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वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से झंडी दिखाकर रवाना किया
- “वंदे भारत एक्सप्रेस, एक तरह से तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की साझा संस्कृति और विरासत को जोड़ने वाली है”
- “वंदे भारत एक्सप्रेस का अर्थ-भारत हर चीज में सबसे अच्छा चाहता है”
- “वंदे भारत ट्रेन नए भारत के संकल्पों और सामर्थ्य का प्रतीक है”
- “कनेक्टिविटी से जुड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर दो जगहों को ही नहीं जोड़ता, बल्कि यह सपनों को हक़ीक़त से जोड़ता है और सबका विकास सुनिश्चित करता है”
- “जहाँ गति है, वहाँ प्रगति है; जब भी प्रगति होती है समृद्धि सुनिश्चित होती है”
- “पिछले ७-८ वर्षों में किए गए कार्य आने वाले ७-८ वर्षों में भारतीय रेलवे को बदल देंगे”
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सिकंदराबाद को विशाखापट्टनम से जोड़ने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को झंडी दिखाकर रवाना किया। यह ट्रेन भारतीय रेलवे द्वारा शुरू की जाने वाली आठवीं वंदे भारत एक्सप्रेस होगी और लगभग ७०० किमी की दूरी तय करते हुए दो तेलुगु भाषी राज्यों तेलंगाना और आंध्र प्रदेश को जोड़ने वाली पहली ट्रेन होगी। आंध्र प्रदेश में विशाखापट्टनम, राजमुंदरी और विजयवाड़ा स्टेशनों पर तथा तेलंगाना में खम्मम, वारंगल और सिकंदराबाद स्टेशनों पर इसका ठहराव होगा।
सभा को सम्बोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने उत्सवों के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि इस शुभ वातावरण में, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश को वंदे भारत एक्सप्रेस के रूप में एक भव्य उपहार मिल रहा है, जो एक तरह से तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की साझा संस्कृति और विरासत को जोड़ने वाली है। उन्होंने इस अवसर पर दोनों राज्यों के लोगों को बधाई दी। उन्होंने सेना दिवस पर सशस्त्र बलों को भी बधाई दी। श्री मोदी ने कहा कि देश की रक्षा में, देश की सीमाओं की रक्षा में भारतीय सेना का योगदान, भारतीय सेना का शौर्य अतुलनीय है।
प्रधानमंत्री ने देश के सभी हिस्सों को जोड़ने वाले उत्सवों के संदर्भ को जारी रखते हुए कहा कि भारतीय रेल देश के कोने-कोने से जुड़ती है और देश के विभिन्न हिस्सों को एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना से समझने, जानने तथा जोड़ने का अवसर प्रदान करती है।
प्रधानमंत्री ने बताया कि वंदे भारत एक्सप्रेस से श्रद्धालुओं और पर्यटकों को बहुत लाभ होगा तथा इस ट्रेन से सिकंदराबाद और विशाखापट्टनम के बीच लगने वाला समय भी अब कम हो जाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा, “वंदे भारत ट्रेन की एक और विशेषता है। यह ट्रेन, नए भारत के संकल्पों और सामर्थ्य का प्रतीक है।” श्री मोदी ने ज़ोर देकर कहा, “यह उस भारत का प्रतीक है, जो तेज बदलाव के रास्ते पर है।” प्रधानमंत्री ने कहा, “ऐसा भारत, जो अपने सपनों, अपनी आकांक्षाओं को लेकर अधीर है। ऐसा भारत, जो तेजी से चलकर अपने लक्ष्य तक पहुँचना चाहता है। वंदे भारत एक्सप्रेस, उस भारत का प्रतीक है, जो अपने हर नागरिक को बेहतर सुविधाएँ देना चाहता है।” प्रधानमंत्री ने कहा, “वंदे भारत एक्सप्रेस, उस भारत का प्रतीक है, जो गुलामी की मानसिकता से बाहर निकलकर, आत्मनिर्भरता की तरफ़ बढ़ रहा है।”
