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प्रधानमंत्री ने कुल्लू दशहरा समारोह (Kullu Dussehra Celebrations) में भाग लिया
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज हिमाचल प्रदेश के कुल्लू के ढालपुर मैदान में कुल्लू दशहरा समारोह (Kullu Dussehra Celebrations) में भाग लिया। आइये पढ़ते हैं पूरी खबर…
प्रधानमंत्री के आगमन पर उनका स्वागत सम्मान किया गया। इसके बाद भगवान रघुनाथजी के आगमन के साथ रथयात्रा की शुरुआत हुई। इस मौके पर प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए भारी भीड़ उमड़ी। मुख्य आकर्षण के रूप में प्रधानमंत्री लाखों अन्य भक्तों के साथ पैदल चले और भगवान रघुनाथजी को नमन किया।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर उपस्थित सभी लोगों को हाथ जोड़कर बधाई दी और ऐतिहासिक कुल्लू दशहरा समारोह में देवताओं की भव्य सभा के साथ-साथ दिव्य रथयात्रा के साक्षी बने। यह एक ऐतिहासिक अवसर था, क्योंकि कुल्लू दशहरा समारोह में पहली बार भारत का कोई प्रधानमंत्री भाग ले रहे थे।
अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा महोत्सव ५ से ११ अक्टूबर, २०२२ तक कुल्लू के ढालपुर मैदान में मनाया जा रहा है। यह त्यौहार इस मायने में अनूठा है कि यह घाटी के ३०० से अधिक देवताओं की सभा है। त्यौहार के पहले दिन, देवता अपनी अच्छी तरह से सजाई गई पालकियों में मुख्य देवता भगवान रघुनाथजी के मंदिर में उनकी पूजा करते हैं और फिर ढालपुर मैदान के लिए प्रस्थान करते हैं।
प्रधानमंत्री के साथ हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री जय राम ठाकुर, हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल श्री राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्री अनुराग ठाकुर और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष श्री सुरेश कुमार कश्यप सहित अन्य लोग उपस्थित थे।
इससे पहले दिन में, प्रधानमंत्री ने एम्स, बिलासपुर का लोकार्पण किया था। उन्होंने हिमाचल प्रदेश के लुहनू, बिलासपुर में कई परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास भी किया।
हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में विभिन्न विकास कार्यों के शुभारंभ के अवसर पर प्रधानमंत्री के भाषण का मूल पाठ
जै माता नैणा देविया री, जै बजिए बाबे री।
बिलासपुरा आल्यो…अऊँ धन्य ओइ गया, आज्ज…मिंजो…दशैरे रे, इस पावन मौके पर, माता नैणा देविया रे, आशीर्वादा ने, तुहाँ सारयाँ रे दर्शना रा सौभाग्य मिल्या! तुहाँ सारयाँ जो, मेरी राम-राम। कने एम्स री बड़ी-बड़ी बदाई।
हिमाचल के राज्यपाल श्री राजेंद्र आर्लेकर जी, हिमाचल के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्रीमान जयराम ठाकुर जी, भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, हम सबके मार्गदर्शक और इसी धरती की संतान, श्रीमान जेपी नड्डा जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल में मेरे सहयोगी और हमारे सांसद श्री अनुराग ठाकुर जी, हिमाचल भाजपा के अध्यक्ष और संसद में मेरे साथी सुरेश कश्यप जी, संसद में मेरे साथी किशन कपूर जी, बहन इंदु गोस्वामी जी, डॉ सिकंदर कुमार जी, अन्य मंत्रिगण, सांसद और विधायकगण और भारी संख्या में हम सबको आशीर्वाद देने के लिए पधारे हुए मेरे प्यारे भाइयों और बहनों! आप सभी को, संपूर्ण देशवासियों को विजयादशमी के अवसर पर अनंत-अनंत शुभकामनाएँ।
ये पावन पर्व, हर बुराई से पार पाते हुए, अमृतकाल के लिए जिन पंच प्राणों का संकल्प देश ने लिया है, उन पर चलने के लिए नई ऊर्जा देगा। मेरा सौभाग्य है कि विजयादशमी पर हिमाचल प्रदेश के लोगों को स्वास्थ्य, शिक्षा, रोज़गार और इंफ्रास्ट्रक्चर के हज़ारों करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स, इसका उपहार देने का अवसर मिला है और ये भी देखिए संयोग, विजयादशमी हो और विजय का रणसिंहा फूंकने का अवसर मिले, ये भविष्य के हर विजय का आगाज ले करके आया है। बिलासपुर को तो शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा का डबल गिफ्ट मिला है। कहलूरा री… बंदले धारा ऊप्पर, हाइड्रो कालेज … कने थल्ले एम्स… हुण एथी री पहचान हूणी!
