Table of Contents
मुनिया (Muniya)
रात के दस बज रहे थे, ग्राम वासी गहरी नींद में सो रहे थे। रामदीन का परिवार एवं उनके सजातीय बंधु जाग रहे थे। आज रामदीन की बड़ी बेटी मुनिया (Muniya) का विवाह था। आसमान में तारे टिमटिमा रहे थे। चाँदनी रात में तालाब के पानी में चाँद दिखाई दे रहा था। पेड़, घर, झोपडी ऐसा लग रहा था मानो चित्रकार ने सजाएं हो। खेत की मड़ैया, पक्की सड़क प्राथमिक स्कूल चबूतरा अब्बू की बंधी हुई बकरिया मानो किसी का इंतजार कर रहे हों।
हलवाई गर्मा गर्म पकौड़े तल रहा था, एक चूल्हे में दाल पक रहा था। फटाके धड़ाम धड़ाम फूटने लगे। शोर सुन कर गली के कुत्ते जोर जोर से भोंक रहे थे। आसमान में छोड़े गए रॉकेट फूल बिखेर रहे थे, बैंड बाजे की आवाज ने गाँव वासियों के नींद में खलल डाला। रामदीन ने कहा हलवाई नास्ता जल्दी तैयार करो, टमाटर के भर्ते का नमक मिर्च चख लेना। तभी कानों में आवाज सुनाई दी, मुनिया के पापा कहाँ हो? अपनी पत्नी सुखरी की आवाज सुनते ही रामदीन हाँ इधर हूँ कहते हुए कदम लाँघने लगे।
अपने आँगन में पहुँचते ही सुखरी को देख कर बोला- “क्या हुआ? सुखरी- “अजी बारात आ चुकी है, स्वागत की तैयारी करो। रामदीन ने कहा- “बारात गाँव के गलियों में बैंड बाजा बजाते हुए हमारे घर तक पहुँचेगी। अभी समय है फटाके फूटने दो आज गाँव वालो को पता चले हमारी मुनिया की शादी धूम धाम से हो रही है। मंडप किनारे लगे फूल मुस्कुरा रहे थे, रंगोली पहले से बन चुके थे।
मुनिया हल्दी के रंग में एकदम गोरी लग रही थी, काका की लड़की फोटो खींच रही थी। दूल्हा यशवंत घोड़ी में चढ़ा हुआ था बाराती साथ साथ चल रहे थे। तभी यह बात कुछ लोगो को नागवार गुजरी गैर समाज के लोग दबंगई कर घोड़ी से दूल्हे को उतारने लगे। मामला आग की तरह गाँव में फैल गई। रामदीन की बेटी मुनिया को यह बात पता चलते ही उसने पुलिस को फोन कर दिया। दबंगों को पुलिस पकड़कर थाने ले गई मामला शांत होने पर बारात घर तक पहुँच गई, घोड़ी से उतरते ही दूल्हे का सत्कार किया जा रहा था। कुछ समय पश्चात बाराती नास्ते का आनंद ले रहे थे। फेरे की तैयारी हो चुकी थी, वर वधू फेरे ले रहे थे।
मंडप में सारे गिफ्ट पड़े हुए थे आलमारी, फ्रिज, दिवान, सोफा, बर्तन, दुल्हे के पिता रघुवीर के कानों में किसी बाराती ने कहा- “मोटरसायकिल दिखाई नहीं दे रहा है। रघुवीर ने शराब कुछ ज्यादा पी ली थी सुनते ही भड़क गया। रघुवीर ने कहा -“समधी जी इधर आओ, रामदीन आवाज सुनते ही झट आकर हाथ जोड़ खड़ा हो गया और कहने लगा- “क्या गलती हो गई हुजूर? दूल्हे के पिता रघुवीर ने कहा- “मोटरसायकिल नहीं दे रहे हो? शादी से पहले तो कहा था दूँगा।
रामदीन विनम्रतापूर्वक कहने लगे- “समधी जी कहा तो था पर मुनिया को पालटेक्निक कराने में कुछ कर्ज हो गया था जिसे देना पड़ा इसलिए मोटरसायकिल नहीं दे पा रहा हूँ, क्षमा चाहता हूँ। रघुवीर मोबाइल में कुछ देख रहा था, पीडीएफ फाइल डाउनलोड कर ओपन कर रहा था।पीडीएफ खोलते ही रघुवीर के आँखों में चमक आ गई वह बहुत खुश लग रहा था, एकाएक चिल्ला पड़ा अरे वाह मुनिया ने कमाल कर दिया।
सभी का ध्यान रघुवीर की तरफ आ गया। रघुवीर के पिता ने प्रश्न किया- “बेटा क्या हुआ? क्यों चिल्ला रहे हो? रघुवीर ने कहा- “मुनिया का चयन उप अभियंता के पद में हो गया है। सुनते ही रघुवीर के पिता का सर झुक गया। रामदीन खुश लग रहा था, रात कट चुकी थी मुर्गे बाँग रहे थे मुनिया की बिदाई पर घरवाले दुःखी लग रहे थे। रघुवीर ने क्षमा माँगते हुए कहा- “रामदीन माफ कर देना। बाराती और दूल्हे मुनिया को लेकर जा रहे थे। सुखिया के आँखों में आँसू तैर रहे थे।
राजकिशोर धिरही
तिलई, जांजगीर छत्तीसगढ़
यह भी पढ़ें-
१- इंतजार
1 thought on “मुनिया (Muniya)”