प्रधानमंत्री ने वंदे भारत ट्रेनों के सम्बंध में हो रहे काम की गति के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि इस वर्ष १५ दिनों के भीतर दूसरी वंदे भारत शुरू हो जाएगी और यह जमीनी स्तर पर परिवर्तन की गति को दर्शाती है। उन्होंने वंदे भारत ट्रेनों की स्वदेशी विशेषता और लोगों के मन में उनके प्रभाव एवं गर्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि ७ वंदे भारत ट्रेनों ने कुल मिलाकर पृथ्वी के ५८ चक्कर लगाने के बराबर २३ लाख किलोमीटर की दूरी तय की है। उन्होंने कहा कि वंदे भारत ट्रेनों में अब तक ४० लाख से अधिक यात्री सफ़र कर चुके हैं।
प्रधानमंत्री ने कनेक्टिविटी और गति के बीच सीधा सम्बंध और ‘सबका विकास’ के साथ उसके जुड़ाव के बारे में बताया। उन्होंने कहा, “कनेक्टिविटी से जुड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर दो जगहों को ही नहीं जोड़ता, बल्कि यह सपनों को हक़ीक़त से जोड़ता है। यह मैन्युफैक्चरिंग को मार्केट से जोड़ता है, टैलेंट को उचित प्लेटफार्म से जोड़ता है। कनेक्टिविटी अपने साथ विकास की संभावनाओं का विस्तार करती है।” उन्होंने कहा, “जहाँ गति है, वहाँ प्रगति है। जब भी प्रगति होती है, समृद्धि सुनिश्चित होती है।”
प्रधानमंत्री ने उस समय को याद किया जब आधुनिक कनेक्टिविटी का लाभ कुछ चुनिंदा लोगों तक ही सीमित था और आबादी का बड़ा हिस्सा महंगे परिवहन से बहुत समय बर्बाद कर रहा था। वंदे भारत ट्रेन उस सोच को पीछे छोड़कर सभी को गति और प्रगति से जोड़ने की दृष्टि के परिवर्तन की मिसाल है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि बहानेबाजी और रेलवे की खराब छवि और निराशाजनक स्थिति के लिए एक घातक दृष्टिकोण तब बदल गया जब अच्छे और ईमानदार इरादों के साथ इन समस्याओं का समाधान किया गया और पिछले आठ वर्षों में, यही वह मंत्र है जिसने भारतीय रेल को बदल दिया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारतीय रेल में यात्रा करना एक सुखद अनुभव बन रहा है और देश के कई रेलवे स्टेशन ऐसे हैं, जहाँ अब आधुनिक होते भारत की तस्वीर दिखती है। उन्होंने कहा, “पिछले ७-८ वर्षों में किए गए कार्य आने वाले ७-८ वर्षों में भारतीय रेलवे को बदल देंगे।” श्री मोदी ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विस्टाडोम कोच और हेरिटेज ट्रेन, कृषि उपज को दूर-दराज के बाजारों तक ले जाने के लिए किसान रेल, २ दर्जन से अधिक शहरों में मेट्रो नेटवर्क और भविष्य की रैपिड रेल ट्रांजिट प्रणाली तेजी से उभर रही है जैसे उपायों पर विस्तार से बताया।
प्रधानमंत्री ने पिछले ८ वर्षों में तेलंगाना में रेलवे के सम्बंध में किए गए असाधारण कार्यों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि २०१४ से ८ साल पहले तेलंगाना में रेलवे के लिए २५० करोड़ रुपये से कम का बजट था, लेकिन आज यह बढ़कर ३००० करोड़ रुपये हो गया है। उन्होंने बताया कि मेडक जैसे तेलंगाना के कई इलाके अब पहली बार रेल सेवा से जुड़े हैं। उन्होंने यह भी कहा कि २०१४ से पहले ८ वर्षों में तेलंगाना में १२५ किलोमीटर से कम नई रेल लाइनें बनाई गईं, जबकि पिछले वर्षों में तेलंगाना में लगभग ३२५ किलोमीटर नई रेल लाइनें बनाई गईं। उन्होंने यह भी बताया कि तेलंगाना में २५० किलोमीटर से अधिक की ‘ट्रैक मल्टी-ट्रैकिंग’ का काम भी किया गया है और कहा कि इस विद्युतीकरण अवधि के दौरान राज्य में रेलवे पटरियों का विद्युतीकरण ३ गुना बढ़ गया है। प्रधानमंत्री ने कहा, “बहुत जल्द हम तेलंगाना में सभी ब्रॉड गेज मार्गों पर विद्युतीकरण का काम पूरा करने जा रहे हैं।