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बस तारीख महीना साल नहीं, हाल बदलना है
बस कैलेंडर ही नहीं साल बदलना है।
जीने का कुछ अंदाज ख्याल बदलना है।।
नई पीढ़ी सौंप कर जानी विरासत अच्छी।
दुनिया का यह बदहाल हाल बदलना है।।
2
हर समस्या का कुछ निदान पाना है।
जन – जन जीवन को आसान बनाना है।।
बदलनी है समाज की सूरत और सीरत।
हर दिल से हर दिल का तार जुड़ाना है।।
3
शत्रु के नापाक इरादों पर भी काबू पाना है।
उन्हें ध्वस्त करना खुद को मजबूत बनाना है।।
दुनिया को देना है विश्व गुरु भारत का पैगाम।
शांति का संदेश सम्पूर्ण संसार में फैलाना है।।
4
वसुधैव कुटुंबकम् सा यह संसार बनाना है।
मानवता का सबको ही प्रण दिलाना है।।
नर नारायण सेवा का भाव जगाना मानव में।
इस धरा को ही स्वर्ग से भी सुंदर बनाना है।।
5
जीवन शैली खान पान का रखना है ध्यान।
आचरण वाणी को भी करना है मधु समान।।
प्रगति और प्रकृति मध्य रखना अपनत्व भाव।
विविधता में एकता को बनना है अभियान।।
6
माला में हर गिर गया मोती अब पिरोना है।
अब हर टूटा छूटा रिश्ता पाना खोना है।।
आंख में आंसू नहीं आए किसी का दर्दों-गम में।
हर कंटीली राह पर फूलों को बिछौना है।।
नया वर्ष नया अवसर जीवन का हर रंग ढंग बदलने का
1
अगर आगाज अच्छा है तो अंजाम भी अच्छा होगा।
नए साल पच्चीस में फिर हर काम अच्छा होगा।।
भूल के अतीत को जरूरत गलत सोच बदलने की।
अगर चल पड़े राह सही तो हर पैगाम अच्छा होगा।।
2
बढ़ सको भर सको तुम अगर हौंसलों की उड़ान।
लगने लगेगा तुम्हें यह भी छोटा ऊंचा आसमान।।
वर्ष दो हजार पच्चीस बन सकता मील का पत्थर।
सोचो तो और पूरे भी करो अपने सारे अरमान।।
3
नया साल किस्मत के हर धागे बदल सकता है।
नया साल नई बात और इरादे बदल सकता है।।
जरूरत बस नए ढंग नए दृष्टिकोण से करने की।
निश्चय दोहजार पच्चीस के हर दावे बदल सकता है।।
4
वर्ष दो हजार पच्चीस हर बदरंग बदल सकता है।
कोशिश से दुनिया की हर जंग बदल सकता है।।
बस खाली दिन तारीख महीना कलैंडर ही नहीं।
नई उमंग सोच नया विधान हर रंग बदल सकता है।।
कोई नकली सी दुनिया बसा ली अब हमने
1
हम सब ने ही अब बतियाना, छोड़ दिया है।
अब वैसा याराना निभाना, छोड़ दिया है।।
छोड़ दिया है बिना कुंडी, बजाए आ जाना।
निकल के पास से आंखें, मिलाना छोड़ दिया है।।
2
आंगन धूप में अब, बैठ जाना छोड़ दिया है।
यूं ही दुआ सलाम, का बहाना छोड़ दिया है।।
छोड़ दिया करना हमनें, चरण स्पर्श बड़ों का।
पड़ोसी धर्म भी निभाना, अब छोड़ दिया है।।
3
बच्चों को अब संस्कार, सिखाना छोड़ दिया है।
लोरी गाकर बच्चों को, सुलाना छोड़ दिया है।।
हर बाल बच्चे के हाथ में, मोबाइल दिया है थमा।
