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पहेली जिंदगी की (Puzzle of life)
पहेली जिंदगी की (Puzzle of life) अलका जैन की द्वारा लिखी गई एक कहानी है… अलका जैन जी मध्य प्रदेश के शहर इंदौर की रहने वाली हैं… लेखन में रूचि रखने वाली अलका जैन जी अब तक अनेक रचनाओं का सृजन कर चुकी हैं तो आइये पढ़ते हैं अलका जैन जी की यह कहानी…
फोन की घंटी बजी। उठाया तो फोन मेरी अपनी बहन का था।
हां बोल गुड्डी
दीदी वो तेरी सहेली आई थी
वो कोन?
वो वो जिसको देख कर तू जीजाजी के देखने से भी ज्यादा खुश होती है
हे भगवान तेरे जैसे अपने हो तो दुश्मन की काहे जरूरत। तू ये बोल रही है कि में औरत हो कर औरत में रूचि रखती हूं?
हा हा हा अब ये तो तेरा पर्सनल मामला है।
हां हां तू तो केवल डिलीवरी करवाती है, डॉ. है हमने तो तीन तीन खुद जने है बच्चे तेरे जीजा जी के।
अब जीजाजी के है या किसी और के ये तो तू ही जाने
पिटेगी गुड्डी तू मेरे हाथ से
हा हा हा
दोनों बहनें हंसी ठिठोली कर रही थी। अरे सुन मजाक छोड़। आभा आई थी। तेरा पता ले गई है। बोली एक दो दिन में आयेगी तेरे घर।
आभा आई और बोली मुझे बच्चा गोद लेना है।
अरे अभी कोन तेरी उम्र निकल गई? नहीं हुए हैं तो हो भी सकते हैं! ऐसी जल्दी मत कर फिर तेरे बच्चे हो गये तो परेशान हो जायेगी।
नहीं मैं बहुत परेशान हूं । मुझे बच्चा गोद लेना ही है। तेरी शादी मेरे बाद हुई थी तेरे तीन बच्चे हो गये
तो तू चाहती क्या है मेरे से?
मदद
कैसी मदद?
तेरी बहन बड़े अस्पताल में डॉक्टर हैं उससे कह कर बच्चा गोद दिलवा सकती है?
हां पुछती हूं उससे। पर तू पहले अपने घर में बात कर लें।
नहीं मुझे बच्चा गोद लेना है तो लेना है।
ठीक है कोशिश करती हूं।
नहीं कैसे भी दिलवा दे।
ओके
ऐसे तो कानूनी रूप से बहुत मुश्किल है बच्चे को गोद लेना। सो झंझट है पर हां हेड ओफ द डिपार्टमेंट से बात कर मिल सकता है।
तो कर बात गुड्डी
ठीक है मैं कर लूंगी। अगर कोई विधवा हुई या कोई शादी से पहले मां बनने वाली होगी या कोई बलात्कार का शिकार हुई तो। मालूम तो पड़ ही जाता है हम लोगों को उसके हालात देख कर।
ठीक है।
दी एक लड़की है वो चोबीस घंटे रोती रहती हैं। कोई उससे मिलने भी नहीं आता। पूरा टाइम चल रहा है मां बनने वाली हैं कोई दो टाइम खाना देने भी नहीं आता। बस एक टाइम खाना उसका जीजा दे जाता है। छोटी उम्र की लगता उसके साथ अन्याय हुआ है।
तो गुड्डी तू बड़ी मेडम से बात कर लें।
अरे पहले उससे तो जानकारी लूं फिर बात करूंगी मेम से
ओ के
हां दी पता किया था। उसका एक लड़के के साथ प्यार था। वो उसका किरायेदार था। घर में पैसों की तंगी चल रही थी तो उसके पिता ने किरायेदार रख लिया। उपरी मंजिल पर, मगर रास्ता एक ही था। रोज लड़की दरवाजा खोलती थी। बात चीत होने लगी।एक दिन किरायेदार बोला बबली मैं तुझसे प्यार करता हूँ। वैसे ही जेसे फिल्म में हीरो हिरोइन से प्यार करता है। फिर रमेश बबली को खाने की वस्तु लाने लगा। वो कहता था किसी को बताना नहीं। हम दौनो एक दूसरे को मोहब्बत करते हैं। मैं तेरे से एक दिन शादी करूंगा। बस एक बार मेरी नौकरी लग जाने दे।
एक दिन घर खाली था। उसनेे मेरे साथ सबकुछ कर लिया। मेरी तबियत खराब हुई तो मां डॉ. को लेने गई। डॉ. जेसे ही आया रमेश घर से गायब हो गया। मां ने खूब पिटा। घरवालों ने दबाव बनाया कि वो आत्महत्या कर लें। मगर बबली कहती हैं रमेश जरूर आयेगा। किसी परेशानी में बड़ा होगा वो इसलिए नहीं आया। उसकी पिटाई हो रही थी तभी जीजा वहां पहुंच गया। वो अपने साथ ले आया।वो जानता है घरवालों की मंशा हालांकि उसकी हालत ठीक नहीं है आर्थिक रूप से मगर वो बबली की जान बचाना चाहता है। बबली अब भी कहती हैं रमेश मेरे को धोका नही दे सकता। डा साहब आना होता तो वो अब तक आ गया होता। रूकता काहे।अब बच्चे का क्या करूंगा? किसी को गोद दिला दो बड़ी मेहरबानी होगी।
एक दंपती बच्चा गोद लेना चाहते हैं। आप इजाजत दे तो उनको बुला लूं?
