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अमर रहे गणतंत्र हमारा
महान त्यौहार गणतंत्र का, शुभ दिवस आया आज।
भारत माँ के जय घोष से, ख़ूब गूंजाया आज।
नमन कर रहे हैं हम सब मिल, आज उठा हुआ शीश।
शान से लहराये तिरंगा, नभ को सजाया आज।
कदम से क़दम मिला चलें सब, वीरों को करें याद।
शक्ति का है गौरव प्रदर्शन, हम ने दिखाया आज।
आजाद मुल्क के बाशिंदे, है अपना संविधान।
हम किसी से कम नहीं हैं अब, जग को मनाया आज।
सुरक्षित बनी सभी सीमायें, दुश्मन की झुकी आँख।
पर हम विश्व में शांति चाहें, वादा निभाया आज।
ज्ञान विज्ञान के हर क्षेत्र में, खेती और खलिहान।
आर्थिक विकास की यात्रा में, नाम है छाया आज।
त्याग बलिदान कुर्बानी है, प्रेम कर्म धर्म संग।
अमर रहे गणतंत्र हमारा, मंत्र यह पाया आज।
रक्षाबंधन का पावन पर्व
हमारी संस्कृति में त्यौहारों की परम्परा यंहा है
उसी में रक्षाबंधन का पावन पर्व भी तो यंहा है,
भाई-बहिन के पवित्र प्रेम और रिश्तों की बानगी
ऐसा दोनों के बीच और कोई, उत्सव कंहा है।
बहिनें बाँधती हैं प्यार के धागे भाई की कलाई पे
भाई देता बहिन को, फिर हिफाज़त की जुंबा है।
दोनों के बचपन की शरारतें मस्ती लौट आती है
जिसकी यादें उनके दिलों में सदा से ही जवां है।
माँ पिता भी विभोर है, बेटी घर पीहर आयी है
भाइयों को लगे यही सबसे, खुबसूरत शमां है।
कभी दूरियाँ भी सताती हैं उन सभी बहनों को
जिनका भाई देश प्रहरी बन, सीमा पर जंहा है।
यूँ तो रिश्ते फीके पड जाते हैं, दूरियों के साथ
पर भाई बहिन का प्रेम कभी कम हुआ कंहा है।
एक राखी बदल देती है, रूख जिंदगियों का
इतिहास में ऐसी बहुत गाथायें भी तो बयाँ है।
धरा ने बाँधी चंदा मामा को, इन्द्रधनुषी राखी
बिजली ख़ुशी से चमकी, बूंदें भी नाची वंहा है।
देवेश की तमन्ना है बहुत बहिनों का प्यार मिले
भर जाये कलाई ये हाथ, फैलादी दोनों बांह है।
जन जन के श्री राम
कण कण में रमते हैं सबके प्रभु श्री राम
हर ह्रदय में वास करें, जन-जन के श्री राम।
राजा दशरथ के अहोभाग्य घर में जन्मे राम
सरयू के लला राम, अयोध्या के कुमार राम।
चारों भाइयों की अठखेलियाँ फैली खुशियाँ
राजा दशरथ के राम, माता कौशल्या के राम,
हर ह्रदय में वास करें, जन-जन के श्री राम।
विश्वामित्र के सबसे गुणी योग्य शिष्य हैं ये
ज्ञान की खान राम, बुद्धि के भंडार राम।
राजा जनक पुत्री को, स्वयंवर में विवाहा
जानकी के प्यारे राम, परशुराम के भी राम
हर ह्रदय में वास करें, जन-जन के श्री राम।
रघुकुल रीत जो चली आई, सदा निभाई
वचन के पक्के राम, धर्म के सच्चे राम।
पितृ आज्ञा ही, सर्वोपरि ही मानी थी सदा
छोडा परिवार, राज-पाट, वो अयोध्या धाम
हर ह्रदय में वास करें, जन-जन के श्री राम।
सब कुछ त्याग, निकल पडे घने जंगलों में
केवट के स्वामी राम, शबरी के आराध्य राम,
सीता हरण का पाप, पापी रावण ने किया
संकट को हरते राम, पापों को मिटायें राम
हर ह्रदय में वास करें, जन-जन के श्री राम।