भाइयों और बहनों,
यहाँ विकास योजनाओं को आपको सौंपने के बाद, जैसा जयराम जी ने बताया, एक और सांस्कृतिक विरासत का साक्षी बनने जा रहा हूँ और बहुत वर्षों बाद मुझे एक बार फिर कुल्लू दशहरे का हिस्सा बनने का सौभाग्य मिलेगा। सैकड़ों देवी-देवताओं के साथ भगवान रघुनाथ जी की यात्रा में शामिल होकर मैं देश के लिए भी आशीर्वाद भी मांगूंगा और आज जब यहाँ बिलासपुर आया हूँ तो पुरानी यादें ताज़ा होना बहुत स्वाभाविक है। वह भी एक वक्त था, यहाँ पैदल टहलते थे। कभी मैं, धूमल जी, नड्डा जी, पैदल यहाँ बाज़ार से निकल पड़ते थे। हम एक बहुत बड़ा रथयात्रा का कार्यक्रम लेकर भी यहाँ बिलासपुर की गलियों से गुजरे थे और तब स्वर्ण जयंती रथयात्रा यहाँ से होकर और वह भी मेन मार्केट से निकली थी और वहाँ जनसभा हुई थी और अनेक बार मेरा यहाँ आना हुआ, आप लोगों के बीच रहना हुआ है।
हिमाचल की इस भूमि पर काम करते हुए मुझे निरंतर हिमाचल की विकास यात्रा का सहयात्री बनने का अवसर मिला है और मैं अभी सुन रहा था, अनुराग जी बड़े जोर-जोर से बोल रहे थे, ये मोदी जी ने किया, ये मोदी जी ने किया, ये मोदी जी ने कहा। हमारे नड्डा जी भी कह रहे थे, ये मोदी जी ने किया, ये मोदी जी ने किया और हमारे मुख्यमंत्री जयराम जी भी कह रहे थे, मोदी जी ने किया, मोदी जी ने किया। लेकिन मैं सच्चाई बता दूं, सच्चाई बता दूं किसने किया, बता दूं? ये जो कुछ भी हो रहा है ना, वह आपने किया है। आपके कारण हुआ है।
अगर आप दिल्ली में सिर्फ़ मोदी जी को आशीर्वाद देते और हिमाचल में मोदी जी के साथियों को आशीर्वाद न देते तो ये सारे कामों में वह अड़ंगे डाल देते। ये तो जयराम जी और उनकी टीम है कि जो काम दिल्ली से मैं लेकर आता हूँ, उसको तेजी गति से ये लोग दौड़ाते हैं, इसलिए हो रहा है और ये अगर एम्स बना है तो आपके एक वोट की ताकत है, अगर टनल बना है तो आपके एक वोट की ताकत है, हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज बना है तो ये आपके वोट की ताकत है, अगर मेडिकल डिवाइस पार्क बन रहा है तो ये भी आपके एक वोट की ताकत है और इसलिए आज मैं हिमाचल की अपेक्षाओं को ध्यान में रखते हुए एक के बाद एक विकास के काम कर रहा हूँ।