बच्चों ने मां बाप से, डर जाना छोड़ दिया है।।
4
अब सुबह जल्दी उठ जाना छोड़ दिया है।
मंदिर रोज हाथ जोड़ के, आना छोड़ दिया है।।
फास्ट फूड अब पसंद, हो गए हमारी पहली।
रविवार घर पर खाना, बनाना छोड़ दिया है।।
5
हमने बेवजह अब गले, लगाना छोड़ दिया है।
गलत हर छोटी बड़ी बात, भुलाना छोड़ दिया है।।
बदल के रख दिए हैं सब, तौर तरीके जमाने के।
दिल से अब मेहमानों को, बुलाना छोड़ दिया है।।
6
घर आंगन में तुलसी का लगाना, छोड़ दिया है।
बिन तोल मोल के रिश्ते, निभाना छोड़ दिया है।।
अब हम देख कर भी बस, मन ही मन मुस्काते हैं।
अब हमने मुस्करा कर, पास जाना छोड़ दिया है।।
यह छोटी सी जिंदगी प्रेम के लिए भी कम है
1
ज्ञान बुद्धि विनम्रता आपके आभूषण हैं।
सत्यवादिता प्रभु आस्था आपके भूषण हैं।।
मत राग द्वेष कुभावना को वरण करना।
ईर्ष्या और घृणा तो कुमति और दूषण हैं।।
2
आत्मविश्वास से खुलती सफल राह है।
सब कुछ संभव यदि जीतने की चाह है।।
व्यवहार कुशलता बनती उन्नति साधक।
बाधक बनती हमारी नफरतऔर डाह है।।
3
मत पालो क्रोध ये प्रतिशोध बन जाता है।
मनुष्य स्वयं जलता औरों को जलाता है।।
प्रतिशोध काअंत पश्चाताप से ही है होता।
कभी व्यक्ति प्रायश्चित भी नहीं कर पाता है।।
4
विचार आदतों से चरित्र का निर्माण होता है।
इसीसे बनताआपका व्यक्तित्व प्राण होता है।।
तभी बनती हैआपकी लोगों के दिल में जगह।
गलत राह केवल दुष्चरित्र का परिणाम होता है।।
5
बस छोटी सी जिंदगी प्रेम के लिए भी कम है।
नफरत बन जाती यूं लोहे की जंग है।।
बदला लेने में बर्बाद नहीं करें अपने वक्त को।
आपकी सही राह ही लाएगी सफलता का रंग है।।
ऐ जिंदगी तेरा अभी कुछ कर्ज़ चुकाना बाकी है
1
जिंदगीअभी चल कि प्रभु कर्ज चुकाना बाकी है।
किसी पराए का भी कुछ दर्द मिटाना बाकी है।।
रिश्तों की तुरपाई करनी है वैसी ही मिल कर।
ईश्वर के शुकराने में भी सिर झुकाना बाकी है।।
2
किसी के उदर कीआग अभी बुझाना बाकी है।
नई-नई पीढ़ी को भी सही राह सुझाना बाकी है।।
बहुत ही काम कर लिया जीवन के इस सफर में।
लेकिन फिर भी कुछ नया करके दिखाना बाकी है।।
3
जीवन की राहों में गाँठे अभी सुलझाना बाकी है।
हँसते-हँसते हुए अभी रूठना मनाना बाकी है।।
छूट गया जो भी जीवन की लंबी सी दौड़ में।
तिनका-तिनका जोड़ कर उसको जुटाना बाकी है।।
4
दिल की अधूरी बात अभी सबको सुनाना बाकी है।
किसी रोते हुए को भी हमें अभी हँसाना बाकी है।।
जो मिली अनमोल वरदान सी यह एक जिंदगी।
उस जिंदगी का रह गया फ़र्ज़ अभी निभाना बाकी है।।
हिंदी भाषा जैसे कोई राजदुलारी है
1
हिंदी लगती बड़ी ही प्यारी है।
हिंदी सारे जग से न्यारी है।।
विश्व में हिंदी का परचम लहराए।
हिंदी भाषा जैसे राजदुलारी है।।
