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ब्रेकिंग न्यूज़
- उन्होंने कहा कि पेट्रोरसायन उद्योग में अधिक से अधिक अनुसंधान एवं विकास प्रयासों की ज़रूरत है
- श्री नायडू ने पेट्रोलियम उद्योग में कुशल मानवशक्ति के अंतर को पाटने तथा उद्योग-संस्थानों में बेहतर सम्बंधों का आह्वान किया
- देश में छोटे और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की पूरी क्षमता का उपयोग करने के लिए विश्वविद्यालयों को आगे आना चाहिए: उपराष्ट्रपति
- उपराष्ट्रपति ने लोगों से अस्पताल में भर्ती होने से बचने के लिए कोविड-१९ रोधी टीके पूरी तरह से लगवाने का आग्रह किया
- उपराष्ट्रपति ने भारतीय पेट्रोलियम और ऊर्जा संस्थान (आईआईपीई) के पहले दीक्षांत समारोह को सम्बोधित किया
ब्रेकिंग न्यूज़: उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज देश की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मज़बूत अनुसंधान एवं विकास प्रयासों के माध्यम से देश में कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने का आह्वान किया। देश के ऊर्जा मिश्रण में ‘आत्मनिर्भरता’ का आह्वान करते हुए, उन्होंने पेट्रोलियम की घरेलू खोज को बढ़ाने, नवीकरणीय स्रोतों की पूरी क्षमता का उपयोग करने और ऊर्जा उद्योग में उत्कृष्टता तथा नवाचार के लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करने का सुझाव दिया।
यह देखते हुए कि भारत कच्चे तेल का दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता देश होने के बावजूद अपनी ८० प्रतिशत से अधिक ज़रूरतों के लिए आयात पर निर्भर है। उन्होंने न केवल विदेशी मुद्रा बचाने के लिए बल्कि ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भी उत्पादन बढ़ाने के महत्त्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार हाइड्रोकार्बन एक्सप्लोरेशन लाइसेंसिंग पॉलिसी (एचईएलपी) जैसे विभिन्न नीतिगत सुधारों का उद्देश्य नए तलछटी घाटियों में खोज कार्य में बढोत्तरी करना है।
उपराष्ट्रपति भारतीय पेट्रोलियम और ऊर्जा संस्थान (आईआईपीई) विशाखापत्तनम में पहले दीक्षांत समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। यह संस्थान पेट्रोलियम अनुसंधान के लिए एक समर्पित विश्वविद्यालय है और इसे २०१७ में संसद के एक अधिनियम के माध्यम से राष्ट्रीय महत्त्व के संस्थान के रूप में मान्यता दी गई थी। बढ़ी हुई ऊर्जा मांग पर जनसंख्या और औद्योगिकरण के प्रभाव को देखते हुए श्री नायडू ने कहा कि जहाँ शेष विश्व के लिए मांग की औसत दर में एक प्रतिशत से कम वृद्धि होने की उम्मीद है वहीं भारत की प्राथमिक ऊर्जा मांग २०४५ तक ३ प्रतिशत से अधिक की औसत दर से बढ़ने का अनुमान है।
इस सम्बंध में श्री नायडू ने आईआईपीई और अन्य ऊर्जा संस्थानों से पेट्रोलियम क्षेत्र के लिए कुशल मानवशक्ति की आपूर्ति के अंतर को पाटने और प्रख्यात बाज़ार दिग्गजों के साथ बेहतर उद्योग-संस्थान सम्बंधों का निर्माण करने का आह्वान किया। उन्होंने पीएचडी छात्रों को उद्योग के सामने आ रही समस्याओं के बारे में अनुसंधान करने के बारे में प्रोत्साहित करने का सुझाव दिया। इससे ‘ अकादमिक अनुसंधान में एक बहुविषयी दृष्टिकोण आएगा जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति २०२० का उद्देश्य है।
यह देखते हुए कि भारत में सौर, पवन और ज्वारीय ऊर्जा जैसे पर्याप्त नवीकरणीय स्रोत उपलब्ध हैं, उपराष्ट्रपति ने जीवाश्म ईंधन के उपयोग को कम करने के प्रयासों के हिस्से के रूप में ऊर्जा के इन स्रोतों की क्षमता का पूरी तरह उपयोग करने का सुझाव दिया। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उन्होंने ऊर्जा में विशेषज्ञता रखने वाले संस्थानों को भी अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने के प्रयास करने चाहिए और ऐसी परियोजनाएँ शुरू करनी चाहिए जिनका एक घटक नवीकरणीय ऊर्जा अनुसंधान हो। हरित स्रोतों के दोहन की क्षमता में किया गया छोटा-सा सुधार भी हमारी अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी को बड़े पैमाने पर लाभ पहुँचाएगा।
उपराष्ट्रपति ने यह विश्वास जताया किया कि आईआईपीई ऊर्जा अनुसंधान के क्षेत्र में एक मिसाल बनकर आगे का मार्ग प्रशस्त करेगा। उन्होंने प्रशासन के प्रयासों की सराहना की और स्नातक छात्रों को उनकी उपलब्धियों के लिए बधाई दी। श्री नायडू ने २०१६-२० और २०१७-२१ बैच के स्वर्ण पदक विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने सावधानी बरतने और कोविड-१९ का कड़ाई से अनुपालन करने का आह्वान किया क्योंकि देश इस महामारी की तीसरी लहर से गुजर रहा है।
टीकाकरण के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने नागरिक समाज समूहों, छात्रों, चिकित्सकों और अन्य लोगों से अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचने और उन्हें टीकाकरण के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि अब यह अच्छी तरह से सिद्ध हो चुका है कि टीकाकरण ने आईसीयू सहित अस्पताल में भर्ती होने की ज़रूरत को काफ़ी हद तक कम कर दिया है। टीकाकरण वास्तव में जीवन बचा सकता है।
श्री रामेश्वर तेली, केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री, डॉ. सीदिरी अप्पाला राजू, आंध्र प्रदेश के पशुपालन और मत्स्य पालन और डेयरी विकास मंत्री, प्रो. पी.के. बनिक, अध्यक्ष बोर्ड ऑफ गवर्नर्स, आईआईपीई, प्रोफेसर वीएसआरके प्रसाद, निदेशक, आईआईपीई, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, अन्य गणमान्य व्यक्तियों और स्नातक छात्रों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।
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