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हिन्दी कविताएँ कैसे लिखें (how to write hindi poems)
नए कलमकारों के लिए बेहतरीन सुझाव
दोस्तों कई बार आपके मन में विचार आता होगा कि हिन्दी कविताएँ कैसे लिखें (how to write hindi poems)… या फिर कभी-कभी आप सोचते होंगे कि काश हम भी कविता लिख सकते… कविता का विचार मन में आते ही पहला प्रश्न सामने आता है कि कविता की शुरुआत कैसे करें… आखिर… हिन्दी कविताएँ कैसे लिखें…? तो आइये… आज हम आपको कुछ बेहतरीन सुझाव दे रहे हैं जिनको अपनाकर आप भी बेहतरीन कविता लिख पाएंगे…
दोस्तों हमारे कुछ टिप्स व ट्रिक्स आपको कविताएँ लिखना समझा सकते हैं, लेकिन यह सिर्फ़ और सिर्फ़ आपके ऊपर निर्भर है कि आप अपनी मानसिक क्षमताओं को कितना निखार सकते हैं। ईश्वर ने हर मनुष्य को किसी न किसी हुनर से नवाज़ा है, ज़रूरत है बस उसे निखारने की। हम मनुष्य बस यही गलती कर बैठते हैं, अगर हमने अपने हुनर को सही ढंग से निखार लिया, तो यह हमारी कला बन जाती है और यह कला जिसमें हम माहिर होते हैं, हमारी पहचान बन जाती है।
दोस्तों, आप सभी इस आलेख हिन्दी कविताएँ कैसे लिखें के माध्यम से कुछ हद तक कविताएँ लिखना ज़रूर सीख जायेंगे, परन्तु जैसा मैंने पहले भी कहा कि अपनी मानसिक क्षमताओं को आपको ही निखारना होगा। नीचे दिए गए कुछ टिप्स व ट्रिक्स के जरिये आप हिन्दी कविताएँ कैसे लिखें ज़रूर सीख जाएंगे। तो अच्छी-अच्छी एवं सुन्दर कविताएँ लिखने के लिए आगे पढ़ते रहिये व समझते रहिये।
हिंदी कविताएँ कैसे लिखें…?
यहाँ कुछ नियम दिए गए हैं जिनसे आप हिन्दी कविताएँ कैसे लिखें सीख सकते हैं।
- आपका लक्ष्य क्या है?
- शब्द भण्डार
- आपके सोचने की शक्ति
- अच्छा अंत्यानुप्रास का कौशल होना
- नियमित लिखने की आदत
जी हाँ दोस्तों, अगर आपने उपर्युक्त दिए गए कुछ नियमों के द्वारा दी गयी सीख से, अपनी क़लम के जरिये शब्दों से खेलना सीख लिया तो आप ज़रूर कविताएँ लिखने लगेंगे। आइये विस्तार से जानते हैं उपर्युक्त नियमों के बारे में।
आपका लक्ष्य क्या है?