विकास को लेकर हमने देश में लंबे समय तक एक विकृत सोच को हावी होते देखा है। ये सोच क्या थी? अच्छी सड़कें होंगी तो कुछ राज्यों और कुछ बड़े शहरों में होंगी, दिल्ली के आसपास होंगी। अच्छे शिक्षण संस्थान होंगे, तो बहुत बड़े-बड़े शहरों में होंगे। अच्छे अस्पताल होंगे वह तो दिल्ली में ही हो सकता है, बाहर हो ही नहीं सकता है। उद्योग-धंधे लगेंगे तो भी बड़ी-बड़ी जगह पर लगेंगे और विशेषकर देश के पहाड़ी प्रदेशों में मूल सुविधाएँ तक सबसे अंत में, कई-कई बरसों के इंतज़ार के बाद पहुँचती थीं। उस पुरानी सोच का नतीजा ये हुआ कि इससे देश में विकास का एक बड़ा असंतुलन पैदा हो गया। इस वज़ह से देश का एक बड़ा हिस्सा, वहाँ के लोग असुविधा में, अभाव में रहे।
पिछले ८ वर्षों में देश अब उस पुरानी सोच को पीछे छोड़कर, नई सोच, आधुनिक सोच के साथ आगे बढ़ रहा है। अब देखिए, लंबे समय तक और मैं तो जब यहाँ आता था, मैं लगातार देखता था, यहाँ एक यूनिवर्सिटी से ही गुज़ारा होता था और इलाज़ हो या फिर मेडिकल की पढ़ाई, IGMC शिमला और टाटा मेडिकल कॉलेज पर ही निर्भरता थी। गंभीर बीमारियों का इलाज़ हो या फिर शिक्षा या रोज़गार, चंडीगढ़ और दिल्ली जाना तब हिमाचल के लिए मजबूरी बन गया था। लेकिन बीते आठ वर्षों में हमारी डबल इंजन की सरकार ने हिमाचल की विकास गाथा को नए आयाम पर पहुँचा दिया है। आज हिमाचल में सेंट्रल यूनिवर्सिटी भी है, आईआईटी भी है, ट्रिपल आईटी भी है, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (IIM) जैसे प्रतिष्ठित संस्थान भी हैं। देश में मेडिकल शिक्षा और स्वास्थ्य का सबसे बड़ा संस्थान, एम्स भी अब बिलासपुर और हिमाचल की जनता की आन-बान-शान बढ़ा रहा है।
बिलासपुर एम्स एक और बदलाव का भी प्रतीक है और एम्स के अंदर भी ये ग्रीन एम्स के नाम से जाना जाएगा, पूरी तरह पर्यावरण प्रेमी एम्स, प्रकृति प्रेमी एम्स। अभी हमारे सभी साथियों ने बताया पहले सरकारें शिलान्यास का पत्थर लगाती थीं और चुनाव निकलने के बाद भूल जाती थीं। आज भी हिमाचल में जाओगे, हमारे धूमल जी ने एक बार कार्यक्रम किया था, कहां-कहाँ पत्थर पड़े हैं ढूँढने का और ढेर सारे ऐसे कार्यक्रम जहाँ पत्थर पड़े थे, काम नहीं हुआ था।
मुझे याद है मैं एक बार रेलवे का रिव्यू कर रहा था, आपके ऊना के पास एक रेलवे लाइन बिछानी थी। ३५ साल पहले निर्णय हुआ था, ३५ साल पहले। पार्लियामेंट में घोषणा हुई थी, लेकिन फिर फाइल बंद। हिमाचल को कौन पूछेगा भाई। लेकिन ये तो हिमाचल का बेटा है और हिमाचल को भूल नहीं सकता। लेकिन हमारी सरकार की पहचान है कि जिस प्रोजेक्ट का शिलान्यास करती है, उसका लोकार्पण भी करती है। अटकना, लटकना, भटकना, वह जमाना चला गया दोस्तों!
