
women empowerment
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देश कहां है
देश कहां है फिर आज गणतंत्र दिवस आया है ।
क्या संविधान में सबको रोजगार है।
लाखों बन रहें गरीबों के घर, क्या गरीबी मिटा है। देश कहां है।
क्या बिटिया सुरक्षित है।
क्या भ्रष्टाचार कम हुआ है।
क्या स्वच्छ, भारत की राजनीति है।
क्या नये भारत का नया बयार आया है। देश कहां है।
क्या आज भी हम जी एस टी से परेशान हैं।
सरकारी कर्मचारी हैरान हैं।
मंहगाई चारों ओर छाया है।
देश कहां है।
शिक्षित बेरोज़गारी बढ़ती जा रही है।
गर्व है कि एक सो चौरालीस साल बाद प्रयागराज राज़ में महाकुंभ आया है।
नमन भारत की भुमि पुण्य है।
भारत है अध्यात्म का देश बस देश यह है।
गणतंत्र दिवस की सबको… स्वपन बोस ‘बेगाना’ की ओर से ढेरों शुभकामनाएं है।
पास होकर भी वो दूर है
पास होकर भी वो मुझसे बहुत दूर है।
मेरी मोहब्बत एक तरफा बस दर्द हैं।
जींदगी मर ,मर के जीने को मजबुर हूं।
पास होकर वो मुझसे दूर है।
अब मैं सोचता हूं वो दूर ही सही,
हर दिन दूर से उसकी एक झलक तो दीदार तो हो जाता है।
जिंदगी जीने का एक बहाना तो मिल जाता है।
मेरी मोहब्बत बस ऐसे ही मसहुर है।
पास होकर भी वो मुझसे दूर है।

पता है शादी तो मुझसे हो गई उसकी मुझसे पर मोहब्बत मुझसे नहीं।
दिल की बात है पता चल ही जाता है
मोहब्बत एक तरफा हो तो बहुत रुलाता है।
समझ नहीं आता विवाह कैसा दस्तूर है।
पास होकर भी वो मुझसे दूर है।
हर पल बस एक घुटन सा है।
कह न सके सह न सकें फिर भी बच्चों के खातिर रहना इस रिश्ते में है।
न जाने ए किसका कुसूर है।
पास होकर भी वो मुझसे दूर है।
कैसे हाले दिल उसे समझाये ,
वो तो मुझे नहीं समझती है ।
मेरी हर दुःख बस एक मज़ाक लगता है।
जिस दिन मैं मर जाऊंगा,
शायद वो दिन ही मेरी मोहब्बत की परीक्षा होगी ।
ए जिंदगी खोकर ही मुझे नई जिंदगी मिलेगी ।
भले मैं उससे बहुत दूर चलें
जाऊंगा पर वो मेरे पास होगी ।
स्वपन बोस ‘बेगाना’ कोण्डागांव
बस्तर छत्तीसगढ़
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