सर्वप्रथम जब आप कविता लिखने जा रहें हो तो आपको ये निश्चित करना है कि आपका लक्ष्य क्या है, अर्थात आप किस विषय पर कविता लिखना चाहते हैं। आपका विषय निर्धारण करना ही सबसे बड़ा लक्ष्य है और अपना लक्ष्य निर्धारित करने के बाद आपको अपनी विषय-वस्तु से सम्बंधित चीज़ों का काफ़ी बारीकी से अध्धयन करना चाहिए। अगर आपने विषय का चुनाव तो कर लिया, लेकिन जब तक आपको उस विषय के बारे में पूर्ण रूप से ज्ञान नहीं होगा तब तक आप कविता लिखने में असमर्थ रहेंगे। इसीलिए ऐसे विषय को चुने जिसमें आपकी पकड़ मज़बूत हो, जिससे कि आप अपनी कल्पनाओं को आसानी से कविता के माध्यम से व्यक्त कर पायें।
शब्द भण्डार
दोस्तों, काव्य रचना में शब्दों का ज्ञान बहुत ज़रूरी है। थोड़ी देर के लिए हम काव्य रचना के बारे में न सोचें… तो, एक गद्य रचना लिखने के लिए भी हमारे पास शब्दों का भंडार होना बहुत ज़रूरी है, जब तक हमें शब्दों का ज्ञान नहीं होगा… तब तक हम काव्य को तो छोड़ो कोई अन्य रचना करने में भी असमर्थ हैं इसलिए हमें नए शब्दों की खोज के लिए निरंतर अग्रसर रहना चाहिए।
आपके सोचने की शक्ति
दोस्तों, किसी भी रचना को एक नया रूप देने के लिए हमारी सोचने की शक्ति का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है, एक अच्छा रचयिता व कवि किसी भी विषय के बारे में कई बिंदुओं से सोच सकता है और यह सोचने की शक्ति ही उसके शब्द निर्माण में मदद करती है। मेरा मानना है कि “जब तक हम कुछ सोच न सकेंगे तब तक हम कुछ कर न सकेंगे।” तो यह अद्भुत शक्ति आप अपने अंदर जाग्रत करना शुरू कर दें तभी आप एक अच्छे रचनाकार बन सकेंगे।
अच्छा अंत्यानुप्रास का कौशल होना
जैसे किसी कविता को लिखने के लिए विस्तृत शब्द भंडार की ज़रूरत होती है उसी तरह कविता लिखने में लयात्मकता का अपना ही महत्त्व है जो किसी भी काव्य को सौंदर्य प्रदान करता है और ये लयात्मकता आप अपने शब्द भंडार के ज्ञान से ही ले सकते हैं। अच्छा अंत्यानुप्रास का कौशल होना आपकी काव्य रचना में सहायक होगा। हम आपको कुछ पंक्तियाँ उदाहरण के तौर पर दिखाना चाहते हैं, यह पंक्तियाँ हमारी लिखी हुई हैं और हमें आशा है कि आपको इनसे बहुत लाभ होगा।
उदाहरण-१
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमने अपनी लिखी हुई “वाणी की तलवार” से ली हैं। इनसे आपको कुछ लाभ मिल सकता है।
जब खेतों में नंगी काया पल-पल तपती रहती है।
आँगन में बैठे ख्वाबों के पंख उतिनती रहती है॥
बेवश आँखों में बस केवल नीर समाया रहता है।
तब कवि ह्रदय हुकूमत के प्रति आग उगलने लगता है॥
नहीं प्रेम के मधुर-मधुर मैं गीत सुनाने आया हूँ।
वाणी की तीखी-तीखी तलवार चलाने आया हूँ॥
उदाहरण-२
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमने अपनी लिखी हुई प्रेरणादायक कविता “शूल राह के” से ली हैं।
तन्हा लेकिन चलना ही है मुश्किल पथ में हो तो हो
गिरना लेकिन उठना ही है घायल बेशक हो तो हो
आग बनी वह ही चिंगारी जलना जिसको आता है
सहना है पर आँख में आंसू किसको लेकिन भाता है
कुछ भी तुमसे दूर नहीं है दिल में जो तुम ठानो तो
छट जायेंगे शूल राह के मंज़िल को तुम खोजो तो
नियमित लिखने की आदत
दोस्तों, आपने ये कहावत तो अवश्य सुनी होगी “करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान। रसरी आवत-जात ते, सिल पर परत निशान।” अर्थात जिस प्रकार से कुँए के पास पड़े पत्थर पर कोमल रस्सी की बार-बार रगड़ से निशान पड़ जाता है, जिससे सिर्फ़ एक पानी से भरा पात्र खींचा जाता है। उसी तरह से निरंतर और बार-बार अभ्यास से निठल्ला व जड़-बुद्धि समझा जाने वाला व्यक्ति किसी काम में माहिर हो जाता है। इसलिए अच्छा लिखने के लिए हमें अपने अंदर लिखने की आदत का निरंतर विकास करना पड़ेगा।
दोस्तों, हमें आशा है कि आपको यह आलेख हिन्दी कविताएँ कैसे लिखें ज़रूर पसंद आया होगा। आप अपने सुझाव व प्रतिक्रियाएँ हमसे ज़रूर साझा करें। इसी तरह की अन्य जानकारियों के लिए आप नियमित हमारी वेबसाइट पर पधारें…!
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