सीता माँ की खोज में, दिन रात एक किया
राजा बलि के राम, वीर हनुमान के भी राम,
बंदर, भालू, आदिवासियों की सेना बनाई
लंका पर चढाई करते हैं, सेनापति श्री राम
हर ह्रदय में वास करें, जन-जन के श्री राम।
प्रभु ने शिव स्मरण कर, राम सेतु बंधवाया
रामेश्वर के भी हैं राम, सागर के भी राम।
रावण, मेघनाथ, कुंभकर्ण का किया नाश
विभीषण ने कहा राम, रावण भी बोला राम
हर ह्रदय में वास करें, जन-जन के श्री राम।
सीता, लखन, हनुमान संग अयोध्या लौटे
भरत के भाई राम, प्रजा के भी प्रभु राम।
राम राज्य स्थापना करें मर्यादा पुरुषोत्तम
हर काल में हों राम, हर राज्य में हों राम
हर ह्रदय में वास करें, जन-जन के श्री राम।
राम जी की कृपा से हर बिगडी बन जाये
राम भक्ति से निर्विधन संपन्न होते हैं काम,
राम का आशीर्वाद सभी पर बना रहे सदा
तुलसी के हैं ये राम, वाल्मिकी के भी राम
हर ह्रदय में वास करें, जन-जन के श्री राम।
मेरे कान्हा
कन्हैया बाजे, जो तेरी बासुंरिया
सुध बुध खो बैठी, मैं बावरिया
नाचूँ मैं और नचाये, तू कान्हा
मैं तो तेरी हो गयी हूँ साँवरिया।
जमुना-सी लहरें उठें हैं, मन में
भूली बिसूरी भटकूं हूँ, वन में
मत तरसा, दरश दिखा मोहन
यूँ तो बसा है तू कण-कण में।
ना भाये मुझे मोर की कुहू कुहू
पपीहा की ना भाये पीहू पीहू
कानों में बजती है बासुंरी तेरी
अंखियन में बसता है तू ही तू।
हांडी भरके रखी है माखन की
सून लो अरज मुझ अभागन की
आजा श्याम, चुरा के सब खाजा
मेरी तो आस है तेरे दरशन की।
वृंदावन हो जाता कुंज कलवरित
पत्ता-पत्ता गाता है, मधुर गीत
सब कुछ कान्हा तू चुरा ले गया
काहे सताये लगा कर अब प्रीत।
सुन ले अरज तू, ऐ मेरे गोविन्द
कटे नहीं जीवन तूझे देखे बिन
मैं तो जोगन बस यही कहती हूँ
तुझे निहारूं हर पल हर दिन।
तू अनोखा, तेरी लीलायें अनोखी
धन्य हुआ वह जिसने यह देखी
मैं गोपी बस तूझ पर वारी जाऊँ
पार लगादे नैया इस जीवन की।
मेरा भारत है बहुत महान
मेरा भारत है बहुत महान
वीर इसके हैं सपूत जवान,
खडे हैं बन सीमा पर प्रहरी
तैयार हैं अस्त्र शस्त्र तान,
जल थल नभ के रखवाले
देश हित में न्यौछावर प्राण।
मेरा भारत है बहुत, महान
कर्मठ इसके सपूत किसान,
सर्दी गर्मी वर्षा में हैं तत्पर
खेतों में लगा देते हैं जान,
खून पसीने से धरा सींचते
भारत माँ का बढ़ाते हैं मान।
मेरा भारत है बहुत, महान
योग्य सपूत सम्भालें विज्ञान,
हर क्षेत्र में सबसे आगे हम
दुनिया माने हमारा ये ज्ञान,
औधोगिक, चिकित्सा, संचार
इन वैज्ञानिकों का अभिमान।
मेरा भारत है बहुत, महान
इसका भूगोल इसकी शान,
मुकुट, हिमालय बन गया है
सागर परछाले इसके पांव,
पूर्व से पश्चिम तक ये देखो
नदियाँ, वन, खेत, खलिहान।
मेरा भारत है बहुत, महान
अनेकता में एकता की जान
भाईचारा, सौहार्द, सम्भाव
के, हर भारतीय गाता गान,
धरमनिरपेक्ष यह राष्ट्र हमारा
यह देश हमारा है हिन्दुस्तान।
मेरा भारत है बहुत, महान
खेलों, कलाऔं से पहचान,
