम …
हमारा साया बनकर के,
हमारे साथ ही आना,
यदि हम राह भटके तो,
हमें तुम राह बतलाना,
करें हम…
तुम्हीं अज्ञान को हरती,
तुम्हीं हो ज्ञान का दर्पण,
तुम्हारे बैठ चरणों में,
करें जीवन तुम्हें अर्पण,
करें हम…
रहें हम दूर लालच से,
हमारे दंभ को हरना,
कभी न स्वार्थ छूं पाए,
पहना दो ज्ञान का गहना,
करें हम…
शरण में आयें हैं तेरी,
हमें सद्ज्ञान दे दो माँ,
रखें इंसानियत ज़िंदा,
हमें वरदान यह दो माँ॥
करें हम…, हमें पहचान…॥
भोर हुई
भोर हुई सूरज उग आया,
सूरज ने किरणें फैलाई,
भाग गया जग से अधियारा,
चहुं ओर छाई रोशनाई,
जाग गये हैं पक्षी-गण भी,
शीतल मंद चले पुरवाई,
भंवरे भी गुन-गुन करते हैं,
राग सुनाते हैं सुखदाई,
त्यागो शय्या आलस छोड़ो,
अच्छे से मुंह धोलो भाई,
पियो गुनगुना पानी प्रात: ,
रोगों की यह करे सफ़ाई,
चलो टहलने बाग-बगीचे,
जमकर तन की करो सिकाई,
स्वस्थ रहेगा तन-मन अपना,
दूर रहेंगी सभी दवाई॥
भोर हुई
भोर हुई जागो सारे,
छिप गये चांद-तारे,
आलस का त्याग कर,
अब जाग जाइए।
शीतल पवन चले,
तन-मन दोनों खिले,
मन में उमंग भर,
सभी ख़ुशी पाइए।
हरे हरे-राम राम,
भज लो हरि का नाम,
भक्ति का भाव सभी,
मन में जगाइए।
हरे कृष्णा-हरे राम,
मन को बना के धाम,
मन में अलख जगा,
हरि गुण गाइए॥
हाथ जोड़ पांव परूं
हाथ जोड़ पांव परूं,
तुमको ही ध्याता रहूँ,
शारदे माँ आप सदा,
मुझको सद्ज्ञान दो।
मन से निश्छल बनूं,
सदा स्वच्छ भाव जनूं,
मन सेवा भाव जगे,
ऐसा कुछ भान दो।
दुखियों के दर्द बांटू,
ज़खम सभी के पांटू,
सबका ही प्यार मिले,
सच्ची पहचान दो।
अपनों का प्यार पाऊँ,
सभी का दुलार पाऊँ,
सबके दिलों में रहूँ,
ऐसा वरदान दो॥
चरणों में शीश धर
चरणों में शीश धर,
गुरु को नमन कर,
गुरु महिमा का सारे,
जग में बखान हो।
गुरु का आशीष मिले,
आशाओं के पुष्प खिले,
फले-फूले शिष्य सभी,
जीवन आसान हो।
ज्ञान का प्रकाश भर,
अज्ञान को हर लेते,
उनकी इस कृपा का,
हमें सदा भान हो।
जब तक जान रहे,
बात यह ध्यान रहे,
विश्व के पटल पर,
गुरुओं का मान हो॥
हरीश बिष्ट
रानीखेत, उत्तराखण्ड
१- पिता
२- महिला दिवस
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