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गाड़ी का हॉर्न – Horn of Van
गाड़ी का हॉर्न (Horn of Van): मेरी प्रतिनियुक्ति तंज़ानिया के काफ़ी रिसर्च इन्स्टीट्यूट लूयामुंगो में थी। यह स्थान मोशी शहर से १५ किलोमीटर दूर था। मैं अपने परिवार के साथ परिसर में ही रहता था। हम लोग प्रायः सायंकाल को ४ बजे के लगभग अपनी गाड़ी से ही मोशी जाते थे। कभी-कभी हमारे सहयोगी भी साथ चले जाते थे। ऐसे ही एक बार हमारे साथ वैनज़ुयेला से आये मिस्टर ट्रोबैक ने शाम को जाने का कार्यक्रम बनाया और नियत समय पर गाड़ी का हार्न सुनते ही अपने बंगले का मुख्य द्वार बंद कर आगये। वे आयु में मेरे से लगभग १५ वर्ष बड़े थे और वहाँ अकेले ही रहते थे तथा स्वयं ही अपना खाना बनाते थे।
मोशी मार्केट
खान-पान और अन्य सारा सामान मोशी से ही लाया जाता था। विदेशी प्रायः एक सप्ताह का आवश्यक सामान खरीदते थे क्योंकि उनका बजट हर सप्ताह का होता था तथा उतने में ही गुज़ारा करते थे। हमारा बजट परिवर्तनशील था और हम लोग अधिक दिनों का सामान ले आते थे। उस दिन मोशी मार्केट में हम लोगों ने ३ घंटे का समय लगाया होगा। वापसी पर शहर से थोड़ा ही बाहर आये होंगे तो मिस्टर ट्रोबैक ने कहा कि उसका कुछ सामान ग्रोसरी की दुकान में रह गया है, इसलिए वापस मोशी आकर उन्होंने अपना सामान लिया।
इसमें लगभग आधा घंटा और लग गया परंतु हम फिर भी ल्यामुंगो अँधेरा होने से पहले ही पहुँच गये थे। मिस्टर ट्रोबैक को उनके घर के बाहर उतारने के लिये मुख्य द्वार के पास गाड़ी रोकी तो उनके घर से धुंआ निकल रहा देखा। हम सभी घबरा गये परंतु मिस्टर ट्रोबैक तो बहुत ही घबरा गये थे और अपना माथा पकड़कर “ओ लल्ला, बर्बाद हो गया” कहकर वहीं बैठ गये। उन्होंने सोचा कि बंगले में आग लगी है और उनका सब कुछ समाप्त हो गया है।
सफेद धुंए का बादल
इतनी देर में हमारी श्रीमती ने घर का मुख्य द्वार खोलने के लिये कहा और मैंने उनसे घर की ताली लेकर मुख्य द्वार को पूरा खोल दिया। वहाँ से सफेद धुंए का बादल बाहर को निकला। तुरंत ही बिजली का मेन स्विच ऑफ कर दिया और बाहर आगया। बाहर भी अब वह धुंआ फैलने लगा परंतु उससे जले हुए मांस की दुर्गंध आ रही थी। शायद अब तक मिस्टर ट्रोबैक कुछ व्यवस्थित हो गये थे और उन्होंने घर की सभी खिड़कियाँ खोलने में सहायता की। जैसै ही किचन में आए, वहाँ और भी अधिक दुर्गंध आने लगी थी और हम दोनों घर से बाहर आ गये।
घर में दुर्गंध
थोड़ी देर घर के बाहर ही खड़े रहे और मिस्टर ट्रोबैक ने बताया कि पतीले में मीट उबालने के लिए होट प्लेट पर रखा था। हमें वहाँ न मीट और न ही पतीला मिला था। अब पता चला कि घर में जले-भुने मीट की दुर्गंध फैली हुई थी और उसका ही यह धुंआ था। पतीले का पानी भाप बन कर उड़ गया तो मीट जला और बाद में पतीला पिघल कर होट प्लेट पर चिपक गया परंतु वह जलती रही। वहाँ बिजली का शार्ट सर्कट न होने के कारण घर में आग नहीं लगी और कोई दुर्घटना नहीं हुई तथा सब कुछ सुरक्षित रहा।
भारतीय खाना
अब वह न तो अपने घर के अंदर जा सकते थे और न ही चाय और रात का खाना तैयार कर सकते थे। मिस्टर ट्रोबैक को उनके घर के मुख्य द्वार को बंद करवाकर अपने साथ ही घर ले आए। मुझे अपने शरीर से उस जले-भुने मीट की दुर्गंध आरही थी अतः शीघ्रता से नहा कर कपड़े बदले और ताज़ा हो कर आ गया। हम सब ने मिलकर पहले चाय पी और फिर बाद में खाना खाया। हमने खाने में उन्हें शाकाहारी और युरोपियन खाने के व्यंजन परोसे परंतु उन्होंने हमारी तरह की भारतीय खाना खाया और बहुत प्रसन्न हुए।
इस हादसे का मुख्य कारण एक छोटी-सी भूल ही हो सकती थी। यदि होट प्लेट ऑफ कर दी जाती तो शायद यह सब न होता परंतु गाड़ी का हार्न सुनकर शीघ्रता के लिए होट प्लेट को ऑफ करना भूल गये थे। मनुष्य अक्सर भूल जाता है। हर समय सावधान रहना आवश्यक है।
डॉ. वी. के. शर्मा
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