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प्रधानमंत्री केवड़िया में राष्ट्रीय एकता दिवस (national unity day) समारोह में सम्मिलित हुए
- “कर्तव्य-पथ और उत्तरदायित्व की भावना मुझे यहाँ लेकर आई है, लेकिन मेरा हृदय मोरबी की दुर्घटना के पीड़ितों के साथ है”
- “पूरा देश सरदार पटेल के दृढ़ संकल्प से प्रेरणा ग्रहण कर रहा है”
- “सरदार पटेल की जयंती और एकता दिवस हमारे लिए कैलेंडर की तारीखें नहीं हैं, वे भारत की सांस्कृतिक शक्ति का महोत्सव हैं”
- “गुलामी की मानसिकता, स्वार्थ भाव, तुष्टिकरण, भाई-भतीजावाद, लालच और भ्रष्टाचार देश को विघटित तथा कमजोर कर सकते हैं”
- “हम एकता के अमृत से विघटनकारी ज़हर का मुकाबला कर सकते हैं”
- “बिना भेदभाव के अंतिम व्यक्ति को जोड़ते हुए सरकारी योजनाएँ देश के हर कोने में पहुँच रही हैं”
- “अवसंरचना में अंतराल जितना कम होगा, एकता उतनी मज़बूत होगी”
- “देश की एकता के लिए अपने अधिकारों का बलिदान करने वाले शाही परिवारों की कुर्बानियों के प्रति समर्पित एकता नगर में एक संग्रहालय बनाया जायेगा”
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर सरदार पटेल को श्रद्धांजलि अर्पित की और राष्ट्रीय एकता दिवस (national unity day) से जुड़े कार्यक्रमों में हिस्सा लिया।
प्रधानमंत्री ने आरंभ में कल मोरबी में हुई दुर्घटना के हताहतों के प्रति गहरा दुःख व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यद्यपि वे केवड़िया में हैं, लेकिन उनका हृदय मोरबी की दुर्घटना के पीड़ितों के साथ है। उन्होंने कहा, “एक तरफ़ हृदय दुख से बोझिल है, वहीं दूसरी तरफ़ कर्म और कर्तव्य का पथ है।” उन्होंने कहा कि कर्तव्य-पथ और उत्तरदायित्व की भावना उन्हें राष्ट्रीय एकता दिवस में खींच लाई है। प्रधानमंत्री ने उन सभी के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की, जिन्होंने कल की दुर्घटना में अपने प्राण खो दिये हैं। उन्होंने आश्वस्त किया कि सरकार पीड़ितों के परिवार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। राज्य सरकार बचाव कार्य में जुटी है और केंद्र सरकार हर संभव सहयोग कर रही है। प्रधानमंत्री ने बताया कि सेना और वायुसेना की टीमों के साथ एनडीआरएफ की टीमों को बचाव कार्य में लगाया गया है। साथ ही अस्पतालों द्वारा भी पूरी सहायता दी जा रही है, जहाँ घायलों का उपचार चल रहा है। उन्होंने इस बात का संज्ञान लिया कि गुजरात के मुख्यमंत्री मोरबी पहुँच गये हैं और बचाव अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने घटना की जांच करने के लिये एक समिति भी गठित कर दी है। प्रधानमंत्री ने देशवासियों को आश्वस्त किया कि बचाव अभियानों में कोई कसर बाक़ी नहीं रखी जायेगी। इस त्रासदी के कारण सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन रद्द कर दिया गया।