हां डॉ. मेहरबानी होगी। हमें बच्चे से छुटकारा चिहिये ओर उनको बच्चा।
तो ठीक है बड़ी मेडम से बात करेंगे।
बड़ी मेडम भी तैयार हो गई। मैंने आभा को फोन लगाया। लेकिन मेरे पैरो तले की जमीन कसक गई। आभा बोली मैं बच्चा गोद नहीं ले सकती मेरे ससुराल वाले तैयार नहीं है। अरे तो पहले पूछना था ना।
सोरी बोला कर उसने फोन रख दिया। फिर फोन किया तो उ ठाया नहीं। ये तो पहेली उलझ ली। मेने बहन को फोन किया। आभा तो मना कर रही है। अब मेरे को नहीं मालूम तू जान तेरा काम जाने।मै मेडम से बात कर चुकी हूं। कल उसका औपरैशन हे।मैं तो बच्चे को ला कर तेरी गोद मैं दूंगी। कोई मजाक है।अब बच्चा चाहिए अब नहीं चाहिए। मेने पति देव से गुहार की। पहले वो गुस्सा हुए। तुम्हें दूसरे के मामले में पड़ने की जरूरत क्या थी? फिर बोले किसी से पूछते हैं कोई ना कोई ऐसा होगा जो बच्चा चाहता होगा।सारे यार दौस्तो कोफन किया मगर किसी को भी बच्चा नहीं चिहिये।
अब हम ही रंख ले बच्चे को। अरे अपने पहले ही क्या कम हे तीन तीन बच्चे। मंहगाई के जमाने मैं। तभी एक पड़ोस ने कहा एक परिचित गोद लेना चाहता है बच्चा। जान में जान आई। मगर उनकी शर्त है लड़का होना चाहिए।लौं मर गये। अरे भाई आज के जमाने में क्या लड़का और क्या लड़की। कोई भी हौ ले लेना नहीं हमें तो लड़का ही चाहिए। अब केसट यहां पर अटकी। कल ओप्रेशन हैं नो बजे। अब भगवान से प्रार्थना करौली लड़का ही हो अपने लिए तो कभी नहीं चाहा लड़का हो या लड़की हो अब खूदा से दुआ करो। सब यार दोस्त मिल कर अख्तर साहब ने फरमाया जो मेरे पति के मित्र हैं। दूसरे दिन खुश खबरी आई लड़का हुआ है। सब खुश हो गये लो मामला निपटा।
मगर अभी भी पेंच उभरा। शर्मा जी वहीं जो बच्चा गोद लेने को तैयार हो गये थे बिदक गये। बोलै इतनी गन्दी लड़की का लड़का हम नहीं लेंगे। मैंने समझाया बच्चा तो निचले तबके से ही आयेगा। अब मैं या मेरे जेसी औरत तो देने से रही अपना बच्चा। आप के बच्चा हो नही रहा है। आप ये मौका मत छोड़ो। लेकिन दंपती बात नहीं माने और चल दिए। अब मुसीबत फिर गले पड़ गई। तभी मेरी बहन को आइडिया आया। उसनेे किरायेदार का पता मांगा। जीजा ने पता खोज दे दिया। पता हमारे ही शहर का निकला। हम सब मिलकर रमेश के घर गये। रमेश हमें रास्ते में ही मिल गया। जीजा उसे पहचानता था। पहले तो वह शर्म से कुछ नहीं बौला। हां मैं जवानी के जोश मैं ये सब कर बैठा। मुझे से गलती हूई। मेरे घरवाले मान जायै तो मैं तैयार हूं। शादी करने को। अम्मा शायद ही माने। हम उन्हे हम मना लेंगे। सब साथ मै बोल पड़े।
अम्मा के पास हम नव जात शिशू को ले गये बोले अम्मा देखो ये आप का पोता है। बच्चा देख अम्मा खुश हो गई। लड़का है तौ भाई कोई बात ना। बड़े लड़के के तो लड़का ही नहीं है अगर मेरा छोरा कह दे कि उसका है तौ हम अभी ढोल बजा देते हे। हां अम्मा मेरा ही है ये लड़का। और बबली का विश्वास जीत गया। रमेश ने उसे धोकानही दिया। इस तरह पहेली हल हो गई।
दो विधवा दो रास्ते