2
चहुँ ओर ही हिंदी का गुणगान है।
यह भाषा तो बहुत ही महान है।।
ज्ञान विज्ञान वेद शास्त्र संस्कृति।
यह भाषा मानो रत्नों की खान है।।
3
बहुत मीठी सी यह एक बोली है।
कभी कठोर सी भी और भोली है।।
बात उतर जाती है सीधी दिल में।
मानो कि कोई मिश्री की गोली है।।
4
भारत ही नहीं विश्व की भाषा है।
आपसी प्रेम को दी नई आशा है।।
हिंदी मात्र भाषा नहीं है मातृ भाषा।
विविधता में एकता की परिभाषा है।।
5
जोड़कर रखा भारत को एक सूत्र में।
बना कर रखा है इसे शुभ मुहूर्त में।।
हिंदी में ही भारत पहचान निहित।
भारत का उत्थान निहित हिंदी गोत्र में।।
6
कला संस्कृति की जननी को प्रणाम है।
हर प्रदेश की एकता में छिपा नाम है।।
राजभाषा नहीं राष्ट्रभाषा स्थान मिले।
इसी में अंतर्निहित हिंदी का सम्मान है।।
हमारी मातृ भाषा हिन्दी
1
हिन्दी में भरा रस माधुर्य
कवित्व और मल्हार है।
हिन्दी में भाव और संवेदना
अभिव्यक्ति भी अपार है।।
हिन्दी में ज्ञान और विज्ञान
दर्शन का अद्धभुत समावेश।
हिन्दी भारत का विश्व को
कोई अनमोल उपहार है।।
2
बस एक हिन्दी दिवस नहीं
हर दिन हो हिन्दी का दिन।
विज्ञान की भाषा भी हिन्दी
ज्ञान तो है नहीं हिन्दी बिन।।
मातृ भाषा , राज भाषा हिन्दी
है उच्च सम्मान की अधिकारी।
तभी राष्ट्र करेगा सच्ची उन्नति
कार्यभाषा हिंदी हो हर पलछिन।।
3
मातृ भाषा का दमन नहीं
हमें करना होगा नमन।
पुरातन मूल्य संस्कारों की
ओर करना होगा गमन।।
बनेगी तभी भारत वाटिका
अनुपम अतुल्य अद्धभुत।
जब देश में हर ओर बिखरा
होगा हिन्दी का चमन।।
4
हिन्दी का सम्मान ही तो
देश का गौरव गान बनेगा।
मातृ भाषा के उच्च पद से
ही राष्ट्र का मान बढेगा।।
हिन्दी तभी बन पायेगी
भारत मस्तक की बिन्दी।
जब राष्ट्र भाषा का ये रंग
हर किसी मन पर चढ़ेगा।।
हिंदी हिन्द की बन चुकी पहचान है
1
सरल सहज सुगम भाषा
वो बोली हिंदी है।
सौम्य और सुबोध आशा
वो बोली हिंदी है।।
आत्मीय अभिव्यक्ति है
उसका प्राण।
सुंदर और सभ्य परिभाषा
वो बोली हिंदी है।।
2
संस्कृति संस्कार की वो
एक फुलवारी है।
हिंदी बहुत मधुर भाषा वो
तो जग से न्यारी है।।
भारत लाडली वीरता
की है गौरवगाथा।
हिंदी ह्रदय की वाणी वो
बहुत ही प्यारी है।।
3
भारत जन जन की भाषा
हिंदी बहुत दुलारी है।
मन मस्तिष्क की बोली
भारत की लाली है।।
हो रहा सम्पूर्ण विश्व में
हिंदी मान सम्मान।
हिंदी में ही निहित भारत
की खुशहाली है।।
4
हिंदी हिन्द की बन चुकी
पहचान है।
सम्पूर्ण विश्व में हिंदी से ही
गौरव गान है।।
एकता की डोर नैतिकता
का है सूत्र हिंदी।
हिंदी से ही विश्व में भारत
की आज शान है।।
एस के कपूर “श्री हंस”
बरेली
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