प्रधानमंत्री ने वर्ष २०२२ में एकता दिवस की महत्ता को रेखांकित किया, क्योंकि “यह वह वर्ष है, जब हमने अपनी स्वतंत्रता के ७५ वर्ष पूरे किये हैं और हम नये संकल्पों के साथ आगे बढ़ रहे हैं।” प्रधानमंत्री ने कहा कि हर स्तर पर एकता ज़रूरी होती है, चाहे वह परिवार में हो, समाज या राष्ट्र में। उन्होंने कहा कि यह भावना हर जगह ७५, ००० एकता दौड़ों के रूप में परिलक्षित हो रही है। उन्होंने कहा, “पूरा देश सरदार पटेल के दृढ़ संकल्प से प्रेरणा ग्रहण कर रहा है। हर नागरिक देश की एकता और ‘पंच-प्रण’ का संकल्प ले रहा है।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “सरदार पटेल जैसे नेताओं के नेतृत्व के बिना हमारे स्वतंत्रता संघर्ष की कल्पना करना कठिन है। अगर ५५० से अधिक रजवाड़ों का विलय न किया जाता, तब क्या हुआ होता?” “क्या हुआ होता?” प्रधानमंत्री ने प्रश्न किया, “अगर हमारे रजवाड़ों ने बलिदान की गहरी भावना और माँ भारती में आस्था न व्यक्त की होती” उन्होंने कहा, “यह असंभव कार्य सरदार पटेल ने पूर्ण किया।” प्रधानमंत्री ने ज़ोर देते हुए कहा, “सरदार पटेल की जयंती और एकता दिवस हमारे लिये कैलेंडर की तारीखें नहीं हैं, वे भारत की सांस्कृतिक शक्ति का महोत्सव हैं। भारत के लिए एकता कभी मजबूरी नहीं रही, यह हमेशा हमारे देश की विशेषता रही है। एकता हमारी विलक्षणता रही है।” उन्होंने कहा कि कल मोरबी में जो दुर्घटना हुई, उस जैसी आपदा के समय, पूरा देश एक-साथ आगे आ जाता है और देश के हर भाग में लोग प्रार्थना करते हैं, मदद पहुँचाते हैं। महामारी के समय, दवा, राशन और वैक्सीन में सहयोग के मामले में ‘ताली-थाली’ के भावनात्मक मेल के रूप में यह एकता खुलकर प्रकट हुई थी। खेलों में सफलता, उत्सवों के समय और जब हमारी सीमाओं पर ख़तरा आता है तथा जब हमारे सैनिक सीमाओं की रक्षा में तत्पर होते हैं, तब भी यही भावना दिखाई देती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये सब भारत की एकता की गहराई का प्रतीक हैं। उन्होंने आगे कहा कि यह एकता सदियों से आक्रांताओं को खटकती रही है। आक्रांताओं ने विघटन का बीज बोकर इसे कमजोर करना चाहा, हालांकि एकता के अमृत ने उनकी साजिशों को नाकाम कर दिया; एकता का यह अमृत हमारी चेतन-धारा में मौजूद रहा है। उन्होंने सबसे सावधान रहने को कहा क्योंकि कुछ ताकतें भारत के विकास और प्रगति से जलती हैं और वे जाति, क्षेत्र, भाषा के आधार पर विघटन के लिए सक्रिय हैं, प्रयास कर रही हैं। इन प्रयासों के तहत इतिहास को भी विघटनकारी रूप में प्रस्तुत करती हैं। उन्होंने गुलामी की मानसिकता, स्वार्थ भाव, तुष्टिकरण, भाई-भतीजावाद, लालच और भ्रष्टाचार के प्रति भी सावधान किया, क्योंकि ये सब देश को विभाजित तथा कमजोर कर सकते हैं। उन्होंने कहा, “हमें एकता के अमृत से विघटन के ज़हर को काटना होगा।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “एकता दिवस के अवसर पर, मैं सरदार साहब द्वारा हमें सौंपे गये दायित्व को फिर से दोहराना चाहता हूँ।” उन्होंने कहा कि राष्ट्र की एकता को मज़बूत करने की जिम्मेदारी हर नागरिक की है और यह तभी संभव होगा, जब देश का हर नागरिक जिम्मेदारी की भावना के साथ कर्तव्यों का निर्वहन करेगा। प्रधानमंत्री ने कहा, “जिम्मेदारी की भावना, सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास वास्तविकता बनेगा तथा भारत विकास-पथ पर आगे बढ़ेगा।” उन्होंने कहा कि सरकारी योजनाएँ बिना किसी भेदभाव के देश के हर व्यक्ति तक पहुँच रही हैं। उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि जिस तरह से सूरत, गुजरात के लोगों तक आसानी से मुफ्त वैक्सीन उपलब्ध है, उसी तरह अरुणाचल प्रदेश के सियांग के लोगों को भी मुफ्त वैक्सीन उसी आसानी के साथ उपलब्ध है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान जैसे मेडिकल संस्थान अब केवल गोरखपुर में ही नहीं, बल्कि बिलासपुर, दरभंगा, गुवाहाटी, राजकोट और देश के अन्य भागों में भी मौजूद हैं। उन्होंने बताया कि रक्षा गलियारे का विकास कार्य न केवल तमिलनाडु में, बल्कि उत्तरप्रदेश में भी पूरे जोर-शोर से चल रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वैसे तो विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न भाषाएँ बोली जाती हैं, लेकिन सरकारी योजनाएँ पंक्ति के अंतिम व्यक्ति को जोड़ते हुए भारत के हर भू-भाग तक पहुँच रही हैं।
देश के लाखों लोग किस तरह से बुनियादी ज़रूरतों के लिए दशकों से प्रतीक्षा करते रहे, इसका उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “अवसंरचना में अंतराल जितना कम होगा, एकता उतनी मज़बूत होगी।” उन्होंने कहा कि भारत सबको समाविष्ट करने के सिद्धांत पर काम कर रहा है, जिसका उद्देश्य है कि हर योजना का लाभ हर लाभार्थी तक पहुँचे। प्रधानमंत्री ने सबके लिये आवास, सबके लिये डिजिटल कनेक्टिविटी, सबके लिये स्वच्छ ईंधन, सबके लिये बिजली जैसी योजनाओं का उदाहरण दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि शत-प्रतिशत नागरिकों तक पहुँचने का मिशन इस तरह की सुविधाएँ देने तक सीमित नहीं है, बल्कि ज़ोर संयुक्त लक्ष्य, संयुक्त विकास और संयुक्त प्रयास के साझा उद्देश्य पर है। प्रधानमंत्री ने रेखांकित करते हुए कहा कि जीवन की बुनियादी ज़रूरतों की पूर्ति देश के प्रति आम आदमी के विश्वास का माध्यम बन रही है तथा संविधान भी आम आदमी के आत्मविश्वास के माध्यम के रूप में काम कर रहा है। भारत के लिए सरदार पटेल की इस परिकल्पना का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “हर भारतवासी के लिये समान अवसर होंगे और समानता की भावना पैदा होगी। आज देश इस परिकल्पना को साकार होते देख रहा है।”
प्रधानमंत्री ने अतीत का हवाला दिया कि पिछले आठ वर्षों में देश ने हर उस क्षेत्र को प्राथमिकता दी है, जिन्हें दशकों तक उपेक्षित रखा गया। उन्होंने कहा कि देश ने जनजातीय गौरव दिवस मनाने की परंपरा शुरू कर दी है, ताकि हम जनजातियों के गौरव को याद कर सकें। इस सम्बन्ध में प्रधानमंत्री ने बताया कि देश के कई राज्यों में जनजातीय संग्रहालय बनाये जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने देशवासियों का आह्वान किया कि वे मनगढ़ धाम और जम्बूगोधा के इतिहास को जानें। उन्होंने कहा कि विदेशी आक्रांताओं द्वारा किए जाने वाले कई नरसंहारों का सामना करते हुए आजादी मिली है। उन्होंने कहा, “तब कहीं हम आजादी का मूल्य और एकता का मूल्य जान पायेंगे।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि एकता नगर भारत के एक आदर्श शहर के रूप में विकसित हो रहा है, जो न केवल देश में, बल्कि पूरे विश्व में अभूतपूर्व होगा। उन्होंने रेखांकित करते हुए कहा कि यह लोगों और शहर की एकता है, जो जन भागीदारी की ताकत पर विकसित हो रही है; लोगों की एकता से, जनभागीदारी की शक्ति से विकसित होता एकता नगर, आज भव्य भी हो रहा है और दिव्य भी हो रहा है। श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, “स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के रूप में दुनिया की सबसे विशाल प्रतिमा की प्रेरणा हमारे बीच है।”