सारा मोहल्ला दुःख में डुब गया जब खबर फैली कि मुन्नी के पति की मोती हो गई है। हाय राम अभी तो दो बरस भी नहीं हुए। हां कहा हुए। पर अच्छा ये है कि एक लड़का है उसका। पर ये सब हुआ कैसे पता नहीं अभी तो फोन आया। थाने से सिपाही आया बोला राटायर डिप्टी कलेक्टर यहां रहते हैं? फिर बोला इलाहाबाद से खबर आई है कि उनके दामाद नहीं रहे। ज्यादा कुछ पता नहीं है साहब। आवाज साफ नहीं आ रही हैं.
सुनकर उसका भाई तो गिरते गिरते बचा। पिता भी दौडे आवाज सुन। सारा मोहल्ला पहुंच गया, सब ने मिलकर सामान बंधवा दिये। कोई ग़लत खबर तो नहीं। किसी ने शंका जाहिर की। नही ठाने से खबर आई है।साहब पैसे वगैरह कि जरूरत हो तो कह देना। कभी घर पर पैसे होते हैं कभी नहीं भी होते। नहीं मेजर साहब का लड़का गया है टिकिट वगैरह का इंतजार करने। भाभी जी दिखाई नहीं दे रही है? हां वो बाज़ार गर्म कपड़े लेने गई है।खरे साहाब का लड़का गया है उन्हें तलाश ने। पर उसे समझाया कर भेजा है ना बाजार में उन्हें कुछ न बताये। यू तो समझदार है लड़का। पहले मिले तो। उन्हें कैसे बताऊंगा? ८ बजे की ट्रेन है सब जल्दी करो। अरोरा साहब के घर फोन है अंकलजी आपका। साढू साहब का होगा। हलो जी आपको खबर देनी है. बहुत बुरी. रो कर तनुजा के पिता बोले- मिल गई। बुरी खबर मिल गई.
क्या दुर्घटना हुई?
नही…पानी में डूब गये…
दामाद साहाब को तो तैरना आता था।
पिकनिक मनाने गये थे छुट्टी का दिन था। पैर फिसलने से गिर गये सब के सामने सब जानते थे तैरना जानते हैं, किसी ने ध्यान नहीं दिया। मुन्नी ने भी देखा था पर वो तैज बहाव में बह गए। मुन्नी तो बेहोश है बड़ी मुश्किल से लोगों को फौन नंबर पता चला सबेरे की बात है. हे भगवान तनुजा के पिता फूट फूट कर रो दिये।
हम सब सहेलियों को पता चला तनुजा विधवा हो गई है तो हम सब सहेलियों मिलकर उसके घर पहुंचे। रोना धोना करने के बाद जब हम सब वापस लोट रहे थे तो उसे सलाह दी। देख हम सब जानते है कि हम गलत समय बात कह रहे हैं फिर भी जरूरी जान कर कह रहे हैं हमे माफ़ करना आगे हमारा आना-जाना हो अब या ना हो तेरा घर में आय आई जी में है यहां काफी सुनसान रहता है हमारे घर के लोग सुरक्षित नहीं मानते इसलिए कह रहे हैं हम सब कोई एक नहीं तू विधवा विवाह कर लेना। तनुजा रो मत सत्य का सामना कर।तू पढ़ी-लिखी लड़की है तुम सब आई मेरे दुःख में घन्यवाद पर ये काम मुझसे नहीं होगा। तूझे करना होगी पतझड़ के बाद बंसत की तलाश घर के लोग पुराने विचारों के हैं. बस को पता है फिर भी बंसत की तलाश करनी है. अच्छा हम अब निकलते हैं काफी देर हो रही है|
शबाना के भी पति की मोती हो गई। कैसे पता नहीं पर खबर पक्की है। मेरे पापा के ओफिस में उसकी खाला काम करती है उसी से पता चला। हे भगवान शबाना भी बाल विधवा हो गई। सब मिलकर चले उसके घर। अब कोई कहां कोई कहा। कैसे सब को खबर करें। कोलेज तो खत्म हो गये पहले कुछ दिनों तक एक दूसरे के घर भी आजाया करते थे अब तो आधी से अधिक सहेलियों की शादी हो गई। कोई कहा कोई कहां चली गई।अब मैं अलका ओर तू अचला बची है दोनो को खजराना के रास्ते पता नहीं कैसे जिये? पर अलका जाना बहुत जरूरी है। हां अचला बात तो तेरी सही है। देखो कुछ जुगाड लगाते हैं। वैसे एक खुशखबरी है तनुजा ने विधवा विवाह कर लिया। अरे वाह ये तो खुशी की बात है।
