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माँ की ममता (Love of mother)
Love of mother: तेरे हाथों की रोटी गोल, हम हो गये गोल मटोल,
तेरी लोरी के मीठे बोल, हम हो गये भाव-विभोर।
नौ माह गर्भ में पाला, फिर हमने तेरी गोदी में डेरा डाला,
उठ जाग ओ प्राणी जाग, देख सुरज ने डेरा डाला,
तेरे हाथो…
तेरी लोरी के …
तेरी आँचल का दिल मेरा प्यासा, इसे तिरपत होने की आशा,
झूले में झुलाना जो तेरा, मुझे अब झूलने की आशा।
मेरा मंद-सा मुस्कुराना, तेरा झट से बाँहो में भर जाना,
अँगुली पकड़ दे ओ माँ, अब मुझे चलने की है आशा।
तेरे हाथो की रोटी गोल, हम हो गये गोल मटोल,
तेरी लोरी के मीठे बोल, हम हो गये भाव-विभोर।
माँ की ममता जब गाए, तब आंखे हमारी भर आए,
तेरी लगन में हो गए चूर, हमे शक्ति मिली भरपूर।
तेरे हाथो…
तेरी लोरी…
तेरे गुणो को क्या मैं गाऊ, इस जन्म में ना सब पाऊ,
तेरे ज्ञान की लम्बी राह, हम चलते-चलते हारे।
तेरे पैरो ने हमे यूं झकझोरा, बुलन्दियो को पाकर के छोङा,
तेरे ज्ञान के गहरे बोल, हम हो गये आनन्द विभोर।
तेरे हाथो …
तेरी लोरी …
माँ तेरे जीवन का जो छाया, हर संकट ने हमे बचाया,
तेरी दुआओ का हम पर ताज, सदा जो पहना रहे।
थोङी खुदा की रहमत रहे, मेरे किस्से यूं जीवित रहे,
माँ तेरे हाथ जो मेरे सर पर रहे, तो ये पक्षी यूं गाता रहे॥
तेरे हाथो की रोटी गोल, हम हो गये गोल मटोल,
तेरी लोरी के मीठे बोल, हम हो गये भाव-विभोर, !
बेरोजगार की आवाज़
गांव गली शहरो में चर्चे आम हो जाए,
सत्ता धारी द्वार खोले तो हम तेरे हो जाए,
तुम्ही हो भाषण, तुम्ही हो ताली,
तुम्ही हो ठाकर, तुम्ही हो साकर,
हमको बस एक हक़ की रोटी नसीब हो जाए,
गांव गली शहरो में चर्चे आम हो जाए,
सत्ता धारी द्वार खोले तो हम तेरे हो जाए॥
तुम्ही ने हमसे चम्मच छीनी, तुम्ही ने रोटी चीनी,
तुम्ही ने होटो से चाय छीनी, तुम्ही ने मधु का प्याला,
हमको बस एक ज़हर का प्याला नसीब हो जाए,
गांव गली शहरो में चर्चे आम हो जाए …
सत्ता धारी द्वार खोले तो हम तेरे हो जाए॥
तुम्ही हो गाङी, तुम्ही हो इंजन, तुम्ही हो अगाङी-पिछाङी,
तुम्ही हो ईधन, तुम्ही हो टंकी, तुम्ही काला धुआं,
हमको बस एक धुएँ का दाग नसीब हो जाए…
गांव गली शहरो में चर्चे आम हो जाए,
सत्ता धारी द्वार खोले तो हम तेरे हो जाए॥
तुम्ही हो बाढ, तुम्ही हो सूखा, तुम्ही हो हलधर-बिजूका,
तुम्ही हो ट्रैक्टर तुम्ही हो ट्रॉली, तुम्ही हो कटोरा-झोली,
हमको बस एक घर की भिक्षा नसीब हो जाए,
गांव गली शहरो में चर्चे आम हो जाए,
सत्ता धारी द्वार खोले तो हम तेरे हो जाए॥
तुम्ही हो बागी, तुम्ही हो दयालू, तुम्ही हो झूठे रिश्वत खोरी,
तुम्ही हो तस्कर तुम्ही हो साधू, तम्ही हो योगी-ढोगी,
हमको बस एक कौङी पैसा नसीब हो जाए…
थोङी हम पर महर करो तो नैया पार हो जाए
थोङी-थोङी थोङी हम पर थोङी महर हो जाए …
गांव गली शहरो में चर्चे आम हो जाए,
सत्ता धारी द्वार खोले तो हम तेरे हो जाए॥
देखा-देखी हम जी ना सके
१.अफसोस नहीं की कुछ कर ना सके,
हाथ किसी का थाम ना सके,
दु: ख किसी का हर ना सके,
खुद को संभाल सकू,
ऐसा जीवन भर काम किया देखा-देखी देखा-देखी हम मर ना सके,
देखा-देखी हम छी ना सके।
२.बाकी पङे है सब काम करने को,
हम अब तक कुछ कर ना सके,
किसी की लाठी हम बन ना सके,
कन्धा किसी का हम बन ना सके,
खुद की रोटी पका सकू, ऐसा जीवन भर काम किया,
देखा-देखी हम जी ना सके, देखा-देखी हम मर ना सके।
३.सफर है अब भी बहोत काटने को,
हमसफर किसी का बन ना सके, सन्ताप किसी का हर ना सके,
एक घूट भी पानी पिला ना सके,
खुद की तृष्णा मिटा सकू, ऐसा जीवन भर काम किया,
देखा-देखी हम जी ना सके, देखा-देखी हम मर ना सके।
४.वक्त है अब भी बहोत जीने को,
हम किसी की सांसे बन ना सके,
एक कौङी भी कटोरी में डाल ना सके,
खुद का शृंगार कर सकू, ऐसा जीवन भर काम किया,
देखा-देखी हम जी ना सके, देखा-देखी हम मर ना सके।
५.अफसोस नहीं की कुछ कर ना सके,
हम किसी के बादल बन ना सके,
एक वक़्त का गुज़ारा हम बन ना सके,
खुद का पेट भर सकू, ऐसा जीवन भर काम किया,
देखा-देखी हम जी ना सके, देखा-देखी हम मर ना सके॥
सुनिल नारायण
मु . पोस्ट -खारा
तहसील -सांचौर
जिला -जालोर (राजस्थान)
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२- बेरोजगारी
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