एकता नगर के विकास मॉडल पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जब देश में पर्यावरण की रक्षा के लिए किसी मॉडल शहर की बात होगी, एकता नगर का नाम आएगा। जब देश में बिजली बचाने वाले एलईडी से प्रकाशित किसी आदर्श शहर, सौर ऊर्जा से चलने वाले क्लीन ट्रांसपोर्ट सिस्टम की बात आएगी, पशु-पक्षियों के, विभिन्न प्रजातियों के जीव-जंतुओं के संरक्षण की बात होगी, तो सबसे पहले एकता नगर का नाम आएगा। प्रधानमंत्री ने कल की बात याद की जब उन्हें मियावाकी फॉरेस्ट और मेज गार्डेन का लोकार्पण करने का अवसर मिला था। उन्होंने रेखांकित करते हुए कहा कि एकता मॉल, एकता नर्सरी, विविधता में एकता को प्रदर्शित करने वाला विश्व वन, एकता फेरी, एकता रेलवे स्टेशन, ये सारे उपक्रम, राष्ट्रीय एकता को मज़बूत करने की प्रेरणा हैं।
अपने सम्बोधन के अंत में प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता-उपरान्त देश की एकता में सरदार साहब की भूमिका को रेखांकित किया। प्रधानमंत्री ने बताया कि सदियों तक राज करने वाले शाही परिवारों ने कर्तव्य भावना के साथ देश की एकता की नई व्यवस्था के लिए अपने अधिकारों का बलिदान कर दिया, जिसका कारण सरदार पटेल का प्रयास था। आजादी के बाद दशकों तक शाही परिवारों के इस योगदान की उपेक्षा की जाती रही। प्रधानमंत्री ने कहा, “इन शाही परिवारों के बलिदान के प्रति समर्पित एक संग्रहालय एकता नगर में बनाया जायेगा। ये देश की एकता के लिए त्याग की परंपरा को नई पीढ़ियों तक पहुँचाएगा।”
पृष्ठभूमिः
प्रधानमंत्री की परिकल्पना से प्रेरित होकर २०१४ में यह निर्णय किया गया था कि ३१ अक्टूबर को सरदार वल्लभभाई पटेल की जन्म-जयंती मनाई जायेगी, ताकि देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा को मज़बूत बनाने तथा उसे क़ायम रखने के प्रति अपने समर्पण भाव पर ज़ोर दिया जाये। प्रधानमंत्री ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, केवड़िया में राष्ट्रीय एकता दिवस समारोहों में हिस्सा लिया। समारोह में राष्ट्रीय एकता दिवस परेड का आयोजन किया गया, जिसमें बीएसएफ, उत्तरी क्षेत्र (हरियाणा) , पश्चिमी क्षेत्र (मध्यप्रदेश) , दक्षिणी क्षेत्र (तेलंगाना) , पूर्वी क्षेत्र (ओडिशा) और उत्तर-पूर्व क्षेत्र (त्रिपुरा) से एक-एक दल सहित पांच राज्यों के पुलिस बलों के दल शामिल थे। दलों के सम्मिलित होने के अलावा राष्ट्रमंडल खेल २०२२ में छह पुलिस खेल पदक विजेता भी परेड में सम्मिलित होंगे।
गुजरात के केवडिया में राष्ट्रीय एकता दिवस परेड २०२२ के अवसर पर प्रधानमंत्री के सम्बोधन का मूल पाठ
देश के विभिन्न कोनों से यहाँ केवड़िया इस एकता नगर में आए पुलिस बल के साथी, NCC के नौजवान, कला से जुड़े हुए सारे आर्टिस्ट, देश के विभिन्न हिस्सों में एकता दौड़ Run for Unity में शामिल हो रहे नागरिक भाई-बहन, देश के सभी स्कूलों के छात्र-छात्राएँ, अन्य महानुभाव और सभी देशवासियों,
मैं एकता नगर में हूँ पर मेरा मन मोरबी के पीड़ितों से जुड़ा हुआ है। शायद ही जीवन में बहुत कम ऐसी पीड़ा मैंने अनुभव की होगी। एक तरफ़ दर्द से भरा पीड़ित दिल है और दूसरी तरफ़ कर्म और कर्तव्य का पथ है। इस कर्तव्य पथ की जिम्मेवारियों को लेते हुए मैं आपके बीच में हूँ। लेकिन करुणा से भरा मन उन पीड़ित परिवारों के बीच में है।
