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काव्यगोष्ठी
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काव्यगोष्ठी का सफल आयोजन
काव्यगोष्ठी का सफल आयोजन
संस्कारधानी शहर के भँवरताल गार्डन में रविवार को काव्यगोष्टी का आयोजन किया गया, जिसमें इंदौर से पधारे तौफ़ीक़ खान ने “क़द तू क्या देखकर नापता है मिरा, आसमाँ वाले से राब्ता है मिरा, हाल ही में मुंबई से इंशाद फाउंडेशन में पढ़कर शहर का गौरव बढ़ाकर लौटे शिवम सोनी ने “तूने अश’ आर बा-क़माल दिए क्या कहूँ? धन्यवाद बैचैनी”, सतीश मिज़ाजी ने “कुछ गिले है कि जीने नहीं देते, कुछ ख़्वाब है कि मारने नहीं देते”, डॉ शशांक मोहब्बतिया ने “सबको क्या बताना चाहता है, हमको आइना दिखाना चाहता है”, दिनेश सेन “शुभ” ने “ग़म के भी नहीं रहे, ख़ुशी के भी नहीं रहे आसमाँ की बात क्या, ज़मीं के ही नहीं रहे”, एडवोकेट पूर्णजीत गुप्ता “पूर्ण” ने “पूरी दुनिया को मेहनत से अपने रोटी वह खिलाता है, अफ़सोस है कि फिर भी वह कई रात भूखा सो जाता है, शेर पढ़कर समां बाँध दिया। कार्यक्रम का सफल संचालन तौफ़ीक़ खान ने किया। कार्यक्रम में अरविंद फील एवं अन्य साहित्यप्रेमी उपस्थित रहे।
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