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि वंदे भारत एक छोर से आंध्र प्रदेश से भी जुड़ा हुआ है और बताया कि केंद्र सरकार आंध्र प्रदेश में रेल नेटवर्क को मज़बूत करने के लिए लगातार काम कर रही है। ईज ऑफ लिविंग के साथ-साथ ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार के प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले वर्षों में, आंध्र प्रदेश में ३५० किलोमीटर नई रेलवे लाइनों और लगभग ८०० किलोमीटर मल्टी-ट्रैकिंग का निर्माण किया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि २०१४ से पहले पिछली सरकार के दौरान आंध्र प्रदेश में सालाना केवल ६० किलोमीटर रेलवे ट्रैक का विद्युतीकरण किया गया था और यह गति अब बढ़कर सालाना २२० किलोमीटर से अधिक हो गई है।
सम्बोधन का समापन करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा, “गति और प्रगति की यह प्रक्रिया इसी तरह जारी रहेगी” और तेलंगाना तथा आंध्र प्रदेश के लिए वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को लेकर सभी को बधाई दी। इस अवसर पर राज्यपाल सुश्री तमिलिसाई सुंदरराजन, केंद्रीय मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव, श्री जी किशन रेड्डी, राज्य के मंत्री और संसद सदस्य उपस्थित थे।
पृष्ठभूमि
यह भारतीय रेलवे द्वारा शुरू की जाने वाली आठवीं और तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के दो तेलुगु भाषी राज्यों को जोड़ने वाली पहली वंदे भारत एक्सप्रेस है, जो लगभग ७०० किमी की दूरी तय करती है। सिकंदराबाद से विशाखापट्टनम की यात्रा का समय साढ़े १२ घंटे से घटाकर साढ़े आठ घंटे कर दिया जाएगा। आंध्र प्रदेश में विशाखापट्टनम, राजमुंदरी और विजयवाड़ा स्टेशनों पर और तेलंगाना में खम्मम, वारंगल और सिकंदराबाद स्टेशनों पर इसका ठहराव होगा।
वंदे भारत एक्सप्रेस का स्वदेशी रूप से डिजाइन किया गया ट्रेन सेट अत्याधुनिक यात्री सुविधाओं से लैस है। यह रेल उपयोगकर्ताओं को तेज, अधिक आरामदायक और अधिक सुविधाजनक यात्रा अनुभव प्रदान करेगा।
ट्रेन की शुरूआत से इस क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और यात्रा का एक आरामदायक और तेज माध्यम उपलब्ध होगा। यह देश में शुरू की जाने वाली आठवीं वंदे भारत ट्रेन होगी और पहले की तुलना में एक उन्नत है, जो बहुत हल्की है और कम अवधि में उच्च गति तक पहुँचने में सक्षम है। वंदे भारत २.० अधिक उन्नत और बेहतर सुविधाओं से लैस है, जैसे कि केवल ५२ सेकंड में ० से १०० किलोमीटर प्रति घंटे की गति और १८० किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम गति तक पहुँचना।
४३० टन के पिछले वंदे भारत ट्रेन की तुलना में उन्नत वंदे भारत एक्सप्रेस का वज़न ३९२ टन होगा। इसमें वाई-फाई कंटेंट ऑन डिमांड सुविधा भी होगी। प्रत्येक कोच में ३२”स्क्रीन हैं जो पिछले ट्रेन में २४” की तुलना में यात्रियों की जानकारी और इंफोटेनमेंट प्रदान करती हैं। वंदे भारत एक्सप्रेस पर्यावरण के अनुकूल भी होगी, क्योंकि एसी में बिजली की खपत में १५ प्रतिशत की कमी होगी। ट्रैक्शन मोटर की धूल रहित स्वच्छ एयर कूलिंग के साथ, यात्रा अधिक आरामदायक हो जाएगी। पहले केवल एक्जीक्यूटिव श्रेणी के यात्रियों को दी जाने वाली साइड रिक्लाइनर सीट की सुविधा अब सभी वर्गों के लिए उपलब्ध कराई जाएगी। एक्जीक्यूटिव कोच में १८० डिग्री घूमने वाली सीटें इसकी अतिरिक्त विशेषता है।