हादसे में जिन लोगों को अपना जीवन गंवाना पड़ा है, मैं उनके परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूँ। दुख की इस घड़ी में, सरकार हर तरह से पीड़ित परिवारों के साथ है। गुजरात सरकार पूरी शक्ति से, कल शाम से ही राहत और बचाव कार्यों में जुटी हुई है। केंद्र सरकार की तरफ़ से भी राज्य सरकार को पूरी मदद दी जा रही है। बचाव कार्य में NDRF की टीमों को लगाया गया है। सेना और वायुसेना भी राहत के काम में जुटी हुई हैं। जिन लोगों का अस्पताल में इलाज़ चल रहा है, वहाँ भी पूरी मुस्तैदी बरती जा रही है। लोगों की दिक्कतें कम से कम हों, इसे प्राथमिकता दी जा रही है। हादसे की ख़बर मिलने के बाद ही गुजरात के मुख्यमंत्री श्रीमान भूपेंद्र भाई रात को ही मोरबी पहुँच गए थे। कल से ही वह राहत और बचाव के कार्यों की कमान संभाले हुए हैं। राज्य सरकार की तरफ़ से इस हादसे की जांच के लिए एक कमेटी भी बना दी गई है। मैं देश के लोगों को आश्वस्त करता हूँ कि राहत और बचाव के कार्यों में कोई कमी नहीं आने दी जाएगी। आज राष्ट्रीय एकता दिवस का ये अवसर भी हमें एकजुट होकर इस मुश्किल घड़ी का सामना करने, कर्तव्यपथ पर बने रहने की प्रेरणा दे रहा है। कठिन से कठिन परिस्थितियों में सरदार पटेल का धैर्य, उनकी तत्परता से सीख लेते हुए हम काम करते रहे, आगे भी करते रहे हैं।
साथियों,
वर्ष २०२२ में राष्ट्रीय एकता दिवस का बहुत विशेष अवसर के रूप में मैं इसे देख रहा हूँ। ये वह वर्ष है जब हमने अपनी आजादी के ७५ वर्ष पूरे किए हैं। हम नए संकल्पों के साथ आगे बढ़ रहे हैं। आज एकता नगर में ये जो परेड हुई है, हमें इस बात का अहसास भी दिला रही है कि जब सब एक साथ चलते हैं, एक साथ आगे बढ़ते हैं, तो असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है। आज यहाँ देशभर से आए हुए कुछ कालकार सांस्कृतिक कार्यक्रम भी करने वाले थे। भारत के विविध नृत्यों को भी प्रदर्शित करने वाले थे। लेकिन कल की घटना इतनी दुख: द थी कि आज के इस कार्यक्रम में से उस कार्यक्रम को हटा दिया गया। मैं उन सभी कलाकारों से उनका यहाँ तक आना, उन्होंने जो पिछले दिनों मेहनत की है लेकिन आज उनको मौका नहीं मिला। मैं उनके दुख को समझ सकता हूँ लेकिन कुछ परिस्थितियाँ ऐसी हैं।
साथियों,
ये एकजुटता, ये अनुशासन, परिवार, समाज, गाँव, राज्य और देश, हर स्तर पर आवश्यक है और इसके दर्शन आज हम देश के कोने-कोने में कर भी रहे हैं। आज देश भर में ७५ हज़ार एकता दौड़ Run for Unity हो रही हैं, लाखों लोग जुड़ रहे हैं। देश का जन-जन लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की संकल्पशक्ति से प्रेरणा ले रहा है। आज देश का जन-जन अमृतकाल के ‘पंच प्राणों’ को जागृत करने के लिए राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए संकल्प ले रहा है।
साथियों,
राष्ट्रीय एकता दिवस, ये अवसर केवड़िया-एकतानगर की ये धरती और स्टेचू ऑफ यूनिटी, हमें निरंतर ये अहसास दिलाते हैं कि आज़ादी के समय अगर भारत के पास सरदार पटेल जैसा नेतृत्व न होता, तो क्या होता? क्या होता अगर साढ़े पांच सौ से ज़्यादा रियासतें एकजुट नहीं हुई होतीं? क्या होता अगर हमारे ज्यादातर राजे-रजवाड़े त्याग की पराकाष्ठा नहीं दिखाते, माँ भारती में आस्था नहीं दिखाते? आज हम जैसा भारत देख रहे हैं, हम उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते थे। ये कठिन कार्य, ये असंभव कार्य, सिर्फ़ और सिर्फ़ सरदार पटेल ने ही सिद्ध किया।
