श्रद्धांजलि (Tribute) : लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar)
“नाम गुम जाएगा… चेहरा ये बदल जायेगा,
मेरी आवाज़ ही पहचान है…गर याद रहे…” Lata Mangeshkar
कहते हैं आवाज़ें कभी नहीं मरती…सदियों सदियों तक ध्वनि तरंगों के रूप में हमारे चारों ओर घूमती रहती हैं…और आवाज़ अगर इतनी मधुर और सुरीली हो तो कहना ही क्या…
लता मंगेशकर की आवाज़ भी कुछ ऐसी ही थी…इतनी सुरीली की उनका जादू सर चढ़कर बोलता था। उनके गाए पुरानें गानों को सुनकर ऐसा लगता है जैसे कोई स्वर्ग के सोपान पर बैठा गा रहा हो और उस स्वरलहरी में सबकुछ डूबकर रह गया हो …ऐसा मीठा नशा जो सुननें वालों को मदहोश कर दे और हम उसी में डूबकर रह जाएँ।
आवाज़ के अलावा कुछ और भी था जो उन्हें ख़ास बनाता था, वह है गानों को गाने का उनका सबसे अलग और अनूठा ढंग। उन्होंने अपनें गानों को न सिर्फ़ गाया है बल्कि उन्हें ज़िया है। वह गाने के बोलों के भाव को समझकर …उन्हें अपनी आवाज़ में पिरो कर एक नए रूप में ढाल देती थीं। आँखे बंद करके सुना जाए तो उनकी सुरीली तान गानें के बोलों में घुलकर एक छायाचित्र-सा बना जातीं थे और सारे भाव जीवंत होकर हमारी आँखों के आगे आ जाते थे।
चाहे कोई विरह गीत हो, प्रेम गीत या कोई उदासी में डूबा नगमा। उनकी आवाज़ गीतों के भाव के अनुरूप बखूबी ढल जाती थी। वही आवाज़ कभी शोख चुलबुली लगती … तो कभी उदासी में डूबी हुई, कभी मंदिर के मंदिर के घंटी-सी गुरु गंभीर और पवित्र… तो कभी गहरी और रहस्यमयी सुनाई पड़ती है।
उनका गाया दर्द भरा गीत “लो आ गई उनकी याद वह नहीं आये” , शोखी से भरा गीत “प्यार किया तो डरना क्या” …भक्ति गीत “अल्ला तेरो नाम ईश्वर तेरो नाम” …प्रेम गीत “लग जा गले” … और ऐसे न जानें कितने ही गानें आज मील के पत्थर की तरह हैं।
लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) नें अपने समय के लगभग सभी संगीतकारों के साथ काम किया और करीब-करीब हर अभिनेत्री के लिए गानें गाए। उनके गाए बेमिसाल गानों के बिना भारतीय सिनेमा की कल्पना करना मुश्किल है।
महल के गीत “आएगा आने वाला” की सफलता के बाद उन्होंने फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखा… एक-एक कर सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ती हुई आज वह जिस ऊँचाई पर प्रतिष्टित थी वहाँ पहुँचना नामुमकिन-सा लगता है।
लाख ढूँढिये मगर कोई भी अन्य आवाज़, लाखों करोड़ों दिलों को जीतनें वाली लता जी की आवाज़ के आस पास भी नहीं दिखती… इस आवाज़ का जोड़ खोज पाना नामुमकिन-सा लगता है… बहुत-सी श्रेष्ठ पार्श्वगायिकाएँ आयी और गईं पर दूसरी लता का आना शायद ही संभव हो…एक सुरीले स्वर्णिम युग की विदाई पर आज सबकी आँखें नम हैं…भारत रत्न से सम्मानित लता मंगेशकर जैसी रत्न और सुर साम्राज्ञी को नमन और श्रद्धांजलि…
रीना सिन्हा
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१- शिक्षक
अति आवश्यक है वहां पर मंदिर बनो क्योंकि हमारी आन बान शान राजाराम से है