सर्वश्रेष्ठ संस्कृति है हमारी
यही भारत का रहा सम्मान,
विश्व गुरु और सोन चिडिया
रही सदा भारत की पहचान।
भारत के सैनिकों को नमन
देश की सीमायें नहीं बनती हैं कागच पर लकीरों से
ये तो बनती आयी है फौजियों की ही शमशीरों से,
हमारे सैनिक हैं प्रहरी, हमारे देश की सीमाऔं के
भारत है सुरक्षित-अखंड, अपने लाडले वीरों से।
अपने प्राणों की दे देते हैं आहुति माँ के चरणों में
जीना मरना है देश की खातिर रहता है वचनों में,
अजर-अमर हैं ये सभी, भारत माता के लाडले
क्या अदभुत शौर्य गाथायें इनकी गूंज है रणों में।
देश की सुरक्षा में चौकस हर क्षण और हर पल
कंहा बचेगा दुश्मन इनसे इनका है नभ-जल-थल,
कठिनतम हालातों में भी इनके हैं हौंसले बुलंद
सम्भाला है आज हमारा ताकि सुरक्षित हो कल।
सागर की लहरों को भी चीर डालते हैं ये जांबाज
आवाज से भी तेज आसमां में उडने वालों शाबास,
नदियों पहाडों मरुस्थलों सभी से करते हैं सामना
हर क़दम बढे सैनिक का वंदेमातरम है आवाज।
युद्ध में तो पूरे विश्व में, इनका ना कोई सानी है
कैसी भी हो विपदायें सबने इनकी सेवा मानी है,
बाहरी हो या आंतरिक हर सुरक्षा इनका जिम्मा
भारत का हर सैनिक वीर बहादुर अभिमानी है।
भारत की तीनों फौजों के हर सैनिक को नमन
देश आजाद रहेगा आजाद इन वीरों का अभिनन्दन,
फूल की ही नहीं अभिलाषा इनके पथ पर गिरने की
हर भारतीय इस पथ की धूल समझता है चंदन।
रंग भेद नहीं भाता
मुझे तेरा काला और तुझे मेरा गोरा रंग भाता है
हम दोनों के बीच में तो, प्रेम रंग का ही नाता है,
हम दोनों का लहू, किसी रंग का नहीं मोहताज
निकले तेरा या फिर मेरा, लहू लाल ही आता है।
मेरा यह गोरा यार, कुरबान मुझपे अपने दिल से
घर के दूध से ज्यादा, मेरी ब्लैक टी पी जाता है।
चेहरे का रंग देखकर, ये दिल नहीं जुडे हमारे
जुडता वही है, जो प्यार के रंग में ही नहाता है।
काले के बिन गोरा, गोरे के बिना काला अधूरा
सजती हैं सफेद आंखें, जब कजरा लग जाता है।
एक ही श्वेत रंग से, निकले हैं सातों रंग यंहा
इन्सान कयों फिर, मर्ज़ी से रंग बांट जाता है।
आंखे पथरा जाती हैं, सफेद बादल जाते देख
आखिर बरस कर तो, काला बादल जाता है।
काले गोरे का यह जाल बुना गया है मतलब को
मतलब है तो सत्य स्याह, झूठ सफेद हो जाता है।
चेहरे पर नकाब लगी, दिल पर नकाब लगती नहीं
काली से नजरें फेरे, गोरी पर आंखे सेंक जाता है।
काले गोरे की जंग में, क्यूं यह दुनिया उलझी है
आखिर जीवन का मूल मंत्र, यही तो समझाता है।
ये रंगो का बे-रंग खेल, नहीं समझता है ‘देवेश’
आंख की काली पुतली को, काला रंग नहीं भाता है।
तुम आओ न आओ
तुम आओ न आओ, यूं लगे कोई आया
तुम कब हो अलग मुझसे, बने तुम्हीं साया,
सपने देखे खुली आंखो से, की थी कुछ बातें
जब बातें करी ख़ुद से, तिरा ज़िक्र हि आया।
कहते हैं गीतों की दुनिया में, बसे प्यार वाले
सुर तेरे, ग़ज़ल भी तू, वही फिर मैं गाया।
इश्क वह चीज है रूसवा करदे अपने आप से
रह जाती एक यही, इश्क़ मोह, यही माया।
