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ऑनर किलिंग (owner killing)
owner killing: निशांत के घर से आगे की ओर एक भयावना जंगल पड़ता है और आगे का रास्ता भी उस जंगल को नहीं चीरता है। एक दिन उस निर्जन क्षेत्र से किशोरी की दर्दीले तारत्व भरी चिल्लाहट की गुंज निशांत के कानों तक पहुंचती है। ये तारतम्य जारी रहता है और डर होते हुए भी निशांत चिल्लाहट की तरफ तेजी से निकल पड़ता है।
मध्य शीत ऋतु का महीना, शाम का समय, पृथ्वी पर चारों ओर धुंध छाई हुई और जंगल के वृक्षों पर फैली लताओं के कारण घनघोर अंधेरी रात-सा वह जंगल का भीतरी दृश्य, वह जंगली जानवरों की आवाजें, कोई प्रवेश कर जाए तो अस्तित्व ही न रहे लेकिन निशांत उस दर्द भरी आवाज़ को सुनकर स्वयं को ले चलता है उस जंगल के भीतर। जैसे ही वह जंगल में प्रवेश करता है। वह उस किशोरी के चिल्लाने की दिशा का निर्धारण नहीं कर पाता है। उस आवाज़ की गूंज चारों तरफ़ फैली होती है। उसे किसी तरह का आभास तक नहीं होता है कि आवाज़ किस दिशा से आ रही है।
कुछ देर वही रूके वह आवाज़ को ग़ौर से सुनता है और एक दिशा की ओर चल पड़ता है। कुछ दूरी चलने पर वह एक वृद्ध वृक्ष से चिपकी एक युवती को देखता है। जो रास्ता बताओ, रास्ता बताओ, चिल्ला रही है। जैसे ही वह नज़दीक जाकर आवाज़ देता है। डरिए ना आप मैं आपको जंगल से बाहर ले जाऊंगा। वह पीछे मुड़कर देखती है। दर्दीले आंसुओं से भरी आंखें कुछ बयाँ कर रही होती हैं लेकिन उसका कंठ अनहोनी को बयाँ नहीं कर पाता है। हिम्मत देते हुए वह पूछता है तो वह लड़की जवाब देती है कि मैं यहाँ जंगल के ऊपर ही रास्ते से पैदल जा रही थी। जंगल को देखकर अचानक इसकी भीतरी खूबसूरती को देखने का मन हो गया और मैं इसके भीतर प्रवेश कर गई। प्रवेश करने के बाद पता चला कि मैं अपना रास्ता नहीं खोज पा रही हूँ। रास्ता खोजने का प्रयास करती हूँ तो और जटिलता से उलझ जाती हूँ।
जब वह कहता है अब आप डरिए ना मैं आपको जंगल से बाहर ले जाऊंगा। यह सुनकर अचानक से वह चहक उठती है। वह एक शब्द ना बोल पाती है। फिर वह उसे जंगल से बाहर ले आता है और अपने घर ले जाता है। बैठकर दोनों में बातचीत होती है। एक दूसरे का परिचय होता है। दोनों में संपर्क साझा होते हैं और तब तक नाश्ता तैयार हो जाता है और नाश्ता करके लड़की अपने घर को रवाना हो जाती है। इस बीच दोनों एक दूसरे को चाहने लगे थे और फिर कई बार उनकी मुलाकात होने लगी। धीरे-धीरे दोनों एक दूसरे के अटूट प्यार में लिप्त हो जाते हैं। अब वे दोनों बहुत ज़्यादा मिलने लगे थे।
धीरे धीरे उनके अटूट प्यार का लड़की के परिवार वालों को पता चल जाता है और आख़िर एक दिन ऐसा आता है कि लड़की के परिवार वालों द्वारा दोनों का ऑनर किलिंग करवा दिया जाता है और उनका प्रेम रक्त ज़मीन पर फैल जाता है। जिसका रंग आज भी उजला है।
रमेश धोरावत
गांव-कारोला, तहसील-सांचौर,
जिला-जालौर (राजस्थान)
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