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‘दिवास्वप्न संवाद’ एवं ‘फूले हैं पलाश वन’ का हुआ विमोचन
बांदा। शैक्षिक संवाद मंच उ.प्र. द्वारा विगत दिनों लखनऊ में शिक्षक सम्मान एवं पुस्तक विमोचन समारोह में ८० से अधिक शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षा सारथी सम्मान भेंट करने के साथ ही दो साझा संग्रह ‘दिवास्वप्न संवाद’ तथा ‘फूले हैं पलाश वन’ का लोकार्पण डॉ पवनपुत्र बादल, डॉ. सुरेंद्र आर्यन, रामकिशोर पांडेय, दुर्गेश्वर राय, विनीत कुमार मिश्रा एवं प्रमोद दीक्षित मलय द्वारा किया गया।
विद्यालयों के आनंदघर बनने में पठन संस्कृति महत्त्वपूर्ण
उक्त जानकारी कार्यक्रम से लौटे बांदा जनपद के अतर्रा निवासी साहित्यकार एवं बेसिक शिक्षक प्रमोद दीक्षित मलय ने दी। उन्होंने बताया कि चारबाग, लखनऊ के पास एक होटल में राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान एवं पुस्तक विमोचन कार्यक्रम शैक्षिक संवाद मंच उ.प्र. द्वारा आयोजित किया गया था, जिसमें मुख्य अतिथि डॉ. पवनपुत्र बादल (राष्ट्रीय महामंत्री-अखिल भारतीय साहित्य परिषद, नई दिल्ली) , विशिष्ट अतिथि डॉ. सुरेंद्र आर्यन (लोककला विशेषज्ञ, देहरादून) , शैक्षिक संवाद मंच के संस्थापक एवं ‘दिवास्वप्न संवाद’ के संपादक प्रमोद दीक्षांत मलय, ‘फूले हैं पलाश वन’ के संपादक दुर्गेश्वर राय (गोरखपुर) , मंच के संरक्षक रामकिशोर पांडेय एवं अध्यक्ष विनीत कुमार मिश्रा (कानपुर देहात) की गरिमामयी उपस्थित रही। संचालन प्रीति भारती, उन्नाव द्वारा किया गया। प्रमोद मलय ने आगे बताया कि शैक्षिक संवाद मंच विद्यालयों को आनंदघर बनाने के लिए काम कर रहा है। इस कार्य में पुस्तक पढ़ने एवं लिखने की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। विमोचित साझा संग्रहों में शिक्षकों की रचनाएँ शामिल हैं। ‘दिवास्वप्न संवाद’ संग्रह में २८ शिक्षक-शिक्षिकाओं ने गिजुभाई बधेका की कृति ‘दिवास्वप्न‘ पर समीक्षात्मक पत्र लिखे हैं। भूमिका ‘शैक्षिक दख़ल’ पत्रिका के संपादक महेशचंद्र पुनेठा ने लिखी है। वहीं, ‘फूले हैं पलाश वन’ में शिक्षक एवं शिक्षिकाओं की कविताएँ शामिल की गई हैं जो होली एवं वसंत पर केंद्रित दो आनलाइन कविता पाठ सत्र में प्रस्तुत की गयी थीं। इस संग्रह का संपादन दुर्गेश्वर राय ने किया है तथा भूमिका एनसीईआरटी में पुस्तक विभाग के सह संपादक एवं बाल साहित्यकार शिव मोहन यादव ने लिखी है। दोनों संग्रह शिक्षकों की रचनात्मकता की सशक्त अभिव्यक्ति हैं जो पठनीय एवं संग्रहणीय बन पड़े हैं।
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