साथियों,
राष्ट्ररक्षा में हमेशा से हिमाचल का बहुत बड़ा योगदान रहा है, जो हिमाचल पूरे देश में राष्ट्र रक्षा के वीरों के लिए जाना जाता है वह हिमाचल अब इस एम्स के बाद जीवन रक्षा के लिए भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला है। साल २०१४ तक हिमाचल में सिर्फ़ ३ मेडिकल कॉलेज थे, जिसमें २ सरकारी थे। पिछले ८ सालों में ५ नए सरकारी मेडिकल कॉलेज हिमाचल में बने हैं। २०१४ तक अंडर और पोस्टग्रेजुएट मिलाकर सिर्फ़ ५०० विद्यार्थी पढ़ सकते थे, आज ये संख्या १२०० से अधिक, यानी दोगुने से भी ज़्यादा हो चुकी है। एम्स में हर साल अनेक नए डॉक्टर बनेंगे, नर्सिंग से जुड़े युवा यहाँ ट्रेनिंग पाएंगे और मुझे जयराम जी की टीम को, जयराम जी को, भारत सरकार के आरोग्य मंत्री और आरोग्य मंत्रालय को विशेष रूप से बधाई देनी है।
जब नड्डा जी आरोग्य मंत्री थे, उस समय हमने निर्णय किया तो नड्डा जी के जिम्मे बहुत बड़ा दायित्व आ गया, मैं शिलान्यास भी कर गया। इसी कालखंड में कोरोना की भयंकर महामारी आई और हम जानते हैं हिमाचल के लोग तो हिमाचल में कोई भी कंस्ट्रक्शन का काम करता है तो कितना मुश्किल होता है, एक-एक चीज पहाड़ पर लाना, कितना दिक्कत भरा होता है। जो काम नीचे एक घंटे में होता है, उसको यहाँ पहाड़ों में करने के लिए एक दिन लग जाता है। उसके बावजूद भी, कोरोना की कठिनाई के बावजूद भी भारत सरकार का आरोग्य मंत्रालय और जयराम जी के राज्य सरकार की टीम ने मिल करके जो काम किया, आज एम्स मौजूद है, एम्स काम करने लग गया है।
मेडिकल कॉलेज ही नहीं, हम एक और दिशा में आगे बढ़े, दवाओं और जीवन रक्षक टीकों के निर्माता के रूप में भी हिमाचल की भूमिका का बहुत अधिक विस्तार किया जा रहा है। बल्क ड्रग्स पार्क के लिए देश के सिर्फ़ तीन राज्यों को चुना गया है और उसमें से एक कौन-सा राज्य है भाई, कौन-सा राज्य है? हिमाचल है, आपको गर्व हो रहा है कि नहीं हो रहा है? ये आपके बच्चों के उज्ज्वल भविष्य का शिलान्यास है कि नहीं है? ये आपके बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की गारंटी है कि नहीं है? हम काम बड़ी मजबूती से करते हैं और आज की पीढ़ी के लिए भी करते हैं, आने वाली पीढ़ी के लिए भी करते हैं।
उसी प्रकार से मेडिकल डिवाइस पार्क के लिए ४ राज्यों को चुना गया है, जहाँ आज मेडिकल में टेक्नोलॉजी का भरपूर उपयोग हो रहा है। विशिष्ट प्रकार के औजारों की ज़रूरत पड़ती है, उसको बनाने के लिए देश में चार राज्य चुने गए हैं। इतना बड़ा हिन्दुस्तान, इतनी बड़ी जनसंख्या, हिमाचल तो मेरा छोटा-सा राज्य है, लेकिन ये वीरों की धरती है और मैंने यहाँ की रोटी खाई है, मुझे कर्ज़ भी चुकाना है और इसलिए चौथा मेडिकल डिवाइस पार्क कहाँ बन रहा है, ये चौथा मेडिकल डिवाइस पार्क कहाँ बन रहा है-आपके हिमाचल में बन रहा है दोस्तों। दुनिया भर के बड़े-बड़े लोग यहाँ आएंगे। नालागढ़ में ये मेडिकल डिवाइस पार्क का शिलान्यास इसी का हिस्सा है। इस डिवाइस पार्क के निर्माण के लिए हज़ारों करोड़ रुपए का निवेश यहाँ होगा। इससे जुड़े अनेक छोटे और लघु उद्योग आस-पास विकसित होंगे। इससे यहाँ के हज़ारों युवाओं को रोज़गार के अवसर मिलेंगे।