लोग हंसे मुझ पे, लौट आया बुद्धू घर पे
जब भी लौट के आया, नहीं तुमको पाया।
भाग के जाता था, हरेक के दुखों में ‘देवेश’
खुद के ज़ख़्म पर रखने, खुदी मरहम लाया।
मेरी पहचान
माता पिता को है शत-शत नमन, सम्मान
जिन्होंने बनाया है मुझे, अच्छा इन्सान
आज जो कुछ भी मैं हूँ, जैसा भी मैं हूँ
उन्हीं के आशीर्वाद ने दी है मुझे पहचान।
क्या है मेरी पहचान, माकूल सवाल है ये
जिंदगी की राह पर मेरे कदमों के निशान।
दिल दिमाग़ नहीं बंटे हैं मेरे धर्म, जाति पर
सबसे पहले मैं हिंदुस्तानी, मेरा हिंदुस्तान।
उठती है बात दिल में, लिखता कागच पर
तारीफों का मुझे कभी नहीं, रहा गुमान।
जो दिल में होता है, दिखता है मेरे चेहरे पे
ना मेरे आंसू नकली, ना नकली है मुस्कान।
गुम नहीं हैं मेरे विचार किसी की गुलामी में
स्वच्छंद अभिव्यक्ति ही है मेरा अभिमान।
नहीं करता गरूर मैं कभी अपने आप पर
पतंग उडे ऊंची मेरी, रहती हवा मेहरबान।
मुझे भरोसा रहता है ख़ुद ही पर हमेशा
ना तो खुदा मेहरबान ना गधा पहलवान।
पल की ही ना ख़बर रखूं, सोचता दूर की
बीते से सबक लेता, रखता हूँ इत्मीनान।
जैसा, जेसै बन पडे, कुछ मदद करता हूँ
समाज का अंग हूँ, नहीं हूँ मैं कोई मेहमान।
लोग कहते हैं जाने क्या-क्या मेरे बारे में
परवाह करता नहीं, क्या कर लेगा ये जहान।
उपर वाला एक है, देवेश को रहता है भान
राम भी मेरा लगे मुझे, मेरा ही लगे रहमान।
आदर्श हमारे
हमारे आदर्श जनों से गौरवान्वित था भारत वर्ष
पर आजकल के इस दौर में, बुरा हुआ है हश्र,
बुरा हुआ है हश्र, आदर्श नहीं ढूँढते अब ये नैन
हमने जिनको आदर्श कहा, लोग कहते फैन,
आधुनिक इस युग में, आदर्शो की हुई तिलाज॔ली
कह संजय देवेश, अब रक्षा करें बजरंग बली॥१॥
पिताजी अब डैड हुये, माताजी हुईं हैं माॅम
बहन डी, भाई ब्रो हुये, वाह ये नयी कौम,
वाह ये नयी कौम, अलग हुये आदर्श के मायने
आदर्शो की कोई बात करे तो, देते हैं ताने,
नेता, एक्टर, खिलाड़ी ही, अब होते आदर्श
कह संजय देवेश, जो पकडे हैं जनता की नस॥२॥
समाज गौण हुआ, लिव इन रिलेशन का साथ
शादी के अगले दिन ही, करें तलाक की बात,
करें तलाक की बात, कैसी है ये आधुनिकता
अब ज़माने में आदर्श, कौडी भाव है बिकता,
सत्य, मूल, न्याय, धर्म गया, गयी ईमानदारी
कह संजय देवेश, मानवता रोये है बेचारी॥३॥
राम, कृष्ण, रहीम से, गांधी तक का इतिहास
इन आदर्श जनों की, लगती बडी पुरानी बात,
लगती पुरानी बात, नये आदर्शो का है जमाना
जो साध ले उल्लू अपना, उसे ही आदर्श माना,
खुद का पता नहीं, कैसे आदर्श की हो खोज
कह संजय देवेश, समझ ना आये नयी सोच॥४॥
दिन रात मीडिया में, जो दिखाई देता है ख़ूब
चाहे जैसा भी हो, उस जैसा होने की भूख,
उस जैसा होने की भूख में, खो रहे स्व विवेक
अपने आदर्श बना रहे, इसको-उसको देख,
दवा दारू चाहते हैं, करके अपना बेडा गर्क
कह संजय देवेश, समझ भी तो आये मर्ज॥५॥
संजय गुप्ता ‘देवेश’
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