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जिन्दगी की तलाश (search for life)
मैं ज़िन्दगी की तलाश (search for life) में
निकल पड़ा,
एक बार भी पीछे न मुड़ा,
रास्ते भर तजुर्बे मिले,
बटोरते चला,
रात की बेला में गिरती ओस
सुबह चमक फिर
न जाने कहाँ खो जाती
मिला तजुर्बा, जिदंगी
है, ओस माफ़िक
आसमाँ के बदलते रंगो को देखा,
मिला तजुर्बा, ज़िन्दगी है केनवास,
जहाँ दुख सुख के रंग हैं हज़ार,
कभी लगा ज़िन्दगी इक जलता दिया,
तेल खतम होते ही कभी भी बुझा,
जिंदगी अंधेरी रातों को रोशन करते तारे
कभी चमकते कभी टूट जाते
कभी रेत-सी बिखरी जाती ज़िन्दगी,
कभी धूप-सी किलक जाती जिन्दगी
मौन
शक्ति पूँज होते हैं, शब्द
पर, मौन मेंही अधिक शक्ति
जब शब्द दहाड़ते हैं,
गड़गड़ाते हैं
कड़कड़ाते हैं
मौन की सुहानी फुहार
शांत कर देती है फ़िज़ा
बदरंग दाँत दिखाते शब्द
मौन से चुप होजाते हैं
मौन कभी हारता नहीं,
वह शक्ति दर्शाता है नयनों
की भाषा से
अंगों की भंगिमा से,
तब शब्द बेमानी हो जाते हैं
शब्दो पर ज़रूरी है, नियंत्रण
अन्यथा वे जलाते हैं
रूलाते हैं,
उलझाते हैं
मौन आगे बुझाता है,
मुस्कान देता है
सुलझाता है
हारा नहीं हूँ मैं
पहियों पर सिमट गई है जिदंगी,
पर सपनों में ज़िंदा है मेरी जिदंगी,
घबराया नहीं, टूटा नहीं
हौसलों से कर ली है दोस्ती,
क्या हुआ पैर हैं नहीं, पर
दुश्मन को जीता है,
क्या हुआ, कि कुछ गम
बाजुओं में दबे हैं, पर
आँखों में रोशनियाँ तैरती हैं
मैं चाँद और सितारों से बात करता हूँ,
देश के लिये नऐ सपने गढता हूँ,
मेरे हाथों में है इतना दम
कि आसमान को छू लूँ
मुझमें है इतना विश्वास कि
अन्तर्मन में आशा दीप जलाऊँ
पहली बारिश
सद्यस्नाता इक बदली
टहल रही थी नभ में
झटकी उसने अपनी चुनरिया
धरा पर बरसात हो गई,
प्रथम वर्षा बून्दों को
उदग्रबाहु गिर—श्रृगों ने झेल लिया,
तनुवृत्त नदियों ने आतुरता से सोख लिया,
निष्पन्द जलचर थलचर जाग गये,
श्वासहीन पीत वायु
तंरगानिल में बदल गई,
उत्कंठित गौरया सुरक्त गान गाने लगी,
दिशाओं का खालीपन खो गया
आसमान का रंग बदल गया
सत्कृता पहली बरसात
देखो कैसा नवजीवन दे गई।
माँ
जब एक माँ चूल्हा जलाती है,
मानों रोज़ यज्ञ करती है,
रोज अपने एक सपने। की
आहुति देती है एक वह।
जब एक माँ आँगन बुहारती है,
तो कुछ-कुछ बुदबुदाती रहती है
और बुरी बलाओ को ढूँढ,
बुहार, बाहर फेंक देती है,
जब एक माँ पूजा करती है
अपने दोनों हाथों से आँचल
फैला, बच्चों की सलामती
की दुआ माँगती है,
जब एक माँ थककर बैठती है
बच्चों के लिये सपने बुनती रहती है
या फिर अच्छी यादों को सिलती रहती है
जिन्दगी का सफर
जिन्दगी का सफर रोके नहीं रूकता,
तो बेहतर है, हँसते हँसते काट लो,
मोड़ो से भरी है जिन्दगी
रोड़ों मेंअटकी है जिन्दगी,
हर एक मोड़ के बाद
कैसी है जिन्दगी
किसे पता?
पर रूकोगे तो नहीं,
खिलखिलाऐगी या रूलाऐगी जिन्दगी,
कभी दिन में भी स्याह अँधेरा घोलती,
कभी स्याही में भी रोशन किरण छोड़ती,
कभी दामन फूलों से भर देती है ज़िन्दगी
कभी राहों में काँटे बिछा देती है जिन्दगी,
पर सोचना ज़रूर, बहुत देती है ज़िन्दगी,
हँसी खुशी, उत्साह से सब जी ले जिन्दगी
प्रीत वाला रंग
लो बिदा हुआ हेमन्त,
बँसत का हुआ आगमन
फागुन की गलबहियाँ संग
प्रीत वाला रंग बरस गया
वसुधा का देख अनुपम श्रृंगार,
आसमान नीचे झुक गया,
उनींदे तरूओं की निद्रा टूटी,
वन में टेसु आग लगा गया
दिन तो दिन रातें भी नशीली हो गई,
मंद मंद बहती हवा अचानक बौरा गई
प्रीत के रंग होली के संग छा गये
तन और मन को पागल बना गये
हर नदी बन कालिन्दी
करें श्याम की याद
राधा संग होली खेलने
की करती फरियाद
मनोरमा पंत
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