वंदे भारत एक्सप्रेस के नए डिजाइन में एयर प्यूरिफिकेशन के लिए रूफ-माउंटेड पैकेज यूनिट (आरएमपीयू) में फोटो-कैटेलिटिक अल्ट्रावॉयलेट एयर प्यूरीफिकेशन सिस्टम लगाया गया है। केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संगठन (सीएसआईओ) , चंडीगढ़ द्वारा की गई अनुशंसा के अनुसार, इस प्रणाली को आरएमपीयू के दोनों सिरों पर डिजाइन और स्थापित किया गया है ताकि ताजी हवा तथा वापसी हवा के माध्यम से आने वाली कीटाणुओं, बैक्टीरिया, वायरस आदि से मुक्त हवा को फिल्टर और साफ़ किया जा सके।
वंदे भारत एक्सप्रेस २.० कई रूपों में बेहतर और विमान जैसे यात्रा अनुभव प्रदान करता है। यह स्वदेशी रूप से विकसित ट्रेन टक्कर बचाव प्रणाली-कवच सहित उन्नत अत्याधुनिक सुरक्षा सुविधाओं से लैस है।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सिकंदराबाद-विशाखापत्तनम को जोड़ने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाने के अवसर पर प्रधानमंत्री के भाषण का मूल पाठ
नमस्कार, तेलंगाना की राज्यपाल डॉक्टर तमिलिसै सौंदरराजन जी, केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव जी, केंद्रीय पर्यटन मंत्री जी.किशन रेड्डी जी, तेलंगाना के मंत्री मोहम्मद महमूद अली गारू, टी श्रीनिवास यादव, संसद में मेरे साथी, मेरे मित्र बंडी संजय गारू, के लक्ष्मण गारू, अन्य सभी महानुभाव, देवियों और सज्जनों।
नमस्कारम।
उत्सवों के इस माहौल में आज तेलंगाना और आंध्र प्रदेश को एक भव्य उपहार मिल रहा है। वंदे भारत एक्सप्रेस, एक तरह से तेलंगाना और आंध्रप्रदेश की साझा संस्कृति और साझा विरासत को जोड़ने वाली है। मैं तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के लोगों को, विशेषकर इन राज्यों के मध्यम वर्ग को, निम्न मध्यम वर्ग को, उच्च् मध्यम वर्ग को वंदे भारत ट्रेन की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।
साथियों,
आज सेना दिवस भी है। हर भारतीय को अपनी सेना पर गर्व है। देश की रक्षा में, देश की सीमाओं की रक्षा में भारतीय सेना का योगदान, भारतीय सेना का शौर्य अतुलनीय है। मैं सभी सैनिकों को, पूर्व सैनिकों को, उनके परिवारों को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।
साथियों,
इस समय पोंगल, माघ बीहू, मकर संक्रांति, उत्तरायन पर्वों का भी उल्लास चारो तरफ़ नज़र आ रहा है। जैसे देश के प्रमुख दिवस, प्रमुख पर्व असेतु हिमाचल, कश्मीर से कन्याकुमारी, अटक से कटक देश को जोड़ते हैं, हमें जोड़ते हैं। एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भव्य तस्वीर हमारे मन मंदिर में प्रस्तुत करते हैं, वैसे ही वंदेभारत ट्रेन भी अपनी गति से, अपनी यात्रा से जोड़ने का, समझने का जानने का अवसर देती है। वंदेभारत एक्सप्रेस ट्रेन भी एक राष्ट्र के रूप में हमारी साझा संस्कृति, हमारी आस्था को जोड़ती है। ये जो नई ट्रेन शुरु हुई है, ये हैदराबाद, वारंगल, विजयवाड़ा और विशाखापट्टनम जैसे शहरों को जोड़ेगी। आस्था और पर्यटन से जुड़े कई महत्त्वपूर्ण स्थान इस रूट में पड़ते हैं। इसलिए वंदे भारत एक्सप्रेस से श्रद्धालुओं और पर्यटकों को भी बहुत लाभ होगा। इस ट्रेन से सिकंदराबाद और विशाखापट्टनम के बीच लगने वाला समय भी अब कम हो जाएगा।