दुनिया दारी में ऐसे फंसे की शबाना के घर जा न सके। कभी लड़का देखने आ रहा है। कभी भाई को टाइफाइड हो गया।बस नहीं जा पा ये। हां खबर बराबर लेते रहे दुःख में है बहुत गहरे। ससुराल से आ गई है परेशान हो कर। नोकरी कर ली है पैसे की दिक्कत तो पहले ही उन के घर थी ।एक दिन बाजार में मिल गई बोली अभी तो सब ठीक-ठाक है मगर भविष्य की चिंता सताती है अबू की तबीयत भी अब ठीक नहीं रहती । खर्चा तो आगे बढ़ेगा ही। अभी मेरी बेटी की पढ़ाई बाकी है। सारी चिंता है तुझे तनुजा के पति की खबर लगी थीं या नहीं है पता तो चल गया था,
उसने दूसरी शादी कर ली…
सच…
पर दूसरा मर्द अच्छा है?
हां बहुत अच्छा है…
पहले पति की संतान को मोहब्बत करता है।
हां…
चलो मै भी अबू से बात करुंगी…
बात की उसने अबू से वो बोले- तेरे को तकलीफ़ क्या बता साफ साफ. अबू आप को मेरी उम्र लगे मगर कुदरत के अपने नियम है।आप के बाद हमारा क्या होगा। बस इतनी सी बात… बेटी मेने अपना घर तेरे नाम कर लिख दूंगा। फिर तो सब तेरे पिछे पिछे आयेंगे। अबू ने ऐसा ही किया। जब तक अबू जिंदा थे भाईजान कुछ नहीं बोले, फिर अबू के इंतकाल के बाद ही भाईजान सताने लगे मेरे नाम कर घर। दोस्तो ने कहा था इतना बताना बेवा के की वो परेशान हो कर घर तेरे नाम लिख दै। भाई जान वैसे तो किसी की बात नहीं मानते थे मगर गलत सलाह मान गये। बेवा परेशान हो कर उसने अपनी लड़की का निकाह शिक्षा से पहले कर दिया और फिर एक दिन उसने ज़िंदगी से परेशान हो आत्महत्या कर ली।
तनुजा को जब ये बात मालूम पड़ी तो वो बोली तुम सब ने मुझे सही सलाह दी वरना मैं विधवा विवाह के बारे में सोच भी नहीं सकती थी।आज मैं विधवा विवाह कर अपने दूसरे पति के साथ खुश हूं। आज भी जब अलका अचला मिलती है अफ़सोस मनाती हैं शबाना के घर ग्रे होते काश उसे भी पुनः विवाह की सलाह दी होती तो शायद आज शबाना जिंदा हौती।
मां और ममता
मेरी मां ने आज फिर मुझे मारा।
कौन चुगली कर रहा है मेरी? मुझे अच्छा लगता है गुटखा खाना। इसलिए मैं खाता हूं।मैं कोई शराब तौ नहीं पीता।ना चोरी करता हूं बस गुटखा खाता हूं उस पर भी मेरी मां मेरे को पीटती है।दुसरो की मां कितना लाभ करती है लडको कौ।बड़ी मोसी के तो पांच लड़कियों है वो तो तरह रही है लड़के के लिए।मन्नत तक मांग रही है। मेरी मां लगता है मुझसे परमार नहीं करती। वरना सिर्फ गुटखा खाने पर वो मुझे नहीं मारती।
समय पंख लगा कर उड़ता गया। मैं कौलेज की पढ़ाई के लिए शहर आ गया।मगर गुटखा खाना नहीं छोड़ा। रोज गुटखा खाता। फिर एक दिन मां ने खबर की तेरे लिए लड़की देखी है , अच्छी लग रही है तू आ कर देख जा। मैं गांव पहुंचा।मुंह में गुटखा चबाता हुआ। मां बोली तू छोटा था मैं तुझे गुटखा खाने पर पीटती थी अब तू बड़ा हो गया है। मैं तुझे पीट तो सकती नहीं, मगर तू अपनी अक्ल से सोच , गुटखा खाना स्वास्थ्य के लिए बता हानीकारक नहीं होता? अरे मां तू मुझे इरीटेट मत कर ।अब मेरी आदत पड़ गई है। चार दिन के लिए आया हूं।अच्छा छोड़ । बता कब चलना है लड़की देखने। फोटो मैं तो अच्छी लग रही है।