साथियों,
सरदार साहब की जन्मजयंती और ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ ये हमारे लिए केवल तारीख भर नहीं हैं। ये भारत के सांस्कृतिक सामर्थ्य का एक महापर्व भी है। भारत के लिए एकता कभी भी विवशता नहीं रही है। भारत के लिए एकता सदा-सर्वदा विशेषता रही है। एकता हमारी विशिष्टता रही है। एकता की भावना भारत के मानस में, हमारे अन्तर्मन में कितनी रची बसी है, हमें अपनी इस खूबी का अक्सर अहसास नहीं होता है, कभी-कभी ओझल हो जाती है। लेकिन आप देखिए, जब भी देश पर कोई प्राकृतिक आपदा आती है, तो पूरा देश एक साथ खड़ा हो जाता है। आपदा उत्तर में हो या दक्षिण में, पूरब में या पश्चिमी हिस्से में, ये मायने नहीं रखती है। पूरा भारत एकजुट होकर सेवा, सहयोग और संवेदना के साथ खड़ा हो जाता है। कल ही देख लीजिए ना मोरबी में हादसा हुआ, उसके बाद हर एक देशवासी, हादसे का शिकार हुए लोगों की सुरक्षा के लिए प्रार्थना कर रहा है। स्थानीय लोग हादसे की जगह पर, अस्पतालों में, हर संभव मदद के लिए ख़ुद आगे आ रहे थे। यही तो एकजुटता की ताकत है। कोरोना का इतना बड़ा उदाहरण भी हमारे सामने है। ताली-थाली की भावनात्मक एकजुटता से लेकर राशन, दवाई और वैक्सीन के सहयोग तक, देश एक परिवार की तरह आगे बढ़ा। सीमा पर या सीमा के पार, जब भारत की सेना शौर्य दिखाती है, तो पूरे देश में एक जैसे जज़्बात होते हैं, एक जैसा जज़्बा होता है। जब ओलंपिक्स में भारत के युवा तिरंगे की शान बढ़ाते हैं, तो पूरे देश में एक जैसा जश्न मनता है। जब देश क्रिकेट का मैच जीतता है, तो देश में एक जैसा जुनून होता है। हमारे जश्न के सांस्कृतिक तौर-तरीके अलग-अलग होते हैं, लेकिन भावना एक जैसी ही होती है। देश की ये एकता, ये एकजुटता, एक-दूसरे के लिए ये अपनापन, ये बताता है कि एक राष्ट्र के रूप में भारत की जड़ें कितनी गहरी हैं।
और साथियों,
भारत की यही एकता हमारे दुश्मनों को खटकती है। आज से नहीं बल्कि सैकड़ों वर्षों पहले गुलामी के लंबे कालखंड में भी भारत की एकता हमारे दुश्मनों को चुभती रही है। इसलिए गुलामी के सैकड़ों वर्षों में हमारे देश में जितने भी विदेशी आक्रांता आए, उन्होंने भारत में विभेद पैदा करने के लिए हर मुमकिन कोशिश की। उन्होंने भारत को बांटने के लिए, भारत को तोड़ने के लिए सब कुछ किया। हम फिर भी उसका मुक़ाबला कर सके, क्योंकि एकता का अमृत हमारे भीतर जीवंत था, जीवंत धारा के रूप में बह रहा था। लेकिन, वह कालखंड लंबा था। जो ज़हर उस दौर में घोला गया, उसका नुक़सान देश आज भी भुगत रहा है। इसलिए ही हमने बंटवारा भी देखा और भारत के दुश्मनों को उसका फायदा उठाते भी देखा। इसलिए हमें आज बहुत सावधान भी रहना है! अतीत की तरह ही, भारत के उत्कर्ष और उत्थान से परेशान होने वाली ताक़तें आज भी मौजूद हैं। वह आज भी हमें तोड़ने की, हमें बांटने की हर कोशिश करती हैं। हमें जातियों के नाम पर लड़ाने के लिए तरह-तरह के नैरेटिव गढ़े जाते हैं। प्रान्तों के नाम पर हमें बांटने की कोशिश होती है। कभी एक भारतीय भाषा को दूसरी भारतीय भाषा का दुश्मन बताने के लिए कैम्पेन चलाए जाते हैं। इतिहास को भी इस तरह पेश किया जाता है ताकि देश के लोग जुड़ें नहीं, बल्कि एक दूसरे से दूर हों!
