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अंतर्मन की शक्ति (power of intuition)
अंतर्मन की शक्ति (power of intuition) मानव की होती है अपार
जिसने इसे संजो लिया उसका बेड़ा पार।
बेड़ा होगा पार, दुविधा न मन में आती
जो लक्ष्य लक्षित हो, उसे भेदित कर जाती।
लक्ष्य विजित कर मिलता उसे सम्मान
जीवन हो सफल, पाकर उच्च मुकाम।
उच्च मुकाम पहुँच कर, टिके रहना नहीं आसान
मन: शक्ति के बल पर ये लक्ष्य चढे़गा परवान।
लक्ष्य चढ़ा परवान तो गर्व न कीजिए
पाँव ज़मीं पर रहे यही ध्यान दीजिए।
ध्यान यही दिया तो जीवन सफल हो जाएगा
परिवारिक शक्ति संग स्वर्ग का आनंद आएगा।
अंतर्चक्षु
चक्षु
मन व तन दोनों से जुड़े
जिनके बिन सूना जीवन ही रहे!
अंध-महाविद्यालय के प्रांगण में
देखी मैंने सुन्दर आँखे हर चेहरे पर
पर सब में पसरा था सूनापन
और जो ढूँढ रही थी
उस बिम्ब को
जो उनकी पहचान करा दे इस जग से।
उनसे मिलना
मेरा सौभाग्य था अवश्य
जिंदगी का यह रूप देखने के लिए!
उनकी अनुभूति में
कुछ क्षण जो आँख पर पट्टी बाँधी
तो आया समझ ज़िन्दगी क्या है
बिन आँखों के जीवन
कैसा होता है?
उजाला क्या भीतर में भी होता है?
किन्तु अहसास दहला गया
जीवन आसन नहीं
कितना मुश्किल है क़दम उठा पाना।
हम गर्वीले होकर
कुदरत की इस नियामत पर
भले उपहास करें!
नयनहीन को लगी
ठोकर का दर्द समझ ना पाएँ,
भले ही उनकी पीड़ा से बचें!
किसी की मज़बूरी पर हँसना
हम आँखों वाले ही
कर पाते हैं।
नयनहीन फिर भी
अपनी लाठी और अपने उजले विश्वास सहारे
अपना मार्ग और गंतव्य ढूँढ लेगा।
पर हम तो
अपनी सतेज आँखों से
गलत पथ और दिशा चुन लेते हैं।
वे अन्तर्चक्षु से सशक्त
और हम दुर्बल हो जाते हैं।
यह विडम्बना कैसी?
नयन वाला खंडित,
विहीन होकर भी मंडित!
वह पवित्र, हम पापी।
दया सांत्वना दिखा,
नहीं महान बन पाते हैं वरन्
उनकी नज़रों में ओछे हो जाते हैं।
उन्हें सहायता नहीं,
दोस्ती चाहिए,
पैसा नहीं, प्यार चाहिए।
उन्हें चाहिए ऐसा दोस्त,
जो मन के तूफानों को शान्त कर,
अनबुझे सवालों को बुझा सके।
इस संसार का
सुंदर रूप उन्हें
दिखा सके।
मेरे अंतर्चक्षुओं ने
मेरे सोये चक्षु को जगा
सही मार्ग दिखाया।
जीवन की सार्थकता
का सही अर्थ बताया-
हिमायती बनो नहीं, हितैषी बनो;
अंगुली तो पकड़ो पर
उनको लाचार नहीं बनाओ।
उन्हे भी बराबर आने का मौका दो,
भिन्न कहकर न बिसराओ!
पापा
पापा
कहते हैं
छाया मत छूना
दुख होगा दूना
पर…
मीठी यादों का सिलसिला
जीवन में जान डालता है
गमों की परत हटा
खुशी के पल लौटाता है
फिर न देख पाऊँगी
इस दर्द को मिटा
दिल को सुकून दिलाता है।
सुधियाँ सुहानी सुरंग
हमेशा विचरण चाहूँ
जो कह नहीं पाई किसी से
अपने मन को स्वयं समझाऊँ
बी ए में फर्स्ट डीविजन आने पर
जब कहा आपने…
मेरा गरीबदास पास हो गया
बहुत गर्वित थी तब
पर आज सच में
गरीबदास…
नहीं …
ये छाया मेरा सुख है
ये यादें, मेरी ताकत है
पापा…
आपका प्यार, मुझे सबल बनाता है
आपसे मिला ज्ञान, मेरी क्षमता
आपकी बातें, मेरा भरोसा
आपका जीवन चरित्र, मेरा लक्ष्य
आपके गुण, मेरी विरासत
गुणों का प्रसार, जीवन का सार
आपका शौर्य, मेरी विद्युत शक्ति
आपकी प्रतिभा, मेरी ऊर्जा
आपका जीवन, जीने के उदाहरण
आपका पौरुष, हमारा सामर्थ्य
आपकी डाँट, शस्त्र तत्व (नहीं मिली)
आपका प्यार, हमारी साँस…
आपकी यादें, सुन्दर आस…
आपकी बेटी होना मेरा गर्व …
चंद लम्हे
चंद लम्हे
महत्त्व जाने वही
जिसे मिले
एक वरदान की तरह
परीक्षा से पहले।
चंद लम्हे
महत्त्व वही जाने
जिसे मिले
छुट्टियों के साथ
मस्ती करने को।
चंद लम्हे
महत्त्व वहीं जाने
जिन्हें मिले और
नानी के घर
रह धमाल मचाने को।
चंद लम्हे