भाइयों और बहनों,
वंदे भारत ट्रेन इसकी एक और विशेषता भी है। ये ट्रेन, नए भारत के संकल्पों और सामर्थ्य का प्रतीक है। ये उस भारत का प्रतीक है, जो तेज़ बदलाव के रास्ते पर चल पड़ा है। ऐसा भारत, जो अपने सपनों, अपनी आकांक्षाओं को लेकर अधीर है, हर हिन्दुस्तानी अधीर है। ऐसा भारत, जो तेजी से चलकर अपने लक्ष्य तक पहुँचना चाहता है। ये वंदे भारत एक्सप्रेस, उस भारत का प्रतीक है, जो सबकुछ श्रेष्ठ चाहता है, उत्तम चाहता है। ये वंदे भारत एक्सप्रेस, उस भारत का प्रतीक है, जो अपने हर नागरिक को बेहतर सुविधाएँ देना चाहता है। ये वंदे भारत एक्सप्रेस, उस भारत का प्रतीक है, जो गुलामी की मानसिकता से बाहर निकलकर, आत्मनिर्भरता की तरफ़ बढ़ रहा है।
साथियों,
आज देश में वंदे भारत को लेकर जिस तेजी से काम हो रहा है, वह भी ध्यान देने वाली बात है। ये सिकंदराबाद-विशाखापट्टनम वंदे भारत २०२३ के वर्ष की पहली ट्रेन है और आपको ख़ुशी होगी हमारे देश में १५ दिनों के भीतर ये दूसरी वंदे भारतट ट्रेन दौड़ रही है। ये दिखाता है कि भारत में कितनी तेजी से वंदे भारत अभियान पटरियों पर तेज गति से दौड़ता हुआ ज़मीन पर बदलाव को महसूस कर रहा है। वंदे भारत ट्रेन, भारत में ही डिज़ाइन हुई और भारत में ही बनी देश की ट्रेन है। इसकी रफ़्तार के कितने ही वीडियो, लोगों के दिलो-दिमाग में, सोशल मीडिया में भी पूरी तरह छाए हुए हैं। मैं एक और आंकड़ा दूंगा जो ज़रूर आप लोगों को अच्छा भी लगेगा, दिलचस्प होगा। बीते कुछ ही वर्षों में ७ वंदे भारत ट्रेनों ने कुल मिलाकर २३ लाख किलोमीटर का सफ़र पूरा किया है। ये पृथ्वी के ५८ चक्कर लगाने के बराबर है। इन ट्रेनों से अब तक ४० लाख से अधिक यात्री यात्रा कर चुके हैं। इन ट्रेनों में यात्रा करने वाले लोगों का जो समय बचता है, वह भी अनमोल है।
भाइयों और बहनों,
कनेक्टिविटी का स्पीड से और इन दोनों का, सबका विकास से सीधा सम्बंध है। कनेक्टिविटी से जुड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर दो जगहों को ही नहीं जोड़ता, बल्कि ये सपनों को हक़ीक़त से भी जोड़ता है। ये मैन्यूफैक्चरिंग को मार्केट से जोड़ता है, टैलेंट को उचित प्लेटफॉर्म से जोड़ता है। कनेक्टिविटी अपने साथ विकास की संभावनाओं का विस्तार करती है। यानी यहाँ गति है, जहां-जहाँ गति है, वहाँ प्रगति है और जब प्रगति होती है तो समृद्धि तय है। हमने वह समय भी देखा है जब हमारे यहाँ विकास और आधुनिक कनेक्टिविटी का लाभ बहुत ही कम लोगों को मिलता था। इससे देश में एक बहुत बड़ी आबादी का समय सिर्फ़ आने-जाने में, ट्रांसपोर्ट में ही ख़र्च होता था। इससे देश के सामान्य नागरिक का, देश के मध्यम वर्ग का बहुत नुक़सान होता था। आज भारत उस पुरानी सोच को पीछे रखकर आगे बढ़ रहा है। आज के भारत में सबको गति और प्रगति से जोड़ने के लिए तेजी से काम चल रहा है। वंदे भारत ट्रेन इसका एक बहुत बड़ा सबुत है, प्रतीक है।
साथियों,