और भाइयों बहनों,
एक और बात हमारे लिए ध्यान रखनी आवश्यक है। ये ज़रूरी नहीं है कि देश को कमजोर करने वाली ताकत हमेशा हमारे खुले दुश्मन के रूप में ही आए। कई बार ये ताकत गुलामी की मानसिकता के रूप में हमारे भीतर घर कर जाती है। कई बार ये ताकत हमारे व्यक्तिगत स्वार्थों के जरिए सेंधमारी करती है। कई बार ये तुष्टीकरण के रूप में, कभी परिवारवाद के रूप में, कभी लालच और भ्रष्टाचार के रूप में दरवाजे तक दस्तक दे देती है, जो देश को बांटती और कमजोर करती है। लेकिन, हमें उन्हें जवाब देना होगा। हमें जवाब देना होगा-भारत माँ की एक संतान के रूप में। हमें जवाब देना होगा-एक हिंदुस्तानी के रूप में। हमें एकजुट रहना होगा, एक साथ रहना होगा। विभेद के ज़हर का जवाब हमें एकता के इसी अमृत से देना है। यही नए भारत की ताकत है।
साथियों,
आज राष्ट्रीय एकता दिवस पर, मैं सरदार साहब द्वारा हमें सौपे दायित्व को फिर दोहराना चाहता हूँ। उन्होंने हमें ये ज़िम्मेदारी भी दी थी कि हम देश की एकता को मज़बूत करें, एक राष्ट्र के तौर पर देश को मज़बूत करें। ये एकता तब मज़बूत होगी, जब हर नागरिक एक जैसे कर्तव्य बोध से ये ज़िम्मेदारी संभालेगा। आज देश इसी कर्तव्य बोध से सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ इस मंत्र को लेकर विकास के मार्ग पर आगे बढ़ रहा है। आज देश में हर कोने में, हर गाँव में, हर वर्ग के लिए और हर व्यक्ति के लिए बिना भेदभाव के एक जैसी नीतियाँ पहुँच रही हैं। आज अगर गुजरात के सूरत में सामान्य मानवी को मुफ्त वैक्सीन लग रही है, तो अरुणाचल के सियांग में भी उतनी ही आसानी से मुफ्त वैक्सीन उपलब्ध है। आज अगर एम्स गोरखपुर में है, तो बिलासपुर, दरभंगा और गुवाहाटी और राजकोट समेत देश के दूसरे शहरों में भी है। आज एक ओर तमिलनाडू में डिफेंस कॉरिडॉर बन रहा है, तो उत्तर प्रदेश में भी डिफेंस कॉरिडॉर का काम तेजी से आगे बढ़ रहा है। आज नॉर्थ ईस्ट की किसी रसोई में खाना बन रहा हो या तमिलनाडु की किसी समयल-अरई” में खाना बन रहा हो, भाषा भले अलग हो, भोजन भले अलग हो लेकिन माताओं-बहनों को धुएँ से मुक्ति दिलाने वाला उज्ज्वला सिलिंडर हर जगह है। हमारी जो भी नीतियाँ हैं, सबकी नीयत एक ही है-आखिरी पायदान पर खड़े व्यक्ति तक पहुँचना, उसे विकास की मुख्यधारा से जोड़ना।
साथियों,
हमारे देश के करोड़ों लोगों ने दशकों तक अपनी मौलिक ज़रूरतों के लिए भी लंबा इंतज़ार किया है। बुनियादी सुविधाओं के बीच की खाई, जितनी कम होगी, उतनी ही एकता भी मज़बूत होगी। इसलिए आज देश में सैचुरेशन के सिद्धांत पर काम हो रहा है। लक्ष्य ये कि हर योजना का लाभ, हर लाभार्थी तक पहुँचे। इसलिए आज Housing for All, Digital Connectivity for All, Clean Cooking for All, Electricity for All, ऐसे अनेक अभियान चलाए जा रहे हैं। आज शत प्रतिशत नागरिकों तक पहुँचने का ये मिशन केवल एक जैसी सुविधाओं का ही मिशन नहीं है। ये मिशन एकजुट लक्ष्य, एकजुट विकास और एकजुट प्रयास का भी मिशन है। आज जीवन की मौलिक ज़रूरतों के लिए शत प्रतिशत कवरेज देश और संविधान में सामान्य मानवी के विश्वास का माध्यम बन रहा है। ये सामान्य मानवी के आत्मविश्वास का माध्यम बन रहा है। यही सरदार पटेल के भारत का विज़न है-जिसमें हर भारतवासी के लिए समान अवसर होंगे, समानता की भावना होगी। आज देश उस विज़न को साकार होते देख रहा है।
साथियों,