फिर शादी हो गई। में रोजी रोटी की तलाश में शहर आ गया। मां जब गांव से शहर आती तो सांस बहू में किट किट होती। मां कहती बचत करो। फिजूलखर्ची मत करो।आये दिन झगड़े होते। ओफिस से आता तो घर में महाभारत चल रही होती। में मैं मन ही मन सोचता मां शहर ना आते तो अच्छा हो। बहुत कंजूस है मेरी मां। मां बिना बोले ही समझ गई , मुझे उनका आना अब रास नहीं आता। वो गांव में अकेली रहने लगी। पिताजी की मोत के बाद भी वह मेरे साथ नहीं रही। मेने कहा भी अब अकेली केसे रहोगी? वो नहीं मानी।
फिर एक दिन गांव से किसी ने सूचना दी कि मां की तबीयत बिगड़ी गई है। मैं भागा भागा गांव पहुंचा।वो अस्पताल में भर्ती थी, मैं उनकी हालत देख समझ गया था कि वो अब थोड़े दिन की मेहमान है। मैं दुखी हुआ। मां के को खून चढ़ाया जा रहा था। उन्होंने मेरे सर पर हाथ रखा प्यार से नंगी आंख से मेरी ओर देखा और बोली जा तू १३ नंम्बर वार्ड में हो आ। मैं पूछना चाहता था काहे को फिर ये सोच कर उनकी तबीयत बिगड़ी हुई है। मैं चुपचाप १३ नंम्बर वार्ड में चला गया।
वो वार्ड केंसर के मरीजों का था। सारे मरिज दर्द से बेहाल। मरीजों के परिजन पैसे से परेशान। किसी मरीज का मूंह सिला हुआ था किसी का कुछ। एक मरीज कह रहा था मेरे को पता होता कि गुटखा खाने से केंसर होता है तो मैं कभी गुटखा नही खाता डाक्टर । किसी ने मुझे रोका भी नहीं। मुझे जहर दे दो। सारे के सारे पैसे मेरे इलाज में लग जायेगे। फेरे बाद मेरे बीबी बच्चे क्या गायेंगे? बीबी पड़ी लिखी भी नहीं है।। कोई कह रहा था दर्द कम करो। सहन नहीं होता। मेरी मां मोत से लड़ रही हैं मगर उसे अपनी चिंता नहीं है वो इस चिंता में है केसे में अपने बच्चे कौ बुरी आदत से बचा लूं।
कभी मेरी ओलांद को केंसर ना हो जाये इस चिंता में डुबी है।वो अस्पताल मैं कुछ दिनों से भर्ती हैं उसे सब पता है कोन सा वार्ड कहा है। कुछ देर मैं उलझन मैं रहा फिर समझ गया कि मेरी मां मुझे गुटखा नही खाने का संदेश दे रही है। मैं वापस मां के वार्ड में पहूचा तब तक मां दुनिया छोड़ चुकी थी। मैंने जेब से गुटखा निकाला और हमेशा हमेशा के लिए फेंक दिया। मैं बहुत देर तक औरत की तरह रोया। फिर अपने आप से कहा मेरी मां दुनिया की सबसे अच्छी मां थी कभी कभी मै सोचता हूं बस यूंही मां के सामने गुटखा छोड दिया हो या तो अच्छा होता। कौन जाने वह भगवान के घर में चिंता करती होगी ।मेरा बेटा गुटखा खाता है जब कभी बरसी आती हैं मां की में लोगों को शपथ दिलाता हूं कोई भी नशा नहीं करें लोग मानते हैं जब मैं उन्हें अपनी सत्य कथा सुनाता हूं । मेरी मां को यही सच्ची श्रधांजली है।
अलका जैन
इंदौर मध्यप्रदेश
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