Table of Contents
विधवा
१)
विधवा नारी
जीवन की कहानी
होती लाचारी।
२)
होता जीवन
हर पल संकट
निर्जन वन।
३)
यौवन आस
ना रंग रूप पास
अबुज प्यास।
४)
तप्त हृदय
लिपटा श्वेत वस्त्र
विधवा हाय।
५)
कपटी जग
देखता अवसर
लेता है ठग।
६)
जीना दूभर
जो लगाता लांछन
मन में डर।
७)
जहर पीना
समान है लगता
वैधव्य जीना।
८)
कलंक सहे
रहकर जीवित
किससे कहें।
९)
चलती लाश
बन जाता जीवन
होती हताश।
निलेश जोशी “विनायका”
भेरुलाल जोशी
बाली, पाली, राजस्थान
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