साथियों,
हिमाचल का एक पक्ष और है, जिसमें यहाँ विकास की अनंत संभावनाएँ छिपी हुई हैं। ये पक्ष है मेडिकल टूरिज्म का। यहाँ की आबो-हवा, यहाँ का मौसम, यहाँ का वातावरण, यहाँ की जड़ी-बूटियाँ, यहाँ का अच्छे स्वास्थ्य के लिए बहुत उपयुक्त वातावरण। आज भारत मेडिकल टूरिज्म को लेकर दुनिया का एक बहुत बड़ा आकर्षण केंद्र बन रहा है। जब देश और दुनिया के लोग हिन्दुस्तान में मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए आना चाहेंगे तो यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य इतना बढ़िया है कि वे यहाँ आएंगे, एक प्रकार से उनके लिए आरोग्य का लाभ भी होगा और पर्यटन का भी लाभ होने वाला है। हिमाचल के तो दोनों हाथ में लड्डू हैं।
साथियों,
केंद्र सरकार का प्रयास है कि गरीब और मध्यम वर्ग का इलाज, उस पर ख़र्च कम से कम हो, ये इलाज़ भी बेहतर मिले और इसके लिए उसको दूर तक जाना भी न पड़े। इसलिए आज एम्स मेडिकल कॉलेज, ज़िला अस्पतालों में क्रिटिकल केयर सुविधाओं और गांवों में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर बनाने पर एक seamless connectivity पर हम काम कर रहे हैं। उस पर बल दिया जा रहा है। आयुष्मान भारत योजना के तहत हिमाचल के अधिकतर परिवारों को ५ लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज़ की सुविधा मिल रही है।
इस योजना के तहत अभी तक देशभर में ३ करोड़ ६० लाख गरीब मरीज़ों का मुफ्त इलाज़ हो चुका है और इसमें से डेढ़ लाख तो लाभार्थी ये मेरे हिमाचल के मेरे परिवारजन हैं। देश में इन सभी साथियों के इलाज़ पर सरकार अब तक ४५ हज़ार करोड़ रुपए से अधिक ख़र्च कर चुकी है। अगर आयुष्मान भारत योजना ना होती तो इसका करीब दोगुना यानी लगभग ९० हज़ार करोड़ रुपए ये जो मरीज लोग थे, उन परिवारों को अपनी जेब से देना पड़ता। यानी इतनी बड़ी बचत भी गरीब और मध्यम वर्ग के परिवार को बेहतरीन इलाज़ के साथ मिली है।
साथियों,
मेरे लिए एक और संतोष की बात है। सरकार की इस प्रकार की योजनाओँ का सबसे अधिक लाभ हमारी माताओं को, बहनों को, बेटियों को मिला है और हम तो जानते हैं, हमारी मां-बहनों का स्वभाव होता है, कितनी ही तकलीफ हो, शरीर में कितनी ही पीड़ा होती हो, लेकिन वह परिवार में किसी को बताती नहीं हैं। वह सहन करती भी हैं, काम भी करती हैं, पूरे परिवार को संभालती भी हैं, क्योंकि उसके मन में रहता है कि अगर बीमारी का पता परिवार के लोगों को लगेगा, बच्चों को लगेगा तो वह कर्ज़ कर-करके भी मेरा उपचार कराएंगे और माँ सोचती है, अरे बीमारी में ही थोड़ा समय निकाल दूंगी, लेकिेन बच्चों पर कर्ज़ नहीं होने दूंगी, मैं अस्पताल जाकर ख़र्च नहीं करूंगी। इन माताओं की चिंता कौन करेगा? क्या मेरी माताएँ इस प्रकार की यातनाएँ चुपचाप सहती रहें। ये बेटा किस काम का है और उसी भावना से आयुष्मान भारत योजना का जन्म हुआ है। ताकि मेरी माताओं-बहनों को बीमारी से गुज़ारा न करना पड़े। जीवन में इस मजबूरी से जीना न पड़े। आयुष्मान भारत योजना के तहत लाभ लेने वाली माताएं-बहनें ५० प्रतिशत से ज्यादा हैं। हमारी माताएं-बहनें और बेटियाँ हैं।
साथियों,
चाहे शौचालय बनाने के लिए स्वच्छ भारत अभियान हो, मुफ्त गैस कनेक्शन देने के लिए उज्ज्वला योजना हो, मुफ्त सैनेटेरी नैपकिन देने का अभियान हो, मातृवंदना योजना के तहत हर गर्भवती महिला को पोषक आहार के लिए हज़ारों रुपए की मदद हो, या फिर अब हर घर जल पहुँचाने का हमारा अभियान हो, ये सारा मेरी माताओं-बहनों को सशक्त करने वाले काम हम एक के बाद एक करते चले जा रहे हैं। माताओं-बहनों-बेटियों का सुख, सुविधा, सम्मान, सुरक्षा और स्वास्थ्य डबल इंजन की सरकार की बहुत बड़ी प्राथमिकता है।
केंद्र सरकार ने जो भी योजनाएँ बनाई हैं, उनको जयराम जी और उनकी पूरी टीम ने, उनकी सरकार ने बहुत तेज गति से और बड़ी स्पिरिट के साथ उसको ज़मीन पर उतारा है और उनका दायरा भी बढ़ाया है। हर घर नल से जल पहुँचाने का काम यहाँ कितना तेज़ी से हुआ है, ये हम सभी के सामने है। पिछले ७ दशकों में जितने नल कनेक्शन हिमाचल में दिए गए हैं, उससे दोगुने से भी अधिक सिर्फ़ बीते ३ साल में दे चुके हैं हम, मिल चुके हैं लोगों को। इन तीन वर्षों में साढ़े ८ लाख से अधिक नए परिवारों को पाइप के पानी की सुविधा मिली है।
भाइयों और बहनों,
जयराम जी और उनकी टीम की एक और मामले में देश बहुत अधिक प्रशंसा कर रहा है। ये प्रशंसा सामाजिक सुरक्षा को लेकर केंद्र सरकार के प्रयासों को विस्तार देने के लिए हो रही है। आज हिमाचल का शायद ही कोई परिवार ऐसा हो, जहाँ किसी ना किसी सदस्य को पेंशन की सुविधा न मिलती हो। विशेष रूप से जो साथी बेसहारा हैं, जिनको गंभीर बीमारी ने जकड़ लिया है, ऐसे परिवारों को पेंशन और इलाज़ के ख़र्च से जुड़ी सहायता के प्रयास सराहनीय है। हिमाचल प्रदेश के हजारों परिवारों को वन-रैंक वन-पेंशन लागू होने से भी बड़ा लाभ हुआ है।
साथियों,
हिमाचल अवसरों का प्रदेश है और मैं जयराम जी को और एक बधाई देता हूँ। वैक्सीनेशन का काम तो पूरे देश में चल रहा है, लेकिन आपकी ज़िन्दगी की सुरक्षा के लिए हिमाचल देश का वह पहला प्रदेश है, जिसने शत-प्रतिशत वैक्सीनेशन का काम पूरा कर लिया है। होती है, चलती है, वाला मामला नहीं, ठान लिया है तो करके रहना है।
