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बेटी बचाओ (save daughter) या बेटी पढ़ाओ
बेटी बचाओ (save daughter) या बेटी पढ़ाओ। अपने आप में ही एक ऐसा उलझा हुआ प्रश्न है जो बेटियों के माता पिता को कटघरे में लाकर खड़ा कर देता है। भारत जैसे सांस्कृतिक देश में खुले मंचों पर बलात्कार जैसे घिनौने विषय पर चर्चा की जाती है और दिमाग़ तो तब घूम गया, जब पुलिस ने बलात्कार से पीड़ित उस अधखिली कलि के मरने से पहले के अंतिम बयानों को झूठा ठहरा दिया।
जिस देश में जीव हत्याओं के लिए आंदोलन छिड़ जाते हो। उस महान देश में बलात्कार पर राजनीति खेली जाती है। नहीं चाहिए हमें ऐसे अंधे कानून जो बलात्कारियों की हिमायत करते हो। प्रियंका की घटना में, एनकाउंटर करने वाले उस इंस्पेक्टर को मैं सलाम करती हूँ। और उन पुलिस वालों के लिए, शब्दों के अभाव से ग्रसित, मानसिक पीड़ा को झेलती हुई, मैं ख़ुद को कुछ भी कहने में असमर्थ महसूस कर रही हूँ। महिला सशक्तिकरण क्या खोखला नारा है?
विषय को अगर गंभीरता से सोचा जाए तो, समाज की सच्चाई को आइना दिखाने के लिए बेहद ज़रूरी है। जिस देश में माँ बहन की गालियाँ किसी भाषा का हिस्सा हो। वहाँ पर”बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” अभियान बेमानी लगता है। जिस देश में बेटी के लिए “पराया धन” शब्द प्रयोग किया जाता है, वहाँ बेटी के समान अधिकारों की बात की जाती है। बड़ी-बड़ी बातों वाले बड़े से देश में महिलाओं पर अत्याचार के आंकड़े भी बड़े ही होने चाहिए। बालिका दिवस मनाए जाते हैं, बड़ी-बड़ी संस्थाएँ लाखों के बजट सपनों की दुनिया दिखाती हैं, सच तो यह है कि भारतीय समाज में नारी का हूँ स्वतंत्र हुई ही नहीं। हमेशा ही राजनीति के गलियारों में चर्चा का विषय बनी रही। बाबाओं की हवस का शिकार बनती रही। वाह! मेरे देश। जहाँ नारी के अपमान का वास्ता वस्त्रों से जोड़ दिया जाता हो, जहाँ समाचार पत्रों की सुर्खियों में बेटियों के साथ हुए दुराचार की घटनाएँ छपी हो। वह देश जिसके इतिहास में ही सीता, द्रौपदी जैसी त्याग की मूर्तियाँ हो। पति द्वारा शापित अहल्या हो। उस देश में आप नारी को समान अधिकार कैसे दिलवा सकते हो?
हंसी तो तब आती है जब उच्च पदों पर आसीन महिलाओं को भी परिवार की प्रताड़ना का शिकार होना पड़ता है। बहुत सारे प्रयासों के बावजूद भी नारी को झुककर रहने की ही शिक्षाएँ दी जाती हैं। कहने को बहुत कुछ है, अपने विचारों को विराम देते हुए केवल यही कहूंगी। वह सूरज किस दिन निकलेगा? जब नारी केवल नारी होगी। ना पुरुष उस पर भारी होगा, ना वह पुरुष पर भारी होग। आज की नारी हर क्षेत्र में काम कर रही है, कोई भी ऐसी जगह नहीं जहाँ नारी उच्च पदों पर आसीन न हो। इस सबके बावजूद हमें विचार करना पड़ेगा कि कितने प्रतिशत महिलाएँ स्वतंत्र जीवन जी रही हैं?