जब इच्छाशक्ति होती है, तो बड़े से बड़े मुश्किल लक्ष्यों को भी पाया जा सकता है। हमने देखा है कि ८ वर्ष पहले तक किस प्रकार भारतीय रेल को लेकर निराशा ही देखने-सुनने को मिलती थी। सुस्त रफ्तार, गंदगी का अंबार, टिकट बुंकिंग से जुड़ी शिकायतें, आए दिन होती दुर्घटनाएँ, देश के लोगों ने मान लिया था कि भारतीय रेल में सुधार असंभव है। जब भी रेलवे में नए इंफ्रास्ट्रक्चर की बातें होती थीं, तो बजट के अभाव का बहाना बनाया जाता था, नुक़सान की बातें होती थीं।
लेकिन साथियों,
साफ नीयत से, ईमानदार नीयत से, हमने इस चुनौती के भी समाधान का निर्णय किया। बीते ८ वर्षों में भारतीय रेल के ट्रांसफॉर्मेशन के पीछे भी यही मंत्र है। आज भारतीय रेल में यात्रा करना एक सुखद अनुभव बन रहा है। देश के कई रेलवे स्टेशन ऐसे हैं, जहाँ अब आधुनिक होते भारत की तस्वीर नज़र आती है। बीते ७-८ वर्षों में जो कार्य हमारी सरकार ने शुरू किए हैं, वह अगले ७-८ साल में भारतीय रेलवे का कायाकल्प करने जा रहे हैं। आज टूरिज्म को प्रमोट करने के लिए विस्टाडोम कोच हैं, हैरिटेज ट्रेन हैं। किसानों की उपज को दूर-सुदूर के मार्केट तक पहुँचाने के लिए किसान रेल चलाई गई। मालगाड़ियों के लिए स्पेशल फ्रेट कॉरिडोर पर तेज़ी से काम चल रहा है। देश के शहरों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बेहतर बनाने के लिए २ दर्जन से अधिक नए शहरों में मेट्रो नेटवर्क का विस्तार हो रहा है। रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम जैसे फ्यूचरिस्टिक सिस्टम पर भी देश में तेज़ी से काम चल रहा है।
भाइयों और बहनों,
तेलंगाना में तो बीते ८ वर्षों में रेलवे को लेकर अभूतपूर्व काम हुआ है। २०१४ से पहले के ८ वर्षों में तेलंगाना में रेलवे के लिए २५० करोड़ रुपए से भी कम का बजट था। जबकि आज ये बजट बढ़कर के ३ हज़ार करोड़ रुपए तक पहुँच चुका है। मेडक जैसे तेलंगाना के अनेक क्षेत्र पहली बार रेलसेवा से जुड़े हैं। २०१४ से पहले के ८ वर्षों में तेलंगाना में सवा सौ किलोमीटर से भी कम नई रेल लाइनें बनी थीं। जबकि पिछले ८ वर्षों में हमने तेलंगाना में करीब-करीब सवा तीन सौ किलोमीटर नई रेल लाइन कंप्लीट की हैं। बीते ८ वर्षों में तेलंगाना में सवा दो सौ से ज़्यादा किलोमीटर ‘ट्रैक मल्टी ट्रैकिंग’ का काम भी किया गया है। इस दौरान तेलंगाना में रेलवे ट्रैक का बिजलीकरण ३ गुना से भी ज़्यादा हुआ है। बहुत ही जल्द हम तेलंगाना में सभी ब्रॉडगेज रूट्स पर इलेक्ट्रिफिकेशन का काम पूरा करने वाले हैं।
साथियों,
आज जो वंदेभारत चल रही है, वह एक छोर से आंध्र प्रदेश से भी जुड़ी है। आंध्र प्रदेश में रेल नेटवर्क को मज़बूत करने के लिए केंद्र सरकार निरंतर काम कर रही है। २०१४ से पहले के मुकाबले आज आंध्र प्रदेश में कई गुना तेजी से नई रेल लाइनें बिछाई जा रही हैं। बीते वर्षों में आंध्र प्रदेश में साढ़े तीन सौ किलोमीटर नई रेल लाइन बनाने और लगभग ८०० किलोमीटर मल्टी-ट्रैकिंग का काम पूरा किया गया है। पहले की सरकार के समय आंध्र में सालाना ६० किलोमीटर रेलवे ट्रैक का इलेक्ट्रिफिकेशन होता था। अब ये रफ़्तार भी बढ़कर के सालाना २२० किलोमीटर से ज़्यादा हो गई है। लोगों के लिए केंद्र सरकार के ये प्रयास, Ease of Living भी उत्तरोत्तर बढ़ा रहे हैं और Ease of Doing Business में भी वृद्धि होती है। गति और प्रगति का ये सिलसिला ऐसे ही चलता रहेगा। इसी विश्वास के साथ तेलंगाना और आंध्र प्रदेश को वंदेभारत एक्सप्रेस ट्रेन की फिर एक बार बहुत-बहुत बधाई देता हूँ, यात्रियों को शुभकामनाएँ देता हूँ। बहुत-बहुत धन्यवाद!
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