यहाँ बिजली पैदा होती है हाइड्रो से, फल-सब्ज़ी के लिए उपजाऊ ज़मीन है और रोज़गार के अनंत अवसर देने वाला पर्यटन यहाँ पर है। इन अवसरों के सामने बेहतर कनेक्टिविटी का अभाव सबसे बड़ी रुकावट थी। २०१४ के बाद से हिमाचल प्रदेश में बेहतरीन इंफ्रास्ट्रक्चर गांव-गांव तक पहुँचाने का प्रयास हो रहा है। आज हिमाचल की सड़कों को चौड़ा करने का काम भी चारों तरफ़ चल रहा है। हिमाचल में इस समय कनेक्टिविटी के कामों पर लगभग ५० हज़ार करोड़ रुपए ख़र्च किए जा रहे हैं। पिंजौर से नालागढ़ हाईवे के फोरलेन का काम जब पूरा हो जाएगा, तब औद्योगिक क्षेत्र नालागढ़ और बद्दी को तो लाभ होगा ही, चंडीगढ़ और अम्बाला से बिलासपुर, मण्डी और मनाली की तरफ़ जाने वाले यात्रियों को भी सुविधा बढ़ने वाली है। यही नहीं, हिमाचल के लोगों को घुमावदार रास्तों से मुक्ति दिलाने के लिए सुरंगों का जाल भी बिछाया जा रहा है।
साथियों,
डिजिटल कनेक्टिविटी को लेकर भी हिमाचल में अभूतपूर्व काम हुआ है। पिछले ८ वर्षों में मेड इन इंडिया मोबाइल फ़ोन सस्ते भी हुए और गांव-गांव में नेटवर्क भी पहुँचा है। बेहतर ४G कनेक्टिविटी के कारण हिमाचल प्रदेश डिजिटल लेनदेन में भी बहुत तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। डिजिटल इंडिया का सबसे अधिक लाभ सबसे अधिक किसी को हो रहा है तो मेरे हिमाचल के भाइयों-बहनों को हो रहा है, मेरे हिमाचल के नागरिकों को हो रहा है। वरना बिल भरने से लेकर बैंक से जुड़े काम हों, एडमिशन हो, एप्लीकेशन हो, ऐसे हर छोटे-छोटे काम के लिए पहाड़ से नीचे उतर करके दफ्तरों में जाना, एक-एक दिन लगता था, कभी रात को रुकना पड़ता था। अब तो देश में पहली बार मेड इन इंडिया ५G सेवाएँ भी शुरू हो चुकी हैं, जिसका लाभ हिमाचल को भी बहुत जल्दी मिलने वाला है।
भारत ने ड्रोन को लेकर जो नियम बनाये, बदले हैं, उसके बाद और मैं हिमाचल को इसके लिए भी बधाई देता हूँ, देश में सबसे पहला राज्य हिमाचल है, जिसने राज्य की ड्रोन पॉलिसी बनाई है। अब ड्रोन से ट्रांसपोर्टेशन के लिए ड्रोन का इस्तेमाल बहुत ज़्यादा बढ़ने वाला है और इसमें किन्नौर तक के हमारे अगर आलू भी हैं, तो हम वहाँ से ड्रोन से उठा करके बड़ी मंडी में तुरंत ला सकते हैं। हमारे फल खराब हो जाते थे, ड्रोन से उठा करके ला सकते हैं। अनेक प्रकार के लाभ आने वाले दिनों में होने वाले हैं। इसी प्रकार का विकास, जिससे हर नागरिक की सुविधा बढ़े, हर नागरिक समृद्धि से जुड़े, इसके लिए हम प्रयासरत हैं। यही विकसित भारत, विकसित हिमाचल प्रदेश के संकल्प को सिद्ध करेगा।
मुझे ख़ुशी है विजयादशमी के पावन पर्व पर विजय नाद करने का अवसर मिला और मुझे रणसिंहा फूंक करके विजय का आगाज करने का अवसर मिला और यह सब आप सबके इतने आशीर्वाद के बीच करने का अवसर मिला। मैं फिर एक बार एम्स सहित सभी विकास परियोजनाओं के लिए आप लोगों को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। दोनों मुट्ठी बंद करके मेरे साथ बोलिए-
भारत माता की–जय। पूरी ताकत से आवाज़ चाहिए-
भारत माता की–जय
भारत माता की–जय
भारत माता की–जय
बहुत-बहुत धन्यवाद!
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