Table of Contents
शंकर आँजणा को राष्ट्रीय सम्मान विवेकानंद सम्मान से नवाजा गया
बागोड़ा तहसील के नवापुरा धवेचा गाँव के निवासी शंकर आँजणा को समाज सेवा एवं साहित्य के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान देने पर शांति फाउंडेशन द्वारा विवेकानंद सम्मान २०२२ से सम्मानित किया गया| राष्ट्रीय युवा दिवस विवेकानंद जयंती पर शांति फाउंडेशन गोण्डा कार्यक्षेत्र संपूर्ण भारत के द्वारा विवेकानंद अवार्ड २०२२ कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें भारत सहित नेपाल साउथ अफ्रीका, बांग्लादेश, पिलिस्तीनी, अरब, अमीरात वह अन्य देशों से २४६ लोगों को विवेकानंद रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया व राजस्थान के जालौर जिले के नवापुरा धवेचा गाँव के शंकर आंजना को विवेकानंद रत्न पुरस्कार द्वारा सम्मानित किया गया|
शंकर आँजणा लगातार अपने लेखन से समाज को जागरूक करने का कार्य करते आ रहे हैं और सामाजिक में कार्य करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं इस कार्यक्रम मैं पदम श्री पुरुष का पुरस्कार से नवाजे गए डॉ विजय कुमार शाह महाराष्ट्, विशिष्ट अतिथि विक्रम यादव नेपाल, प्रिंस कुमार साउथ अफ्रीका, मो चौधरी बांग्लादेश, श्याम सुंदर यादव अमीरात व राजस्थान के युवा कवि शंकर आँजणा वह संस्था अध्यक्ष पिंकी देवी सचिव गया प्रसाद यादव के द्वारा विवेकानंद जयंती पर विवेकानंद रत्न पुरस्कार देकर सभी को सम्मानित किया गया|
आँजणा को साहित्य लेखन सामाजिक सरोकारों के लिए अनेक राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय समानों से नवाजा जा चुका है उम्र भले ही कम हो कार्य करने का अपने अंदर जुनून होना चाहिए यदि अपने अंदर कार्य करने का जुनून है तो हमें कोई नहीं रोक सकता यह उदाहरण आंजना ने पेश कर दिया है|
इनकी कविताएँ अनेक वेबसाइट पर व गूगल पर मिल जाती है आँजणा की अनेक रचना है पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित व अनेक अंतरराष्ट्रीय वेबसाइट पर प्रकाशित हो गई शंकर आँजणा ने कहा कि दुख में मत घबराना दोस्तों यह जग का मेला है इस दुनिया में कहीं प्रकार की भीड़ है पर उस भीड़ में हमें उड़ना अकेला है नन्हे कोमल पंख और यह गगन की दूरी यदि हम बैठ गए तो हमारे मन की अभिलाषा पूरी नहीं होगी दोस्तों इसलिए इस दुनिया में हर जगह पग-पग पर जाल बिछा कर रखा गया है|
पर उसमें दोस्तों हमको फसना नहीं है यदि उसमें फंस गए तो हम जीवन भर पछताएंगे ओर हमे अपने लक्ष्य तक पहुँचना है मन में एक ही जुनून होना चाहिए लक्ष्य वह है और वहाँ तक पहुँच ही रहूंगा क्योंकि इस दुनिया में साथ कम और पैर पीछे ज़्यादा खींचते हैं इसलिए हमें पैर संभल-संभल कर रखना चाहिए यदि हमने पैर संभल-संभल कर रखा तो हमें हराने वाला कोई नहीं हो सकता।
यह भी पढ़ें-
1 thought on “शंकर आँजणा को राष्ट्रीय सम्मान विवेकानंद सम्मान से नवाजा गया”