महत्त्व वही जाने
जिसे मिला
फ्री स्टे
फाइव स्टार में रहने का।
पर…
जिंदगी से
लड़ने वालों के लिए
चंद लम्हें
वरदान।
जिंदगी से
हारे हुए इंसान के लिए
चंद लम्हें भी
अभिशाप।
समर्पण
मन का भाव
सब देना चाहे तो
है समर्पण।
ईश्वर प्रति
है श्रद्धा भाव तभी
है समपर्ण।
गर विश्वास
पति पत्नी प्रेम में
है समपर्ण।
आज्ञा पालन
गुरु सर्वोच्च स्थान
है समपर्ण।
देशभक्तों का
न्योछावर जीवन
है समपर्ण।
मात पिता की
सेवा सुश्रूषा सदा
है समपर्ण।
संस्कार लिए
कर्म हैं देश हित
है समपर्ण।
जहाँ है स्वार्थ
दिखावे का जीवन
न समर्पण।
दोगला रूप
अंदर बाहर से
न समर्पण।
दोनो तरफा
समभाव प्यार
है समर्पण।
संकल्प
संकल्प यही
करोना जंग जीतो
दृढ़ निश्चय।
वायरस है
करोना अति भारी
लड़ाई शुरु।
जीतेंगे हम
नहीं मानेंगे हार
पूरी तैयारी।
हाथों को धोना
बाहर नहीं जाना
मास्क लगाना।
दूरियाँ बना
सोशल डिस्टैंसिंग
है अपनाना।
करोना डर
मन से ही निकाल
बाहर न जा।
यह कहर
यूँ ही न डर मन
साहस रख।
योग साधक
हैं वे दृढ़ संकल्पी
भारतवासी।
अब ले लिया
अटूट संकल्प भी
जीत जाएँगे।
आत्मविश्वास
प्रभु पर विश्वास
संकल्प पूर्ण।
नासूर
कोई भी रिश्ता
यूँही नासूर नहीं बनता
कुछ हिस्से दारी हमारी अपनी भी होती है।
बड़ा आसान है
यह कह देना कि काट दो
पर क्या कभी सोचा कि नासूर क्यों बना?
रिश्ते का बनना
नासूर बन फिर रिसना
क्या प्रयास किया पहले महरम लगाने का?
रिश्ता बनता तभी है
जब दोनों तरफ़ से स्वीकीर्य हो
नासूर कहना तो बात एक तरफा हुई ना।
रिस्ते रिश्ते को
नासूर बनने से पहले ही
प्यार रूपी एमसील का जोड़ तो लगाओ।
साइंस के दौर में
जब कैंसर का इलाज़ है
तो रिश्ते का नासूर बनना कहाँ लाज़मी है?
समय रहते
यदि हो जाए तुरपाई
तो शायद रिस्ता रिश्ता न पाए नासूर।
हमराज
बदलते हैं
रंग लोग सदैव
नहीं विश्वास।
हमराज हो
अपना कोई खास
नहीं है आस।
जब भी चाहा
कोई हमराज़ हो
रंग बदला।
न करूँ आस
न ही करू विश्वास
सुदृढ़ मन।
हमराज हैं
मेरे ही प्रभु अब
नमः शिवाय।
न राज खोलें
न ही ढिंढोरा पीटें
प्रसन्न मन।
हमसफर
हमराज चाहे हों
अद्भुत प्रभु।
प्रभु से प्रीति
भवसागर पार
खुशी अपार।
वही पालक
वही पालनहार
हमराज है।
नमः शिवाय
ओम नमः शिवाय
नमः शिवाय।
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ
कहने से कुछ न होगा दोस्तो
मन से अगर इसे अपनाओ
तो हर बात बन जाये दोस्तो।
भाग्यशाली हैं जिनकी होती हैं बेटियांँ
हर घर की रौनक होती हैं बेटियाँ
इस रौनक को घर की शोभा बनाएँ
तो भ्रूण हत्या मन में क्यों आए दोस्तो।
संस्कारों की संस्कृति होती हैं बेटियाँ
हर रूप में सुघड़ होती हैं बेटियाँ
कुछ हम भी सुसंस्कृत हो जायें
तो जीवन सफल हो जाए दोस्तो।
पढ़ने का अधिकार मिलें हर बेटी को
आगे आने का आधार मिले बेटी को
कुछ ऐसी सोच पा जायें हम सब
तो हर आँगन खिल जाये दोस्तो।
साक्षी है इतिहास हमारा
किसी से कम नहीं हैं बेटियाँ
किसी भी भेदभाव की बात
तो मन में क्यों आये दोस्तो।
बेटी, बहन, पत्नी, मां, दोस्त
हर रूप में जी लेती हैं बेटियाँ
सर का ताज अगर बना लें
तो वाह! वाह! हो जाये दोस्तो।
प्रभु
मैं राधा नहीं
मीरा बाई भी नहीं
मैं तो हूँ दासी।
कैसे बनूँ मैं
मीरा जैसी दिवानी
गृहस्थ हूँ मैं।
मुँह उवाचे
ओम नमः शिवाय
नमः शिवाय।
हे महादेव
शरण हूँ तुम्हारी
नमः शिवाय।
दुखभंजन
बस तुझे मनाऊँ
नम: शिवाय।
सुबह शाम
बस जाप मैं करूँ
नम: शिवाय।
हे भोलेनाथ
सबके पाप हरो
नमः शिवाय।
हे नीलकंठ
मन को शुद्ध करो
नमः शिवाय।
मैं तो दिवानी
हर मंदिर में जपूँ
नम: शिवाय।
नमःशिवाय
ओम नमःशिवाय
नमःशिवाय।
नीरजा शर्मा
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