घरेलू हिंसा का, शारीरिक उत्पीड़न का शिकार हो रही हैं। भेदभाव, बलात्कार, भ्रूण हत्याएँ न जाने कितनी ही बुराइयों का शिकार हो रही हैं समाज में नारी। महिला सशक्तिकरण सही अर्थों में तभी सफल कहलाएगा जब पुरुष प्रधान समाज हर नारी को, हर जगह समानता का दर्ज़ा प्रदान करेगा कही दहेज की कमी से जलती लाशे है कही जिस्म नोचते मंज़र है, एक बेटी बोल रही थी, माँ अब कोख में मरना बेहतर है।
हिन्दी है हम वतन है हिंदुस्तान हमारा
आज हमारी सारी पढाई लिखाई और सारे कार्य अंग्रेज़ी में होते हैं। लेकिन भारत के लोगों की मूलभाषा हिन्दी है और आप भारत के किसी भी कोने में चले जाईये अगर आपको हिन्दी आ ती है तो आपको रहने कार्य करने में कोई परेशानी नहीं होगी और हिन्दी एक ऐसी भाषा है जो पूरे भारत को एकता में जोड़ती है तो आईये जानते है हिन्दी भाषा से जुड़े महत्त्वपूर्ण तथ्य-
- हिन्दी शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा के सिन्धु शब्द से हुई है सिन्धु नदी के क्षेत्र में आने कारण ईरानी लोग सिन्धु न कहकर हिन्दू कहने लगे जिसके कारण यहाँ के लोग हिन्द, हिन्दू और हिंदुस्तान कहलाने लगे
- हिन्दी भारत की सवैंधानिक राजभाषा है जिसे १४ सितम्बर १९४९ को अधिकारिक रूप से राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया गया
- भारत में अनेक भाषा और बोलिया बोली जाती है हमारे देश में इतनी भाषा यें है कि ये कहावत कही गयी है
“कोस कोस पर बदले पानी और चार कोस पर वाणी”
अर्थात हमारे देश भारत में हर एक कोस की दुरी पर पानी का स्वाद बदल जाता है और ४ कोस पर भाषा यानी वाणी भी बदल जाती है लेकिन इन सभी भाषाओ में सबसे अधिक भाषा बोले जाने वाली हिन्दी है। - हिन्दी विश्व की चीनी भाषा के बाद दूसरी सबसे ज़्यादा बोले जाने वाली भाषा है हिन्दी हमारे देश भारत के अतिरिक्त पाकिस्तान, फिजी, मारिसस, गयाना, सूरीनाम और नेपाल में सबसे अधिक हिन्दी भाषा बोली जाती है।
- हिन्दी भाषा भारत के अतिरिक्त जहाँ-जहाँ प्रवासी भारतीय रहते है उनमे भी अधिक संख्या में हिन्दी बोली जाती है जैसे अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, यमन, कनाडा, युंगाडा, सिंगापूर, न्यूजीलैंड, जर्मनी, ब्रिटेन के अतिरिक्त बहुत से देशो में बोली जाती है।
- विश्व के सबसे उन्नत भाषाओ में हिन्दी भाषा सबसे अधिक व्यवस्थित भाषा है अर्थात हम जो हिन्दी में लिखते है वही बोलते भी है और वही उसका मतलब भी होता है जबकि अन्य भाषाओ में ऐसा नहीं है।
- हिन्दी भाषा बोलने में सबसे अधिक सरल और लचीली भाषा है हिन्दी भाषा को बोलना और समझना बहुत ही आसान है।
यदि हमें हिन्दुस्तानी होकर हिन्दी बोलने में शर्म आती है तो हम देशद्रोही हैं, देश के साथ गद्दारी कर रहे हैं, अपनी माँ स्वरूप भाषा का अपमान कर रहे हैं। चीनी लोग किसी दूसरी भाषा को महत्त्व नहीं देते यही उनकी उन्नति का कारण है, हम भारतीयों ने विदेशी भाषा को सर्वोत्तम दर्ज़ा देकर ख़ुद ही अपने आपको मानसिक गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ है। शुद्ध हिन्दी बोलने वाले व्यक्ति को ग़लत अंग्रेज़ी बोलने वाले व्यक्ति के सामने तुच्छ घोषित कर दिया जाता है।
सुनीता राणा
पंचकूला
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