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142 साल बाद बीज से निकला अंकुर (Seedling sprouted after 142 years)
१४२ साल बाद बीज से निकला अंकुर (Seedling sprouted after 142 years) है न आश्चर्य की बात…लेकिन विज्ञान है तो सब संभव है…तो आइये आज के जानकारी सेक्शन में पढ़ते हैं यह रोचक और आश्चर्य जनक जानकारी… कमेन्ट बॉक्स में जरुर बताइये कि यह जानकारी आपको कैसी लगी…
करीब १४२ साल पहले बीजों को मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी में बोतलबंद करके दफना दिया गया था। अब जाकर उसमें अंकुर निकले हैं। यह दुनिया के सबसे लंबे प्रयोगों में से एक हैं। ये आज भी चल रहा है। २३ अप्रैल को १८७९ से बोतलबंद ११ बीज अंकुरित हुए हैं। इसे देखकर यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट हैरान भी हैं और खुश भी। आइए जानते हैं इतने लंबे प्रयोग के पीछे क्या मकसद है और इससे क्या हासिल होने वाला है?
मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी में बॉटनी के प्रोफेसर डॉ. डेविड लोरी २३ अप्रैल को अपने विभाग के बेसमेंट में गए. वहाँ उन्होंने चैंबर में रखे इन बोतलों को देखा तो बाहर की तरफ़ कुछ मिट्टी गिरी हुई थी। ध्यान से देखने पर इन बीजों से दो पत्ते वाले अंकुर निकले दिखाई दिए. प्रो. लोरी ने कहा कि यह एक हैरतअंगेज मौका था।
साल १८७९ में वनस्पति विज्ञानी विलियम जेम्स बील ने मिशिगन के ईस्ट लैन्सिंग इलाके और आसपास से कुछ बीज जमा किए. उन्होंने इन बीजों को बोतलों में मि्ट्टी के साथ भरकर मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी के कैंपस में एक सीक्रेट जगह पर छिपा दिया। वह सिर्फ़ ये जानना चाहते थे कि क्या इन बोतलों के बीज सालों, दशकों या सदियों बाद भी पनपेंगे या नहीं।
अप्रैल के महीने में डॉ. लोरी और उनके चार साथियों ने इन बोतलों को खोजने की कवायद शुरू की। काफ़ी खोजने के बाद उन्हें एक बोतल मिली। इन लोगों ने बोतल से मिट्टी निकालकर एक चैंबर में डाल दी। इस दौरान इन्हें मिट्टी के अंदर ११ बीज दिखाई दिए. यह देखने के लिए इसमें क्या होता है। अप्रैल के अंत और मई के शुरुआत में इन्हें मिट्टी के अंदर से अंकुर निकलते दिखाई दिए.
![Seedling sprouted](https://janbhaashahindi.com/wp-content/uploads/2022/08/Seedling-sprouted-after-142-years-1.jpeg)
हैरानी की बात ये है कि इनमें से एक छोटा पौधा विचित्र है। उसके पत्तों पर महीने रेशे और नुकीले किनारे हैं। जबकि अन्य सामान्य पौधे लग रहे हैं। प्रो. डेविड लोरी ने कहा कि रेशे और नुकीले किनारों वाले पौधे को छोड़कर बाक़ी वर्बस्कम ब्लाटारिया लग रह हैं। यह एक लंबा पौधा होता है, जिसपर फूल उगते हैं। इसे आमतौर पर मोथ मुलेन कहा जाता है।
इस प्रजाति के पौधों की शुरुआत साल १८०० में उत्तरी अमेरिका में हुई थी। ये काफ़ी लंबे समय जीवित रहते हैं। प्रो. लोरी ने बताया कि विलियम जेम्स बील ने कहा कई प्रजातियों के पौधों के बीजों को सुरक्षित रखा था। हमें बाद में जो ११ बोतलें मिली हैं, उनमें से बोतलों में वर्बस्कम टापस प्रजाति के पौधों के बीज हैं। लेकिन ये ज़्यादा विकसित नहीं हो पाए.
वर्बस्कम ब्लाटारिया के बीज ९वीं बोतल में निकला था। विलियम जेम्स बील ने वर्बस्कम ब्लाटारिया के ५० बीजों को अलग-अलग बोतलों में रखा था। हर चार या पांच दशक के बाद इन बोतलों को खोजा गया और इनमें से ज्यादातर सही तरीके से अंकुरित होते आए हैं। इनका रिकॉर्ड मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी के बॉटनी डिपार्टमेंट के रिकॉर्ड में मौजूद है।
डॉ. लोरी ने बताया कि १४२ साल के बाद जब इन बीजों को सूरज की रोशनी और गर्मी मिली तो ये नींद से जाग गए. इनमें वापस जीवन उत्पन्न करने की इच्छा जागी और देखिए अब ये बीज वापस से अंकुरित हो रहे हैं। इसका मतलब ये है कि सदियों पुराने बीज भी वापस सही परिस्थित मिलने पर पौधे का रूप ले सकते हैं।
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