बीते ८ वर्षों में देश ने हर उस समाज को प्राथमिकता दी है, जिसे दशकों तक उपेक्षा का शिकार होना पड़ा था। इसीलिए, देश ने आदिवासी के गौरव को याद करने के लिए जन-जातीय गौरव दिवस मनाने की परंपरा शुरू की है। देश के कई राज्यों में आदिवासी स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका उसको लेकर के म्यूज़ियम भी बनाए जा रहे हैं। कल मैं मानगढ़ जाने वाला हूँ उसके बाद मैं जांबूघोड़ा भी जाऊंगा। मेरा देशवासियों से आग्रह है कि मानगढ़ धाम और जांबूघोड़ा के इतिहास को भी ज़रूर जानें। विदेशी आक्रांतों द्वारा किए गए कितने ही नरसंहारों का सामना करते हुए हमें आजादी मिली है, आज की युवा पीढ़ी को ये भी सब जानना बहुत आवश्यक है। तभी हम आजादी की क़ीमत भी समझ पाएंगे, एकजुटता की क़ीमत भी जान पाएंगे।
साथियों,
हमारे यहाँ कहा भी गया है-
ऐक्यं बलं समाजस्य तद्भावे स दुर्बलः। तस्मात् ऐक्यं प्रशंसन्ति दृढं राष्ट्र हितैषिणः॥
अर्थात्, किसी भी समाज की ताकत उसकी एकता होती है। इसीलिए, मज़बूत राष्ट्र के हितैषी एकता की इस भावना की प्रशंसा करते हैं, उसके लिए प्रयास करते हैं। इसलिए, देश की एकता और एकजुटता हम सबका सामूहिक दायित्व है। ये एकता नगर, भारत का एक ऐसा मॉडल शहर विकसित हो रहा है, जो देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में अभूतपूर्व होगा। लोगों की एकता से, जनभागीदारी की शक्ति से विकसित होता एकता नगर, आज भव्य भी हो रहा है और दिव्य भी हो रहा है। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के रूप में दुनिया की सबसे विशाल प्रतिमा की प्रेरणा हमारे बीच है।
भविष्य में, एकता नगर, भारत का एक ऐसा शहर बनने जा रहा है जो अभूतपूर्व भी होगा और अविश्वसनीय भी होगा। जब देश में पर्यावरण की रक्षा के लिए किसी मॉडल शहर की बात होगी, एकता नगर का नाम आएगा। जब देश में बिजली बचाने वाले LED प्रकाशित किसी मॉडल शहर की बात होगी, सबसे पहले एकता नगर का नाम आएगा। जब देश में सोलर पावर से चलने वाले क्लीन ट्रांसपोर्ट सिस्टम की बात आएगी, तो सबसे पहले एकता नगर का नाम आएगा। जब देश में पशु-पक्षियों के संरक्षण की बात होगी, विभिन्न प्रजातियों के जीव-जंतुओं के संरक्षण की बात होगी, तो सबसे पहले एकता नगर का नाम आएगा। कल ही मुझे यहाँ मियावाकी फॉरेस्ट और मेज गार्डेन का लोकार्पण करने का अवसर मिला है।
यहाँ का एकता मॉल, एकता नर्सरी, विविधता में एकता को प्रदर्शित करने वाला विश्व वन, एकता फेरी, एकता रेलवे स्टेशन, ये सारे उपक्रम, राष्ट्रीय एकता को मज़बूत करने की प्रेरणा हैं। अब तो एकता नगर में एक और नया सितारा भी जुड़ने जा रहा है। आज मैं इस बारे में भी आपको बताना चाहता हूँ और अभी जब हम सरदार साहब को सुन रहे थे। उन्होंने जिस भावना को व्यक्त किया, उस भावना को उसमें प्रतिबिंब में हम कर रहे हैं। आज़ादी के बाद देश की एकता में सरदार साहब ने जो भूमिका निभाई थी, उसमें बहुत बड़ा सहयोग देश के राजा-रजवाड़ों ने भी किया था। जिन राज-परिवारों ने सदियों तक सत्ता संभाली, देश की एकता के लिए एक नई व्यवस्था में उन्होंने अपने अधिकारों को कर्तव्यभाव से समर्पित कर दिया। उनके इस योगदान की आजादी के बाद दशकों तक उपेक्षा हुई है।
अब एकता नगर में उन राजपरिवारों के, उन राजव्यवस्थाओं के त्याग को समर्पित एक म्यूज़ियम बनाया जाएगा। ये देश की एकता के लिए त्याग की परंपरा को नई पीढ़ियों तक पहुँचाएगा और मैं गुजरात सरकार का भी आभारी हूँ। कि उन्होंने इस दिशा में काफ़ी ground work पूरा किया है। मुझे विश्वास है, सरदार साहब की प्रेरणा राष्ट्रीय एकता को मज़बूत करने के लिए निरंतर हम सबका मार्गदर्शन करेगी। हम सब मिलकर सशक्त भारत का सपना पूरा करेंगे। इसी विश्वास के साथ, मैं आप सबसे आग्रह करुंगा मैं जब कहूंगा सरदार पटेल-आप दो बार बोलेंगे अमर रहे, अमर रहे,।
सरदार पटेल–अमर रहे, अमर रहे।
सरदार पटेल–अमर रहे, अमर रहें।
सरदार पटेल–अमर रहे, अमर रहे।
भारत माता की–जय,
भारत माता की–जय,
भारत माता की–जय,
बहुत-बहुत धन्यवाद!
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