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नववर्ष-मेरा संकल्प
नववर्ष-मेरा संकल्प
बस कुछ पलों की बात है,
साल की ये आखरी रात है,
कुछ देर में ये साल जानें वाला है,
कल एक नया सवेरा आने वाला है,
नया साल, नयी उम्मीदें, एक नयी उमंग होगी,
हौंसलें होगें नये, ज़िन्दगी में नयी एक तरंग होगी,
सबक यही है बीती गलतियाँ नहीं दोहरानी है,
पूरे जोश-होश से अपनी क़लम चलानी है,
सत्य का मुझे सदा ही साथ़ देना है,
सच लिखना है और सच ही कहना है,
धर्म-जाति सभी समान है, सबको समान ही देखूगाँ,
राम हो या रहीम़ सब पर समान भाव से लिखूगाँ,
नफरत़ जो भी फैलाये, साथ़ उसका कभी ना दूँगा,
राष्ट्रप्रेम हो जिसमें हर तबगे को अपना समर्थन दूँगा,
तरक्की, तारीफें भी लिखूँगा, पतन और निंदा भी लिखूँगा,
देश-समाज जिससे उन्नति करें मैं ऐसा संदेश भी लिखूँगा,
दबाव ना सहा है ना ही कभी सहूँगा मैं,
आजाद़ रहा हूँ, आजाद़ी से ही लिखता रहूँगा मैं,
आनें वाले साल में स्वयं से यही वचन निभाना है,
स्वयं बढ़ना है अपनी कलम़ की ताकत़ को बढ़ाना है…!
साथ़ तुम्हारे
ये ज़िन्दगी खूब़सूरत हो गयी तुम्हारे आने से,
बुझा-बुझा ये दिल मुस्कुराने लगा है,
तकलीफों के बादल अब बरसते नहीं मुझ पर,
मन मेरा तेरे गीत गुनुगनाने लगा है,
साथ़ तुम्हारे हर लम्हा खुशियों भरा रहता है,
खुशियों से ये दिल चहचहाने लगा है,
खो गया था जो सुकून दुनिया को रिझाने में,
लौट कर सबकुछ वह पास आने लगा है,
एक जैसे से ही तो हैं हम दोनों,
दुनियाँ को भी अब समझ आने लगा है,
सबकुछ बदला-बदला नज़र आ रहा है,
वक्त ये उनको भी दिखाने लगा है,
एक बात बताऊँ सब ही तो आसान हो गया है,
साथ़ हमारा मुश्किलों को हराने लगा है,
सफ़र ये मजेदाऱ हो चला है साथ़ तुम्हारे,
ये सफ़र अब ख्वाब़-सा नज़र आने लगा है,
ख़ुशनुमा हो गयी है मेरी हर सुबह-ओ-शाम,
मेरा इश्क़ इबाद़त नज़र आने लगा है,
ख्वाब़ सारे हकीकत़ हो चले हैं,
रंग चाहत़ का नज़र आने लगा है,
ये ज़िन्दगी खूब़सूरत हो गयी तुम्हारे आने से,
बुझा-बुझा ये दिल मुस्कुराने लगा है,
तकलीफों के बादल़ अब बरसते नहीं मुझ पर,
मन मेरा तेरे गीत गुनुगनाने लगा है,
वरूण राज ढलौत्रा
सहारनपुर (यू०पी०)
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