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पान की दुकान (Paan shop)
पान की दुकान (Paan shop): भोला एक पढ़ा लिखा बेरोजगार हैं, परिवार की आर्थिक तंगी को देखते हुए उसने बी.ए. करने के बाद नौकरी के तलास में घर से निकल गया। कि जगह आवेदन किया लेकिन उसके योग्यता के आधार पर उसे कही भी नौकरी नहीं मिला। ज़िन्दगी से निराश होने लगा था उसे यह बात बार-बार परेशान कर रही थी कि मैं इतना पढ़ाई किया लेकिन मुझे कोई काम नहीं मिल पा रहा है जिससे मैं परिवार तथा ख़ुद के दैनिक ज़रूरतों को पूरा कर सकू।
इसी उधेड़बुन में लगा हुआ था तभी एक सफेद कुर्ता पजामा पहने मुह में पान और जयघोष के बीच एक ऊँची कद काठी वाला व्यक्ति हाथ जोड़े उसके दरवाजे के सामने से गुजर रहा था। शायद किसी राजनीतिक पार्टी का कार्यकर्ता था उसे देखकर भोला के मन में एक साथ सवालों का अंबार आ गया। अब भोला ने सोच लिया भाड़ में जाये दुनिया कि हम भी नेता बनेंगे। लेकिन नेता बनने के लिए क्या करना चाहिए और कैसे करना चाहिए उसे कुछ नहीं पता था।
लेकिन पढ़ा लिखा व्यक्ति हर समस्या का समाधान ढूँढ ही। लेता है और उसके मन में एक खुरापाती विचार आया और उसने पान की दुकान खोलने का निर्णय लिया। अब पैसे तो थे नहीं तो पहुचा पंगुराम हलवाई के यह और उनसे १० हज़ार रुपये उधार लेकर पान की एक गुमटी खरीदा और शुरू हो गई भोला के पान की दुकान से उसके राजनीतिक सफ़र। भोला के पान में भले जर्दा न हो लेकिन उसके दुकान से ख़बर सौ टका पक्की मिलती थी और यही कारण है कि भोला का पान कुछ ही दिनों में पुलिस, नेता और बड़े लोगों के ज़ुबान कि पहली पसंद बन गया।
भोला रोज़ सुबह उठता और अपनी पान के पत्तो को ऐसे सहजता जैसे कोई नेता अपने चुनावी भाषण की तैयारी कर रहा हो। उसका एक तकिया कलाम था ओ भैया पान है तो जहन है और यही बात उसके पान को और स्वादिष्ट कर देती थी।
भोला धीरे-धीरे क्षेत्र में प्रसिद्ध हो चुका था और घर की आर्थिक स्थिति भी अब सुधर चुकी थी। अब भोला ने जिस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए पान का दुकान खोला था उसके ऊपर ध्यान केंद्रित करने लगा। तभी चुनाव आया और चुनाव में उसने बेजोड़ मेहनत किया तथा जनता के हृदय में अपना जगह बनाया। अपने शिक्षा और काबिलियत के दम पर सुरजपुर गाँव का सबसे कम उम्र के साथ-साथ सबसे पढ़ा लिखा प्रधान बना। आज सुरजपुर भोला के नाम से जाना जाता है और भोला उसके पान की दुकान के वज़ह से।
आज भोला भले ही बड़ा आदमी बन गया लेकिन अपनी पुराने दिनों को नहीं भुला और सुरजपुर गाँव का कोई भी निवासी शिक्षा, चिकित्सा, बिजली और पानी जैसी मुलभुल सुविधाओ से वंचित नहीं है। जिसका श्रेय सभी भोला जैसे शिक्षित और होनहार प्रधान तथा जनता सेवक को देते है। लेकिन ख़ुद भोला इन सबका श्रेय अपने पंगुराम हलवाई और अपने पान की दुकान को देता है।
मनीष कुमार तिवारी (मनी टैंगो)
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